रात के ग्यारह बजे

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आत्म कथ्य नारी ईश्वर की इस सृष्टि की संचालन कर्ता भी है और इसकी गतिशीलता का आधार भी। नारी से मेरा तात्पर्य जीव-जन्तु पेड़-पौधों में उपस्थित नारी तत्व से भी है। मानव के संदर्भ में जब हम नारी को देखते हैं तो उसके दोनों रुप हमारे सामने आते हैं एक सृजनकर्ता के रुप में और दूसरा संहारक के रुप में। उसका सृजनात्मक स्वरुप मानवीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में दिखलाई देता है तो उसके संहारक स्वरुप ने अनेक युद्ध भी कराये हैं और विकृतियां व वीभत्सता भी दी है। आज समाज में जितने अपराध हो रहे

Full Novel

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रात के ११बजे - भाग - १

आत्म कथ्य नारी ईश्वर की इस सृष्टि की संचालन कर्ता भी है और गतिशीलता का आधार भी। नारी से मेरा तात्पर्य जीव-जन्तु पेड़-पौधों में उपस्थित नारी तत्व से भी है। मानव के संदर्भ में जब हम नारी को देखते हैं तो उसके दोनों रुप हमारे सामने आते हैं एक सृजनकर्ता के रुप में और दूसरा संहारक के रुप में। उसका सृजनात्मक स्वरुप मानवीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में दिखलाई देता है तो उसके संहारक स्वरुप ने अनेक युद्ध भी कराये हैं और विकृतियां व वीभत्सता भी दी है। आज समाज में जितने अपराध हो रहे ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - २

अनीता ने समझाते हुए कहा कि जीवन में सब कुछ किसी को नहीं मिलता। सुख और दुख जीवन के पहलू हैं जिनके बीच हमें सामन्जस्य करना ही होता है। हम भावनाओं को प्रतिबंधित नहीं कर सकते। हमारे मन व मस्तिष्क में विचारों का आना-जाना लगा रहता है। इससे विचारों में परिपक्वता आती है। भावनाओं को नियन्त्रित करना कठिन होता है। ये वायु के समान तेजी से आती हैं और आंधी के समान चली जाती हैं। यही जीवन है। भावनाओं और विचारों की समाप्ति जीवन का अन्त है। हम भावनाओं की गति को कम कर सकते हैं। परन्तु इन्हें पूरी ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ३

मानसी ने तीन माह तक राकेश से कोई संपर्क नहीं किया। राकेश भी यह सोचकर कि किसी जरुरतमन्द की की है दस हजार रूपयों की बात भूल गया था। एक दिन अचानक मानसी का फोन आया- आप कैसे हैं ? ठीक हूँ। तुम कैसी हो ? मैं भी अच्छी हूँ। आपने तो पिछले तीन माह में एक बार भी मेरी खोज-खबर नहीं ली ? मैंने सोचा तुम अपने काम में लगी होगी। जब मिलोगी तो बात करुंगा। मैं दो माह तक अस्पताल में भरती रही। आपने एक बार भी मेरी हालत जानने का प्रयास नहीं किया। सुनकर राकेश को ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ४

होती थी। उस समय वह मन्दिर में इसे ऊंचे स्वर में गाया करती थी। आज वह मन ही मन से वही प्रार्थना कर रही थी। इतनी कृपा दिखाना हे प्रभु कभी न हो अभिमान। मस्तक ऊंचा रहे मान से ऐसे हों सब काम। रहें समर्पित करें देषहित, देना यह आशीष। विनत भाव से प्रभु चरणों में झुका रहे यह शीश। करें दुख में सुख का अहसास रहे तन-मन में यह आभास। धर्म से कर्म, कर्म से सृजन, सृजन में हो समाज उत्थान। चलूं जब इस दुनियां का छोड़ ध्यान में रहे तुम्हारा नाम। दर्शन के बाद जब ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ५

रह गया है। जब वे सामान लेकर होटल पहुँचते हैं तो देखते हैं कि राकेश अभी भी हाथ में का गिलास लिये बैठा है। उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी। दूसरे दिन सुबह सभी देर से उठे थे। बादल घिरे हुए थे। रात को कुछ पानी भी गिर गया था। बरसात का प्रभाव होटल के बाहर हर ओर दिख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे पूरी पचमढ़ी को धोया गया हो। ठण्डक भी बढ़ी हुई थी। मानसी राकेश और गौरव के कमरे में आ गई थी। वहीं बैठकर वे चाय पी रहे थे। गौरव ने राकेश से पूछा- आज ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ६

संस्कारों का क्या होगा। यमराज भी इस बात से सहमत हो गए और उन्होंने फरमान जारी कर दिया कि के नेताओं को जब बहुत ही आवश्यक परिस्थितियां हो तभी यमलोक लाया जाए। इसीलिये हमारे देश में आंधी, तूफान, सूखा, बाढ़, आतंकवाद आदि में निरपराध नागरिक ही मारे जाते हैं पर कोई भी नेता नहीं मरता, क्योकि यमराज का यही आदेश है। इसलिये तुम अभी बहुत सालों तक जिन्दा रहोगे और डार्लिंग इसी प्रकार अपनी गतिविधियां चलाते रहोगे। यह सुनकर आनन्द का मन थोड़ा ठीक हुआ। टैक्सी लगातार अपने गन्तव्य की ओर बढ़ी चली जा रही थी। उसने पल्लवी को ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - 7

या तो सीरियल देख रहे होते हैं या फिर वे फिल्में देखते हैं। आज के प्रतिस्पर्धात्मक व्यापारिक युग के जो सीरियल दिखाते हैं वे भावनाओं को भड़काने वाले होते हैं वरना उन्हें कौन देखेगा। जो फिल्म दिखलाई जाती हैं वे प्रायः हिन्सा और वासना पर आधारित होती हैं। इनमें हिंसा और वासना का वीभत्स रुप ही परोसा जाता है। परिणाम स्वरुप बच्चों में भी हिन्सात्मक और वासनात्मक विचारों, चेष्टाओं और आकांक्षाओं की जड़ें फैल जाती हैं जो आजीवन उनके साथ रहतीं हैं। जब इनकी पूर्ति नहीं होती तो हीनताबोध आता है। वे मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ८

किया करता था। उसके पास समय का बहुत अभाव होता था। वह शाम को एक-दो घण्टों के लिये ही से मिल सकता था। पल्लवी से मिलकर आनन्द की दिनचर्या बदल गई थी। उसे लगने लगा था कि पल्लवी के आने से उसके जीवन का अभाव दूर हो गया है। वे प्रायः किसी होटल या रेस्टारेण्ट में मिला करते थे। आनन्द जब शाम को पल्लवी से मिलता था तो वह अपनी स्क्रीन लगी हुई कार का प्रयोग करता था। सामान्यतः वह नंगे सिर रहा करता था किन्तु जब वह पल्लवी के साथ होता था तो उसके सिर पर कैप लगा ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ९

यह बात सुनकर आनन्द कहता है, आशा से भरा जीवन सुख है निराशा के निवारण का प्रयास ही जीवन है। जो इसमें सफल है वही सुखी और सम्पन्न है। असफलता है दुख और निराशा में है जीवन का अन्त। यही है जीवन का नियम यही है जीवन का क्रम। मेरी महबूबा ! तुम चिन्तित मत हो। मैं तुम्हारे लिये सब कुछ व्यवस्था कर दूंगा। मेरे न रहने पर भी तुम्हारा जीवन सुखी व समृद्ध रहेगा। - - - आनन्द एक बहुत होशियार और समझदार व्यक्तित्व का धनी था। वह नगर छोड़ने के पहले पल्लवी की सहपाठी एवं उसके ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - १०

मेरी हत्या भी तो करवा सकती है। मैं इनके इस झंझट में अपनी जान जोखिम में क्यों डालूं। आनन्द तो स्वभाव ही है कि वह हमेशा दूसरों के कंधों पर रख कर बंदूक चलाता है। राकेश ने मानसी की ओर देखा तो वह कहने लगी- आनन्द को शर्म नहीं आयी जो उसने मेरे ऊपर चोरी का इल्जाम लगा दिया। अंत में तो वे सारी वस्तुएं पल्लवी के पास ही प्राप्त हुईं। इतना बड़ा आरोप लगाने के बाद माफी मांगने से क्या मेरा जो अपमान उसने किया है वह समाप्त हो जाएगा। वह होगा पैसे वाला इससे मुझे क्या लेना ...और पढ़े

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रात के ११बजे - भाग - ११

बैठक खाने में जाता है तो पल्लवी को वहां सोया हुआ देखता है। यह देखकर वह बौखला जाता है। मानसी के साथ पल्लवी को भी खरी-खोटी सुनाता है। इससे पल्लवी बहुत नाराज हो जाती है। उनके बीच विवाद होने लगता है। दोनों की ही आवाज तेज हो जाती है। मानसी इस स्थिति में दोन ...और पढ़े

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