मेरी पगली...मेरी हमसफ़र

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मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हॉल में बैठे हुए हैं।सभी के चेहरो पर मुस्कुराहट सज रही है।सजे भी क्यों न मिश्रा परिवार के सभी प्रिय साहबजादे और राजकुमारियां गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टल से घर जो आ रहे हैं।सभी इनके स्वागत सत्कार के बारे में चर्चा कर रहे हैं।शोभा शीला कमला राधिका प्रेम चित्रा रवीश स्नेहा सुमित परम किरण सभी के चेहरो पर मुस्कान के साथ एक ही प्रश्न है बच्चे इतने दिनों बाद घर आ रहे हैं क्या किया जाये ऐसा कि वो बेहद खुशी अनुभव करे।

नए एपिसोड्स : : Every Wednesday & Sunday

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 1

मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हॉल में बैठे हुए हैं।सभी के चेहरो पर मुस्कुराहट सज रही है।सजे भी क्यों मिश्रा परिवार के सभी प्रिय साहबजादे और राजकुमारियां गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टल से घर जो आ रहे हैं।सभी इनके स्वागत सत्कार के बारे में चर्चा कर रहे हैं।शोभा शीला कमला राधिका प्रेम चित्रा रवीश स्नेहा सुमित परम किरण सभी के चेहरो पर मुस्कान के साथ एक ही प्रश्न है बच्चे इतने दिनों बाद घर आ रहे हैं क्या किया जाये ऐसा कि वो बेहद खुशी अनुभव करे। राधिका प्रेम बैचेनी से एक दूजे की ओर देखते है और आंखों ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 2

प्रीत ने डायरी वाली पॉलीथिन उठाई और उसे खोल कर उसमे रखी सभी चीजे निकाली।एक एक चीज उठाकर वो लगा।एक घड़ी जो अच्छी कम्पनी की प्रतीत हो रही थी। 'आज भी इसकी चमक कतई कम नही है' प्रीत ने खुद से कहा और उसे अपनी सीधे हाथ की कलाई में पहन लिया।उसकी नजर चांदी की हल्के घुंघरू वाली एक पतली सी पायल पर पड़ी।'मम्मा की पायल' कहते हुए प्रीत ने नम आंखों से उसे स्पर्श किया और उसे अपनी कलाई में लपेट लिया।'इनके स्पर्श से तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरे मम्मा पापा मेरे पास ही हैं।कितना ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 3

मैं उसे देख थोड़ा चौक गया!मैंने एक बार उसे आवाज दी 'सुनो'!लेकिन उसने सुना नही,शायद इसीलिए कि वो बहुत से मंच पर चलने वाली प्रस्तुति को सुन रही थी।उसके चेहरे पर फैली मुस्कान मुझे बता रही थी कि वो उस शाम को कितने ध्यान से एन्जॉय कर रही है।मैंने उसे फिर आवाज दी 'सुनो'।इस बार उसने सवालिया निगाहों से मेरी ओर देखा तो मैंने अपना हाथ ऊपर उसके सामने कर दिया और बोला 'सुनो,आपका दुपट्टा' !न जाने क्यों मैं उसके लिए शब्दो का इस्तमाल कर गया जो मैं कम ही करता था।उसे देख वो झेंप गयी और सॉरी कहते ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 4

वो सामने कैंटीन एरिया में दो महिलाओं के साथ बैठी हुई उनसे कुछ बातचीत कर रही थी।शायद उनमे से थकी हुई थी।क्योंकि वो बार बार अपने पैरो को दबाती हुई दिखी।जिसे देख अर्पिता ने उसके पैरो को थामा तो उस महिला ने उसके हाथ रोक लिए।शायद वो नही चाहती थी अर्पिता उनके पैरो का स्पर्श करें।वो भी जिद्दी कम नही उसने उस महिला के चेहरे की ओर देखा,उसके होंठ हिले शायद उसने कुछ कहा और कुछ देर बाद उसने पैरो का स्पर्श कर कुछ लगाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया उसे "किसी न किसी तरह अपनी बात मनवाना ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 5

अर्पिता वहां श्रुति के साथ खड़ी थी।उसके चेहरे पर गुस्सा था तो वही जुबां से निकलते तीखे शब्द!उसे इतने में देख मैं खुद ही चौंक गया।मैंने सोचा नही था हमेशा स्वीट सी दिखने वाली वो लड़की किसी को इस तरह हड़का सकती थी।उसे देख मेरा गुस्सा तो थोड़ा कम हो गया और ख्याल आया आ गया हूँ इन्हें छोडूंगा तो नही लेकिन उससे पहले अर्पिता से पूरी बात को जान लिया जाये सो मैं वही एक ओर रुक उसकी बाते सुनने लगा। वो तल्खी से बोली 'तो मिस्टर एक्स वाइ जेड.. या कहे घटिया लोगो का लीडर।सबसे पहले तो ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 6

वहां से मैं ऑफिस के लिए निकल आया।आते हुए मन में कई सवाल थे।इन्ही सवालो मे उलझता सुलझता खुद थोड़ा सा बदलाव लाने कानिर्णय किया।ऑफिस पहुंच मैंने क्लाइंट को कॉल लगाया।उसने सॉरी कहते हुए इमरजेंसी मे है ऐसा कहा और शाम के पांच बजे मीटिंग रखने की गुजारिश की।चूंकि अब मैं बदल रहा था तो उससे ना कहने की जगह मैंने अपनी स्वीकृति दी।जिसे जान उसने लखनऊ के एके मॉल मे समय पर पहुंचने का कहा।समय पर पहुंचने का कह मैंने फोन रख दिया और अपने कार्य में लग गया।ऑफिस में कुछ ज्यादा शांति महसूस हुई।जिसका कारण मैंने कल ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 7

अर्पिता ठोकर लगने के कारण गिर चुकी थी।वो गोली उसके सामने आ रही उसकी मासी बीना जी को लगी।ये मैं परेशान हो गया था।मैं जल्द से जल्द उनके पास पहुंचना चाहता था लेकिन पहुंच नही पाया क्योंकि वो दोनो हाइवे से थोड़ा दूर थी।बाइक के जरिये वहां तक पहुंचने में मुझे दिक्कत हो रही थी लेकिन फिर भी मैंने उनके पास पहुंचने की कोशिश की।गोली की आवाज सुन अर्पिता ने अपने पीछे मुड़ कर देखा तो पाया वो चारो वही इकट्ठे होकर उस पर फिर से निशाना लगा रहे थे।लेकिन इस बार एक चमकीली रोशनी के कारण वो निशाना ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 8

प्रीत छत पर पहुंचा और आराध्या को कॉल लगाते हुए बोला, 'हां, बोलो आराध्या'! आराध्या गुस्से में बोली, 'बोलूं बोलूं मै, मतलब हम'! कहां बिजी हो इतने!और तुम्हारा फोन तानी के पास क्यों है'? प्रीत ने फोन कान से लगाये रखा और शांति से झुला झूलने लगे।एक शब्द नही बोला मुंह से।जिसे जान कर आराध्या फिर बोली, 'अब मुंह पर क्या दही जमा लिए हो जो मुंह खोलोगे तो बाहर निकल गिर पड़ेगा?' सुनकर प्रीत ने फिर भी कुछ नही कहा।उसने सामने दरवाजे के पास छिपकर खड़ी समा और तानी दोनो को देखा तो मुस्कुराते हुए हाथो के इशारे ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 9

कमरे में आकर मैंने आरामदायक कपड़े पहने और लैपी ले बेड पर बैठ कर काम करने लगा!कुछ देर काम के बाद मेरे कानो में श्रुति के जोर से बुलाने की आवाज आई, 'भाई कहां है आप' कहते हुए वो कमरे के अंदर चली आई।आवाज सुन मैंने उसकी ओर देखा।उसके चेहरे पर परेशानी देख मैं समझ गया अर्पिता के साथ फिर कोई गड़बड़ हुई है वो ठीक नही है मैंने लैपी बन्द कर उठकर श्रुति के कमरे की ओर दौड़ा और एक नजर चारो ओर डाली!अर्पिता मुझे कहीं नही दिखी!बाथरूम का दरवाजा खुला था उसमे से पानी गिरने की आवाज ...और पढ़े

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मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 10

मैं ऑफिस चला आया और ऑफिस में बैठ कर कार्य करने लगा! बैठा ऑफिस में था लेकिन मन घर मेरी पगली के पास था!बार बार उसका ही ख्याल आ रहा था।लेकिन काम तो करना ही था सो आँखे बन्द कर ठाकुर जी का नाम लिया और लग गया काम पर!सारी जरूरी मीटिंग्स,और पेपर अटैंड कर मैं दो घण्टे में ही फ्री हो गया।घड़ी में नजर डाली दोपहर के बारह बजने वाले थे।मन में ख्याल आया 'न जाने अर्पिता को मेरा फ्रिज पर छोड़ा हुआ नोट मिला भी होगा या नही!' सुबह आते हुए मैं उसके लिए फ्रिज के ऊपर एक ...और पढ़े

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