एक पाँव रेल में -यात्रा वृत्तान्त

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 1 देशाटन रामगोपाल भावुक सम्पर्क -कमलेश्वर कालोनी (डबरा) भवभूति नगर जि0 ग्वालियर, म0 प्र0 475110 मो0 9425715707 , 8770554097 अनुक्रम 1 यात्रा वृतान्तों का औचित्य 2 जा पर विपदा परत है सो आवत यही देश 3 अमरनाथ का अस्तित्व 4 आज के परिवेश में गंगा मैया 5 जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ 6 रत्नावली और द्वारिका पुरी 7 ग्ंगा सागर एक बार 8 हिमाचलप्रदेश की देवियों का अस्तित्व 9. मल्लिकार्जुन की पहाड़ियाँ 10 नासिक दर्शन 11 कुरुक्षेत्र में

Full Novel

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 1

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 1 देशाटन रामगोपाल भावुक सम्पर्क -कमलेश्वर कालोनी (डबरा) भवभूति नगर जि0 ग्वालियर, म0 प्र0 475110 मो0 9425715707 , 8770554097 अनुक्रम 1 यात्रा वृतान्तों का औचित्य 2 जा पर विपदा परत है सो आवत यही देश 3 अमरनाथ का अस्तित्व 4 आज के परिवेश में गंगा मैया 5 जगन्नाथ का भात जगत पसारे हाथ 6 रत्नावली और द्वारिका पुरी 7 ग्ंगा सागर एक बार 8 हिमाचलप्रदेश की देवियों का अस्तित्व 9. मल्लिकार्जुन की पहाड़ियाँ 10 नासिक दर्शन 11 कुरुक्षेत्र में ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 2

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 2 2 जा पर विपदा परत है, सो आवत यही देश। श्रावण के महिना में सोमवती का अवसर। हमारे घर के सभी लोग चित्रकूट यात्रा का प्रोग्राम बनाने लगे। वर्षात का मौसम अपना प्रभाव दिखाने लगा। जिस दिन जाने का तय हुआ रिर्जवेशन करवा लिया था। उस दिन वर्षात थमने का नाम ही नहीं ले रही थी किन्तु बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस से रात्री का तृतीय प्रहर समाप्त होते-होते हम सभी चित्रकूट पहॅुंच गये। जगदीश भैया लम्वे समय से रामघाट पर स्थित माँ जी की धर्मशाला में ठहरा करते थे। वहाँ का मैनेजर उनका ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 3

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 3 3 अमरनाथ का अस्तित्व अमरनाथ की कथायें जगत प्रसिद्ध हैं। उनके प्रति प्रत्येक भारतीय का आर्कषण सहज ही हो जाता है। जब कोई किसी यात्रा पर रोक लगा दे, तो यह आर्कषण और अधिक बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त कश्मीर की बादियों की मन मोहक मुस्कान उस ओर अधिक खीचती है। मेरा चित्त भी उन वादियों की सैर करने लालायित हो उठा। दिन-रात कश्मीर यात्रा की धुन सबार हो गई। साथ यात्रा पर चलने वाले लोगों की तलाश करने लगा। मित्र राम बली सिंह चन्देल और मैंने डॉक्टर के ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 4

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 4 4 आज के परिवेश में गंगा मैया हमारे में एक जनश्रुति प्रचलित है कि यदि प्राणी के अन्तिम समय में प्राण निकलते समय गंगाजल की एक बूँद उसके कण्ठ में पहुँच जाये तो निश्चय ही उसका कल्याण होजाता है। मैं इसी सोच में था कि वर्ष अगस्त 1996 ई0 के श्रावण मास में बद्रीनाथ धाम की तीर्थ यात्रा करने की योजना बनाने लगा। वर्षात के मौसम में हिमालय की यात्रा करने की सभी एक स्वर से मना कर रहे थे किन्तु मुझे चैन नहीं आ रहा था। लग रहा था ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 5

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 5 5 जगन्नाथ का भात। जगत पसारे हाथ। मैं भी जाता हूँ पहले वहाँ के सम्बन्ध में होमवर्क कर डालता हूँ। इस यात्रा को करने से पहले मैंने सम्पूर्ण होम बर्क कर लिया था। गंगामैया की कृपा से उसी वर्ष गंगाजल चढ़ाने सर्किल अर्थात् चक्राकार टिकिट बनवाकर यात्रा करने की योजना बना डाली। चक्राकार टिकिट का यह नियम है किं जिधर से जाते हैं उधर से लौटते नहीं हैं। अतः मैं पिताजी- माता जी एवं रामदेवी बहन जी के साथ उत्कल एक्प्रेस से चलकर जगन्नाथ पुरी पहुँच गये। वहाँ भी पण्डा ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 6

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 6 6 रत्नावली और द्वारिका पुरी तुलसी दास की धर्मपत्नी मातेश्वरी रत्नीवली ने यात्रा कराई द्वारिका पुरी की । आपको यह बात कुछ अजीब सी लगेगी। बात यह हुई गुजरात हिन्दी विद्यापीठ की पत्रिका रैन बसेरा अक्सर मेरे पढ़ने में आती रहती थी। मैं उसका नियमित ग्राहक भी बन गया था। उसमें गुजरात हिन्दी विद्यापीठ की साहित्यकार पुरस्कार योजना का विज्ञापन प्रकाशित हुआ। जिसमें देश भर के साहित्यकारों से उनकी वर्ष 1998ई0 में प्रकाशित पुस्तकें माँगीं गईं थी। मेरी उपन्यास रत्नावली उसी वर्ष प्रकाशित हुई थी। विज्ञापन देखकर मैंने ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 7

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 7 7 गंगा सागर एक बार सारे बार-बार, गंगा सागर एक बार की कहावत सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में प्रचलित है। रह रह कर यह बात बार बार मेंरे चित्त आने लगी। ऐसी क्या बात है गंगा सागर तीर्थ एक बार ही जाना पर्याप्त है। यही सोचते हुये मैंने 11से 21जनवरी के मध्य 14 जनवरी 2007 को गंगा सागर में डुवकी लगाने की योजना बना डाली। ग्वालियर से चलने वाली चम्बल एक्सप्रेस से रिजर्वेशन करा लिया। साथ चलने वालों की संख्या बढ़कर नौं हो गई। सभी ने अपने रिजर्वेशन करा लिये । ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 8

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 8 8 हिमाचल प्रदेश की देवियाँ हमारे देश में देवियों की शक्ति में अगाध विष्वास हैं। जिसमें हिमाचल प्रदेश की देवियों के दर्शन जिसने न किये उसने कोई तीर्थ नहीं किये, ऐसी मान्यता है। मैं अपने लघुभ्राता जगदीश तिवारी, उनकी पत्नी उर्मिला देवी,, पत्नी के बड़ी बहिन रामदेवी, पड़ोसी दामोदर पटसारिया ,उनकी पत्नी एवं पुत्र मोनू मित्र चिन्तामणी गुप्ता जी उनकी पत्नी रामकली देवी एवं उनके साले नारायणगुप्ता, उनकी पत्नी शकुन्तला देवी ,यों तेरह लोगों के रिजर्वेशन कराकर वैष्णव देवी के दर्शन के लिये निकल पड़े। कश्मीर की यात्रा ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 9

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 9 9. मल्लिकार्जुन की पहाड़ियाँ ’ यात्रायें आदमी को शक्ति का बोध करातीं है। जब जब यात्राओं का प्रोग्राम बनाते है, मन कुलाचें भरने लगता है। मेरा और रामवली सिंह चन्देल का मल्लिकार्जुन के दर्शन करने का प्रोग्राम बन गया। डबरा से कोई ट्रेन हैदराबाद के लिये नहीं थी। इसलिये झाँसी से हेदराबाद का रिजर्वेशन कराना पड़ा। यह ट्रेन रात के समय थी इसलिये हमें डबरा से बुन्देलखझड एक्सप्रेस से चलकर झाँसी स्टेशन पर पड़ाव डाल लिया। रात एक बजे वहाँ से ट्रेन पकड़ली। यात्रा लम्बी थी। दूसरे दिन सुवह पाँच ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 10

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 10 10 नासिक दर्शन हमारे भारतीय परिवेश में कुम्भ यात्रा का बड़ा महत्व है। राष्ट्रिय एकता के रूप में भी हमारी अस्मिता के रक्षक हैं ये कुम्भ। सम्पूर्ण भारत वर्ष की आध्यत्म की परम्परा के दर्शन कुम्भ में हो जाते है। कुम्ंभ पर्व के आने का समय हर बरह वर्ष बाद, लोग अंगुलियों पर गिनते रहते हैं। कुम्भ स्नान के बहाने, भारतीय संस्कृति के एक ही स्थान पर एक साथ दर्शन किये जा सकते हैं। ग्रह और नक्षत्रों की हर बारह वर्ष में पुनरावृति के साथ कुम्भ स्नान की ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 11

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 11 11 कुरुक्षेत्र में एकलव्य पानीपत की जैमनी साहित्य अकादमी से मेरे रत्नावली उपन्यास पर सम्मान का आमंत्रण मिला। किसी भी रचनाकार की कृति को सम्मानित किया जाना उसके लिये सुखद अनुभूति है। लम्वे समय से चित्त में एकलव्य पर कलम चलाने का विचार चल रहा था। किसी विषय पर कलम चलाने से पहले उस पर होमवर्क करना आवश्यक मानता रहा हूँ। मैंने प्रत्येक लेखन के पूर्व होमवर्क किया है। इससे लेखन में विश्वसनीयता का सहज बास हो जाता है। कुरुक्षेत्र का नाता महाभारत कालीन इतिहास से रहा है। ...और पढ़े

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 12 - अंतिम भाग

एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 12 12 ब्रज चौरासी कोस यात्रा का शास्त्रों में चौरासी लाख यौनियों की बात कही गई है। आदमी का जीवन प्राप्त करने में उसे चौरासी लाख यौनियों सें होकर गुजरना पड़ता है तब कहीं उसे मानव का जीवन मिलता है। शायद इसी संकट से पार पाने के लिये हमारे ऋषियों ने चौरासी कोस की परिक्रमा का हल निकाला होगा। चौरासी खम्बा मन्दिर, चौरासी कुण्ड, चौरासी प्रमुख मन्दिर चौरासी कोस में स्थापित कर चौरासी लाख यौनियों की कहानी की पुष्टि कर दी है। जो हो इस बहाने ब्रज चौरासी कोस ...और पढ़े

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