ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। किसी भी घटनाओ का वास्तविकता से कोई सबंध नहीं है। प्रस्तावना, हेल्लो, मेरा नाम है परेश मकवाना। मेरी ये कहानी 'इश्क़ जुनून' एक गाने के ऊपर आधारित है। सन १९७६ में आई 'नागिन' फिल्म का वही लोकप्रिय गाना 'तेरे संग प्यार में..' मुझे ये गाना बहुत पसंद है। अक्षर खाली बैठे में यही गाना गुनगुनाता हु। वैसे तो ये गाना इस कहानी का केंद्रबिंदु है। या यु कहु तो ए गाना ही इस कहानी को जीवंत बनाता है। वैसे तो मेरी ये कहानी भी मेरी बाकी
Full Novel
इश्क़ जुनून - 1
ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। किसी भी घटनाओ का वास्तविकता से कोई सबंध नहीं है। प्रस्तावना, हेल्लो, मेरा नाम है परेश मकवाना। मेरी ये कहानी 'इश्क़ जुनून' एक गाने के ऊपर आधारित है। सन १९७६ में आई 'नागिन' फिल्म का वही लोकप्रिय गाना 'तेरे संग प्यार में..' मुझे ये गाना बहुत पसंद है। अक्षर खाली बैठे में यही गाना गुनगुनाता हु। वैसे तो ये गाना इस कहानी का केंद्रबिंदु है। या यु कहु तो ए गाना ही इस कहानी को जीवंत बनाता है। वैसे तो मेरी ये कहानी भी मेरी बाकी ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 2
रात को तकरीबन ग्यारह बजे तक मेने अपने मोबाइल में साउथ की एक मूवी देखी ये मेरा रोज का उसे पहले में अपना इंट्रोडक्शन देदु हेल्लो मेरा नाम है वीर, इस कहानी का एक लोता हीरो। अब कहानी में आते है। मूवी चल ही रही थी की बीच मे माया की वॉट्सऐप नोटिफिकेशन आई.. फिर मूवी को वही स्टॉप करके में माया से चेट करने लगा.. कुछ घण्टे बाद नींद से मेरी आँखें भी कहने लगी की भाई अब तो आराम करने दे और मोबाइल भी मानो बोल ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 3
ये गाना सुनकर मानो मेरा सर घूमने लगा। कुछ धुंधले धुंधले से दर्शय मानो मेरी आँखों के सामने देने लगे। उन दृश्यों में मुजे किसके चहरे तो साफ नही दिखे बस आवाजे साफ सुनाई दी। एक लड़की लाल रंग के शादी के जोड़े में किसी बंध कमरे के अंदर एक कोने में बैठी अपनी दर्दभरी सुरीली आवजो में मानो यही गाना गा रही थी। उसकी वो दर्दभरी आवाज, मानो मेरे कानों में गूंज रही। मांग मेरी शबनम ने मोती भरे ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 4
''में सच बोल रहा हु, में तुमसे प्यार नही करता..'' इतना सुनते ही वो रोते हुवे वहां से उठकर चली गई.. इधर क्लास में मेरा मन बिल्कुल नही लग रहा था। मेने माया के साथ बहुत गलत किया वो बिचारी तो.. * * * आज मेरा जन्मदिन था मेरा इक्कीसवा जन्म दिन बाबाजी ने बताया था की जब में इक्कीस साल का हो जाऊंगा तब वो आएगी, वो वापस आएंगी। मेरे जन्मदिन की पार्टी ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 5
शामको में ओर माया इस्कॉन मोल के कॉफे एरिया में एक टेबल पर आमने सामने बैठे थे। अपनी सवालभरी निगाहों से वो मुजे ही देखे जा रही थी। मैने वहाँ की खामोशी को तोड़ते हुवे उसका हाथ पकड़ते हुवे धीरे से कहा ''में भी तुमसे प्यार करता हु माया..'' ओर मानो मेरा जवाब सुनकर उसके चहेरे की वो खोई हुई हँसी वापस आ गई.. उसने मुजे हैरानी से देखा और कहा ''सच, सच मे तुमभी ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 6
''अरे बेटी घबरा क्यु रही हो में तुम्हे ये बताने आया हु की पिछली बार स्कूल में जो गाने प्रतियोगिता हुई थी ना उसमे तुम फर्स्ट आई हो'' इतना सुनते ही संध्या नामकी वो लड़की एकदम खुश हो गई, उस वक़्त दूर से ही खिड़की के बाहर खड़ा एक छोटा लड़का यानी में उसकी वो हँसी देख रहा था। उस पल, उसी घड़ी मानो उस्की वो उस प्यारी सी मुस्कान पर में अपना दिल हार गया। उस वक़्त में ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 7
''सुनो ये मरना नही चाहिए अगर ये मर गया तो में तुम सबको मार दूंगी'' तभी मेरा स्कूल का दोस्त भवानी वह आ गया दूर से ही मेने उसे संध्या को बचाने के लिए कहा वो समझ गया की में माया की पकड़ से संध्या को बचाने के लिए कह रहा हु संध्या को बचाने के लिए माया पर हमला करना होगा और वो भी पीछे से क्योंकि अगर सामने से हमला किया तो वो माया.. संध्या को जान से मार देंगी। एक बड़ा सा ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 8
वो ओर कोई नही कावेरी के क्लास का लड़का वीरा था। वीरा ठुकर साहब के दोस्त रतनसिंह का छोटा बेटा था, वैसे वीरा पर तो स्कूल की सारी लड़कियां मरती थी पर कावेरी उससे पसन्द करती थी ये बात जानकर कोई उसकी ओर देखने की भी हिमंत नही करता। आँख बनके तुझे देखती ही रहूं प्यार की ऐसी तस्वीर बन जा.. आँख बनके तुझे देखती ही रहूं प्यार की ऐसी तस्वीर ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 9
दो साल बीते, ओर इन दो सालों में वीरा और सरस्वती एकदूसरे के काफी करीब आ गए। शहर के पास में ही मोहिनी का गाव था 'लखनपुर' वहाँ पहाड़ी की चोटी के उसपार पानी की एक खूबसूरत झील हुवा करती थी। वीरा ओर सरस्वती चोरीछुपे अक्षर मिलने वहाँ जाया करते थे। ओर एकदूसरे की बाहों में बाहे डाले उस झील के उस सौंदर्य को देखते हुए एकदूसरे में खो जाते थे। ये बात मोहिनी के अलावा और कोई नहीं जानता था। एक दिन वीर से मिलने आई कावेरी ने वीरा के सामने अपने प्यार का ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 10
वीरा को बुलाने के लिए वो आधी रात को वो अपनी सुरीली आवाज में वही दर्दभरा गाना वो गाकर तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..हो..ओ..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना.. उसीकी जुबान पर ये गाना सुनकर मानो मुजे मेरा पिछला जन्म याद आने लगा.. ये कहानी फिर से पचीस साल पहले गई.. उसने जैसे बताया वैसी ही मेरे अतीत की एक के बाद एक घटनाऐ मेरी आँखों के सामने घूमने लगी मुजे मानो मेरे सारे सवालों के जवाब मिल ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 11
इधर पूरी संजीवनी हॉस्पिटल को कुछ गुंडो ने घेर के रखा था। हॉस्पिटल केे सेकेंड फ्लोर पर सात नंबर कमरा था वही कमरा जहाँ संध्या को रखा हुवा था। माया ने उन गुंडो को आदेश दिया था की जैसे ही उधर उसकी ओर वीर की शादी होगी इधर इस संध्या को जान से मार दे। हॉस्पिटल के स्टॉफ के साथ सारे पेशंट्स ओर उनके रिलेटिव्स इस वक़्त काफी हद तक डरे हुए थे। उन सबको लेजाकर एक कमरे में बंद कर दिया था। सात नंबर के कमरे में एक डॉ.तिवारी, नर्स रोमा ओर पांच खतरनाक ...और पढ़े
इश्क़ जुनून - 12 - अंतिम भाग
साथ ही हवावो ने अपना रुख बदला ओर उन हवावो में सरो के गाने की वो दर्दभरी आवाज लहराई.. हो..ओ..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना हो..ओ..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना.. तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडनानहीं तोडना हो..ओ.. तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना आ… ओ…..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना.. ...और पढ़े