माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग

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बबिता तनाव में है यह बात उसकी मां जानती थी। लेकिन बबिता इस तनाव को अपने ऊपर इतनी बुरी तरह से हावी होने देगी सीमा को यह तनिक भी पता नहीं था। आज तो बबिता ने हद ही कर दी। उसने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। वो तो बबिता से तीन वर्ष छोटी उसकी बहन ने खिड़की से ऐन वक्त पर रस्सी से उसे लटकने की कोशिश करते हुये देख लिया। तनु ने तुरंत मां सीमा को इस बात की सूचना देकर पड़ोसियों की सहायता से बबिता की जान बचायी।

Full Novel

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 1

बबिता तनाव में है यह बात उसकी मां जानती थी। लेकिन बबिता इस तनाव को अपने ऊपर इतनी बुरी से हावी होने देगी सीमा को यह तनिक भी पता नहीं था। आज तो बबिता ने हद ही कर दी। उसने फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। वो तो बबिता से तीन वर्ष छोटी उसकी बहन ने खिड़की से ऐन वक्त पर रस्सी से उसे लटकने की कोशिश करते हुये देख लिया। तनु ने तुरंत मां सीमा को इस बात की सूचना देकर पड़ोसियों की सहायता से बबिता की जान बचायी। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 2

मनोज ने गहरी सांस लेकर कहा- देखो भई! मैं तो इतना ही कह सकता हूं की तुम्हारी मां मुझसे करने के बाद मेरे परिवार का हिस्सा होगी। तुम दोनों को मैं अपनी बेटी ही पहले ही मान चूका हूं। अगर मेरे बेटे को तुम्हारी मां के रूप में उसकी मां मिल जाये और दो बड़ी बहने भी, तो इससे ज्यादा खुशी की बड़ी बात मेरे लिए क्या होगी? दोनों बहनें ध्यान से मनोज की बातें सुन रही थी। इतने में तनु ने मसखरी की- इतने में हम नहीं मानने वाले। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 3

यह वही काजल थी जो कभी राजेश से बहुत चिढ़ा करती थी। गंगाराम जब जीवित थे तब उनके गांव प्रत्येक बारह वर्ष में मनाया जाने वाला गांव गैर पुजा त्यौहार की प्रसिद्धी को करीब से अवलोकन करने मनोज अपने साथ राजेश को भी चोरल ले गये थे। वहीं दोपहर के समय पहली बार काजल ने रवि को देखा था। मनोज की आगवानी करने में गंगाराम व्यस्त हो गये। बड़े से आंगन में बहुत से महिला- पुरूष जमा थे। एक कोने में लड़कीयां फिल्मी गीतों पर नृत्य कर रही थी। गांव के ही किसी एक युवक ने जमीन पर खड़े हुये राजेश को बैठने के लिए कुर्सी दी। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 4

करोड़ो की जायदाद एक गैर आदमी के हाथों में जाती देख काजल के काका और उनके जवान बेटों ने और राजेश की शादी का विरोध कर दिया। राजेश की जाति और अनाथाश्रम में पले-बढ़े होने के कारण उसके कुटुंब का कोई अता-पता न होने का मुद्दा बनाकर उन्होंने पुरे चोरल गांव में सुषमा जी के विरूद्ध वातावरण तैयार कर दिया। राजेश का चोरल गांव में प्रवेश ही प्रतिबंधित कर दिया गया। ...और पढ़े

5

माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 5

सही है और गलत के चक्कर में आज हम इतनी आगे आ गये है सीमा। कम उम्र में शादी फिर जल्दी-जल्दी तनु और बबिता का जन्म फिर अरूण का पलायन, इन सब में तुम्हारी कोई गलती नहीं होने के बावजूद भी तुम्हें कितना बुरा समय देखना पड़ा है। आज भी तुम दूसरों के लिए ही जी रही हो। आज समय ने तुम्हें फिर से खुलकर जीने का अवसर दिया है। लोग क्या कहेंगे? ये सोचकर अपना बाकी का जीवन नष्ट मत करो। मनोज ने तर्क दिये। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 6

निकिता के इतने करीब आने की अनुमति केवल विकास को ही थी। कुछ ही पलों में निकिता विकास की में थी। विकास की सांसों की आहट से उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। विकास की हाथों की ऊंगलियां निकिता के गौर वर्ण गालों को सहला रही थी। विकास धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। यकायक निकिता ने मुस्कुराकर हाथों से अपने बालों को विकास के चेहरे पर दे मारा और उसे दूर छिड़क कर वहां से बचकर भागने लगी। विकास अपनी आंखों को मलने लगा। बालों का पानी उसकी आंखो में चला गया था। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 7

सुगंधा के पिता गणेशराम चतुर्वेदी एक सेवानिवृत्त स्कूल टीचर है। बड़े भाई संजीव चतुर्वेदी की शादी शहर के दाल (फ्रेक्ट्री) मालिक राजाराम असावा जी की बड़ी बेटी शालिनी के साथ हुई है। संजीव और शालिनी का एक वर्ष का बेटा है। संजीव शहर के अटल बिहारी वाजपेयी आर्ट एण्ड कामर्स महाविद्यालय में कॉमर्स विषय के सहायक प्राध्यापक पर अध्यापन का कार्य करते है। सुगंधा का बड़ा भाई नवीन होल्कर काॅलेज में गणित विषय की पढ़ाई कर रहा है। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 8

ऐ चुप! ऐसा नहीं कहते। नवीन ने सुन लिया तो? शालिनी ने सौम्या को डांटते हुये कहा। नवीन ने की कहीं बात सुन ली थी। उसने गैस सिलेंडर अन्दर किचन में जाकर बदल दिया और खाली वाला गैस सिलेंडर उठाकर पुनः साईकिल पर रख दिया। शेष रूपये टेबल पर रख वह जाने लगा। अरे कहां चल दिये नवीन! नाश्ता तो कर लो। शालिनी समझ चूकी थी की नवीन को सौम्या की बातें चूभ गई है। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 9

रूको रघु। गणेशराम चतुर्वेदी ने रघु के कन्धे पर हाथ रखकर कहा। ये मेरी पेंशन के रूपये है। चालिस वर्ष की सेवा में मुझे एक भी दिन ऐसा याद नहीं आता जब मैं अपने विद्यालय विलंब से गया हूं या फिर अकारण ही छुट्टी ली हो। इन पांच हजार रूपयों को पचास हजार रुपये बनाना तुम्हारे परिश्रम पर निर्भर करता है। रघु के मन पर गुरुजी ने अमिट छाप छोड़ दी थी। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 10

मां का रौद्र रूप मैंने उस दिन पहली बार ही देखा था। रत्ना ने पलंग पर सोई हुई मां गला दबाने की जैसे ही कोशीश की, मां ने उसे लात मारकर दुर फेंक दिया। जिस मान-सम्मान के पीछे मां , रत्ना की कहीं सभी बातें सुनकर सहती रही, ध्येर्य का बांध उस दिन टुट ही गया। मां उसे पीटते हुये बाहर सड़क पर ले आई। उन्होंने रहवासियों को बताया कि आज मेरी बहु ने मुझे गला दबाकर मारने की कोशिश की। मां ने खुद पुलिस बुलवाई और अपनी बहु रत्ना के विरुद्ध रिपोर्ट लिखवाई। चालाक रत्ना ने पुलिस स्टेशन पर हाथ पैर जोड़कर मां से माफी मांग ली। मां ने उसे माफ कर दिया। घर आकर उसी रात रत्ना ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट पर उसने मेरे और मां के विरूद्ध बयान लिखे। वह लेटर श्लोक के हाथ लग गया। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 11

सीमा और तनु के समझाने से भी नहीं समझने वाली बबिता अपने स्कूल में व्यस्त हो गई। आर्यन इतना अवश्य मान चूका था कि बबिता भी उसे पसंद करती है। लेकिन उसके सांवले रंग और मोटी काया के कारण उसके वैवाहिक संबंध बनते-बनते बिगाड़ गये। युवकों ने उसे सिरे से खारिज कर दिया था। किन्तु मां सीमा के विभिन्न प्रयासों और स्वयं की दृढ़ इच्छाशक्ति शक्ति के बल उसने न केवल अपने शरीर को छरहरी काया में परिवर्तित किया अपितु रूप-सौन्दर्य को सुन्दर बनाने में भी चमत्कारी कामयाबी हासिल कर ली। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 12

एक दिन सीमा को पता चला कि उसकी होने वाली सास मनोज की मां जिन्हें घर और बाहर वाले 'अम्मा' कहकर बुलाते थे, वह तीर्थ यात्रा कर घर लौट आई है। आते ही उन्होंने अपनी होने वाली बहु सीमा को देखने की ईच्छा जताई। मनोज के मुंह से उसने अम्मा के कठोर व्यवहार के किस्सें सुन रखे थे। अम्मा जी नियम-कानून का गंभीरता से पालन वाली भारतीय पुरातन संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती थी। उनके सम्मुख मनोज की बोलती बंद हो जाती थी। अम्मा जी के सम्मुख अगर कोई खुलकर बोल सकता था तो वह उनका पोता श्लोक था। श्लोक भी अम्मा जी से बहुत प्रेम करता था। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 13

जब शंशाक को मनोज जी नेमाँल की नौकरी से निकाल दिया तब शंशाक और मैंने अपना खुद का बिजनेस किया। शंशाक के बेहतर बिजनेस के लिए मैंने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। मैं शुरू से ही बहुत महत्वाकांक्षी महिला रही हूं। पेट्रोल कम्पनियों से टेंडर हासिल करने के लिए मैंने अपनी ईज्जत तक की परवाह नहीं की। फिर एक दिन मैंने यही बात शंशाक को बताई की टेंडर हासिल करने के लिए मुझे आला-अधिकारीयों के साथ पुरी रात गुजारनी पड़ी है, तब बजाये नाराज होने के उसने डायलॉग मारा- 'प्यार और जंग में सब जायज है मेरी जान महिमा।' ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 14

मुझे भी अपनी बेटीयों को तनु और बबिता जैसा भविष्य देना था। सीमा की मनोज जी से शादी हो थी। मनोज जी की अमीरी ने तनु और बबिता के दिन बदल दिये थे। मैं भी चाहती थी की अपनी दोनों बेटियों को अच्छी जिन्दगी दूं। अपने पति के इलाज में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। बेटियों को छोटी-छोटी चीजों के लिए तरसते हुये देखा है मैंने। मैंने निश्चय किया कि मेरी भी बेटियां तनु और बबिता की तरह ऐश्वर्य से जीयेंगी। ...और पढ़े

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माँमस् मैरिज - प्यार की उमंग - 15 - लास्ट भाग

रवि आंखों के इशारे से तनु को कुछ कह रहा था जिसकी भाषा केवल तनु ही जान सकती थी। ठीक है। सिर्फ एक ओके! उसके बाद मुझे जाने दोगे न! मुझेमाँम को मेहंदी लगानी है प्लीज! तनु रवि के सम्मुख गिड़गिड़ाई। ओके। चलो एक से ही काम चला लेते है। रवि ने सांत्वना प्रकट की। ...और पढ़े

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