'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) । शोकगीत लिखने की परम्परा अँग्रेजी, पर्शियन, उर्दू में अधिक रही है। शोकगीत किसी प्रिय के अवसान, निधन पर लिखे जाते रहे हैं। कभी-कभी पूर्वजों, अज्ञात शहीद लोगों के प्रति भी शोकगीत लिखे गए हैं। इन गीतों में तत्कालीन समाज भी प्रतिबिम्बित होता है। इनमें कभी उदासी तो कभी सात्विक आक्रोश का स्वर उभर कर आता है। पंडित सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की रचना 'सरोज स्मृति' एक शोकगीत है। सरोज की असमय मृत्यु ने उन्हें झकझोर दिया। अपने कविकर्म पर ही वे खीझ उठे, 'हो इसी कर्म पर वज्रपात।' गद्य में शिव प्रसाद सिंह ने अपनी बेटी के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त की हैं।
मनस्वी - भाग 1
पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (Elegiac Novelette) । शोकगीत लिखने की परम्परा अँग्रेजी, पर्शियन, उर्दू में अधिक है। शोकगीत किसी प्रिय के अवसान, निधन पर लिखे जाते रहे हैं। कभी-कभी पूर्वजों, अज्ञात शहीद लोगों के प्रति भी शोकगीत लिखे गए हैं। इन गीतों में तत्कालीन समाज भी प्रतिबिम्बित होता है। इनमें कभी उदासी तो कभी सात्विक आक्रोश का स्वर उभर कर आता है। पंडित सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की रचना 'सरोज स्मृति' एक शोकगीत है। सरोज की असमय मृत्यु ने उन्हें झकझोर दिया। अपने कविकर्म पर ही वे खीझ उठे, 'हो इसी कर्म पर ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 2
अनुच्छेद-दोमेरा ऊपर जाने का समय अभी कहाँ हुआ है? मेडिकल कालेज में दूसरा दिन। मनु के सहारे अब भी साँस ले रही है। प्रातः का समय। मनु के चेहरे पर न कोई भय, न हताशा, न कोई कराह। चेहरा दमकता हुआ। माँ ने चेहरे को धो पोंछकर चमका दिया है। मनु अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से सबको देखती है। अपनी इच्छानुसार करवट न बदल पाने का थोड़ा सा दुख उसे होता है पर उसे झेलती हुई माता-पिता को प्रसन्न देखना चाहती है। उसके दिमाग की रील फिर चलने लगी। 'मम्मी तुमने नाश्ता ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 3
अनुच्छेद- तीन दुनिया को ठीक से चलाओ तीसरा दिन । प्रातः का समय। वार्ड की सफाई में सफाई कर्मी लगे हैं। मनु के पापा घर गए हुए हैं। मम्मी नित्यकार्य से निवृत्त हो मनु के पास आकर स्टूल पर बैठ जाती है। मनु अभी सो रही है। सफाई कर्मियों की खटपट से धीरे-धीरे उसकी आँख खुलती है फिर बन्द हो जाती है। अभी जैसे नींद पूरी नहीं हुई है। पर अब बहुत से लोग जग चुके हैं। आना-जाना बढ़ गया है। मनु भी आँख खोल देती है। ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 4
अनुच्छेद-चार जिन्दगी पतंग की तरह कट जाए तो ? अस्पताल में भी एक तरह की अनाशक्ति पनप जाती है। रोज कितने ही लोग भर्ती होते हैं, कितने ही उससे बाहर होते हैं। रोज कितनी ही मौतें हो जाती हैं। जब किसी वार्ड में पड़े हुए किसी आदमी की मौत हो जाती है तो थोड़ी देर के लिए वातावरण जरूर बोझिल हो जाता है। जैसे ही वह शव बाहर हो जाता है, ऐसा लगता है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं। उसी बिस्तर पर चद्दर बदल दिया ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 5
अनुच्छेद-पाँच देर करने की छोड़ो भगवान जी ! आपात कक्ष का दरवाजा खुला है। सफाई कर्मचारी कमरे की फर्श पर पोंछा लगा चुके हैं। वातावरण में दवाइयों की गन्ध। मनु अभी सो रही है। उसकी माँ जल्दी-जल्दी स्नान कर तैयार हो गई है। एक बार मनु को झाँकती है। वह अभी सो रही है। इसीलिए माँ भी थोड़ी निश्चिन्त है। मनु के पापा दो कप चाय लेकर आते हैं। एक मनु की माँ को देते हैं एक स्वयं धीरे-धीरे पीते ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 6
अनुच्छेद-छह तुम खुश रहो माँबच्चों के उस आपात् कक्ष कई बच्चे लेटे हैं। उनके माँ बाप इधर उधर भागते हुए दिखते हैं। हर एक के माता-पिता यही आशा लगाए हुए हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ हो जाएगा। डॉक्टर भी अन्त तक आशा बँधाते हैं। अचानक जब किसी की डोरी कट जाती है, वे भी मौन हो जाते हैं। कहते हैं, यही भगवान की इच्छा थी। जिसके बारे में हम कुछ नहीं कर सकते, उसे भगवान पर छोड़ देते हैं। डॉक्टर भी यही कहते हैं ऊपर वाले पर किसी का ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 7
अनुच्छेद-सात क्या छोटे बच्चे रामजी होते हैं? मनु का बिस्तर साफ है। माँ उसको साफ रखने के लिए निरन्तर कुछ न कुछ करती रहती है। एक चद्दर ओढ़े मनु लेटी हुई है। उसके दाएँ किनारे एक गुलाबी रंग की रोयेंदार तौलिया तह करके रखी है। पापा चारपाई से स्टूल सटाकर बैठे हैं। मनु की आँखें बंद हैं। साँस धीरे-धीरे चल रही है। पिता की आँखों में भी मनु के स्वस्थ होने का स्वप्न उग रहा है। उनका भी मन उड़ान भरता है। जरूर ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 8
अनुच्छेद-आठ मैं देर से सो रही हूँ पापा ?दोपहर समय। मनु सो गई है। चेहरा दीप्त। सुघर बड़ी आँखें बंद हैं। धनुषाकार भौंहें। सपने में वह घर पहुँच जाती है। बाबा के साथ परिसर में घूम रही है।'बाबा.....''कहो ।''कपड़ा खरीदने के लिए....।''रूपये चाहिए ?''हाँ ।''बैंक से निकाल लूँ। फिर ले लेना।'खुश हो जाती है वह ।'बाबा...।''किताब भी खरीदना है, कापियाँ भी।''खरीद लेना ।''बाबा, एक बात कहूँ।''कहो...।''घर की पुताई हो जाय तो घर अच्छा लगेगा।''पुताई हो जाय?''हाँ बाबा।''बरसात के बाद ।''ठीक है। बाबा रूपया कम हो तो बाहर बाहर ही ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 9
अनुच्छेद-नौ अब तंग नहीं करूँगी माँ शाम का समय। नर्स अभी मनु के पास से गई है। मनु से पूछा भी था उसने, 'अब तो तुम ठीक हो न' । 'हाँ' मनु ने उत्तर दिया। मनु कुछ अधिक प्रफुल्लित है आज। उसे लगता है कि वह स्वस्थ हो जाएगी। माता-पिता भी आशान्वित हैं। माँ आज प्रसन्न दिखती है। मनु कहती रहती है, 'माँ खुश रहो। मुझे स्वस्थ होने में अब समय नहीं लगेगा। रामजी देख रहे हैं न ? वे नंगे पाँव चल कर ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 10
अनुच्छेद-दस हर बच्चा माँ बाप के लिए जरूरी हैरात आठ बजे समय। पिता मनु के बिस्तर से सटे बैठे हैं। माँ मनु के कपड़े बदलवाने के बाद उसे साफ करने के लिए गई है। पापा को पैसे के लिए पुनः घर जाना है। वे मनु को निहारते हैं। पूछते हैं 'बेटे ठीक हो न, कोई तकलीफ तो नहीं है।'' नहीं पापा, ठीक हूँ। साँस भी ठीक चल रही है।' उसके पिता माथे को सहलाते हैं। उम्मीद है कि मनु ठीक हो जाएगी। 'ठीक होते ही घर चलेंगे बेटे।' 'ठीक है पापा, ...और पढ़े
मनस्वी - भाग 11
अनुच्छेद-ग्यारह चिड़िया उड़ गईरात का पिछला प्रहर। की गति थोड़ी तेज हो गई है। मनु की भी साँस बढ़ गई है। माँ की आँख खुलती है। वह जाकर मनु को देखती है। मनु की बढ़ी साँस देखकर नर्स को बताती है। नर्स को भी झपकी लग गई थी। झटके से उठती है। आकर मनु को देखती है। आक्सीजन लगाती है। साँस कुछ नियमित होती है। 'मुझे बचा लेना भगवानजी।' मनु के मुख से निकलता है। माँ विचलित हो जाती है। नर्स डॉक्टर को बुला ...और पढ़े