बारिश की बूंदें और वो

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यह कहानी है अनायास हुई मुलाकात की, जिसमें दो जीवन एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। बारिश की बूँदें जब धरती पर गिरती हैं, तो कई यादें, एहसास और सपने भी संग लाती हैं। इस कहानी में, हम मिलेंगे आदित्य और स्नेहा से, जिनकी जिंदगी के रास्ते अचानक एक बस स्टॉप पर मिलते हैं। { मुलाकात } बारिश की पहली बूँदें गिरने लगी थीं, और आदित्य अपने ऑफिस से घर लौटने के लिए बस का इंतज़ार कर रहा था। चारों ओर हल्की हलचल थी, लोग बारिश से बचने के लिए अपनी-अपनी छतरियाँ खोले खड़े थे। अचानक, कड़कती बिजली के साथ बूँदों की बौछार हुई और हर तरफ हरियाली बिखर गई। इस मौसम में जैसे सब कुछ नई ऊर्जा से भर गया हो।

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 1

यह कहानी है अनायास हुई मुलाकात की, जिसमें दो जीवन एक दूसरे से जुड़ जाते हैं। बारिश की बूँदें धरती पर गिरती हैं, तो कई यादें, एहसास और सपने भी संग लाती हैं। इस कहानी में, हम मिलेंगे आदित्य और स्नेहा से, जिनकी जिंदगी के रास्ते अचानक एक बस स्टॉप पर मिलते हैं। { मुलाकात } बारिश की पहली बूँदें गिरने लगी थीं, और आदित्य अपने ऑफिस से घर लौटने के लिए बस का इंतज़ार कर रहा था। चारों ओर हल्की हलचल थी, लोग बारिश से बचने के लिए अपनी-अपनी छतरियाँ खोले खड़े थे। अचानक, कड़कती बिजली के साथ ...और पढ़े

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 2

पहली बातचीत जब वे बातें कर रहे थे, आदित्य ने जाना कि स्नेहा एक डिज़ाइनर है और अपने करियर बहुत सफल है। उनकी सोच और विचारधारा में एक गहरी समानता थी। बातचीत में समय का पता ही नहीं चला। "क्या आप अक्सर यहाँ बस का इंतज़ार करते हैं?" स्नेहा ने पूछा। "जी हाँ, लेकिन आज तो बस के आने में काफी समय है," आदित्य ने हंसते हुए कहा। इस अनपेक्षित मुलाकात ने दोनों के दिलों में एक नया एहसास जगा दिया। पहली बातचीत जब वे बातें कर रहे थे, आदित्य ने जाना कि स्नेहा एक डिज़ाइनर है ...और पढ़े

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 3

पहली डेट कुछ दिनों बाद, आदित्य और स्नेहा ने फिर से मिलने का निश्चय किया। दोनों ने एक कैफे मिलने का तय किया, जहाँ बारिश की बूंदें खिड़की पर गिर रही थीं और मौसम बहुत खुशनुमा था। जैसे ही आदित्य कैफे में पहुँचा, उसने स्नेहा को एक कोने की टेबल पर बैठा देखा, जहाँ वह अपनी कॉफी का आनंद ले रही थी। "आप यहाँ पहले से ही आ गईं?" आदित्य ने कहा, उसकी आँखों में चमक थी। "हाँ, मैंने सोचा कि मैं थोड़ी देर पहले आ जाऊँगी, ताकि मौसम का मजा ले सकूँ," स्नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। ...और पढ़े

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 4

भावनाओं का जाल जैसे-जैसे समय बीतता गया, आदित्य और स्नेहा की दोस्ती और गहरी होती गई। हर हफ्ते की उनके बीच एक अनजानी खींचाव पैदा कर रही थीं। दोनों ने अपने-अपने जीवन के बारे में और अधिक साझा किया, जो उनके रिश्ते को और मजबूत बना रहा था। लेकिन इस गहरी दोस्ती के साथ-साथ आदित्य के दिल में एक और भावना भी पनप रही थी—प्यार। आदित्य को यह समझ में आ रहा था कि उसके दिल में स्नेहा के लिए एक गहरा आकर्षण है। उसकी मुस्कान, उसकी हँसी, और उसकी बातें सब कुछ आदित्य के मन में बसने लगे ...और पढ़े

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 5

अनसुलझी भावनाएँ एक दिन, स्नेहा ने आदित्य से पूछा, "क्या आप अपने जीवन में खुश हैं?" "कभी-कभी," आदित्य ने "लेकिन क्या यह खुशियाँ हमेशा रहती हैं? शायद नहीं।" उसने अपने मन की असंतोष को छुपाने की कोशिश की, लेकिन उसके चेहरे पर एक स्पष्ट चिंता की छवि थी। स्नेहा ने उसे देखा, उसकी आँखों में सवाल थे। "क्या आप कभी अपने जीवन के बारे में सोचते हैं, अपने सपनों और इच्छाओं के बारे में? क्या आप सोचते हैं कि क्या आपकी शादी आपकी खुशी में योगदान दे रही है?" आदित्य ने सिर झुकाया। "मैं यह सोचता हूं, लेकिन यह ...और पढ़े

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 6

तकरार एक दिन, आदित्य ने स्नेहा से गंभीरता से कहा, "क्या हम इसे खत्म कर दें? यह सब कुछ नहीं है।" स्नेहा की आँखों में आंसू आ गए। "लेकिन मैं आपको चाहती हूँ," उसने कहा, उसकी आवाज़ हलकी थी। "क्या हमें अपने दिल की सुननी चाहिए? क्या यह इतना आसान है कि हम एक-दूसरे को छोड़ दें?" आदित्य ने उसे देखा, और उसके मन में द्वंद्व उभरने लगा। वह स्नेहा को खोना नहीं चाहता था, लेकिन उसे अपनी ज़िम्मेदारियों का भी ख्याल था। "मैं समझता हूँ, लेकिन यह सब कुछ इतना जटिल है। मेरा परिवार है, मेरी पत्नी है। ...और पढ़े

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