स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे?

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माँ के आहार-विहार व विचारों से गर्भस्थ शिशु पोषित व संस्कारित होता है। जगत में कुछ भी असम्भव नहीं है। प्रत्येक गर्भवती महिला अपने यहाँ श्रीरामचन्द्रजी, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, कबीरजी, तुलसीदास जी, गार्गी, मदालसा, शिवाजी, आल्बर्ट आइन्स्टाइन, सर आइजैक न्यूटन, मेरी क्युरी, सरोजिनी नायडू, कल्पना चावला, रतन नवल टाटा, श्री नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, "स्टीव" जॉब्स, बिल गेट्स, इलॉन मस्क, लता मंगेशकर जैसी महान विभूतियों को जन्म दे सकती है। प्रत्येक दम्पत्ति को गम्भीरता से सोचना चाहिए कि अपनी लापरवाही से गर्भ में संस्कार न देकर शिशु उत्पन्न करना समाज व राष्ट्र के लिए कितना अहितकारी साबित हो सकता है।

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 1

माँ के आहार-विहार व विचारों से गर्भस्थ शिशु पोषित व संस्कारित होता है। जगत में कुछ भी असम्भव नहीं प्रत्येक गर्भवती महिला अपने यहाँ श्रीरामचन्द्रजी, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, कबीरजी, तुलसीदास जी, गार्गी, मदालसा, शिवाजी, आल्बर्ट आइन्स्टाइन, सर आइजैक न्यूटन, मेरी क्युरी, सरोजिनी नायडू, कल्पना चावला, रतन नवल टाटा, श्री नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स, इलॉन मस्क, लता मंगेशकर जैसी महान विभूतियों को जन्म दे सकती है। प् ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 2

गर्भ धारण संस्कार क्या है?गर्भ संस्कार को समझने के साथ साथ गर्भ धारण संस्कार को समझाना भी जरुरी है, की प्रक्रिया गर्भधारण (conceive) करने के साथ ही शुरू हो जाती है। यह संस्कार सबसे महत्वपूर्ण होता है। शिशु का गर्भ में आना कोई आकस्मिक घटना (accidental) ना होकर एक पूर्व नियोजित कार्यक्रम (Planned Program) होना चाहिए, पति पत्नी के समागम के समय की मनस्थिति पर निर्भर होता है कि किस प्रकार की आत्मा का गर्भ में प्रवेश होगा।विवाह के बाद पति और पत्नी को मिलकर अपने भावी संतान के बारे में सोच विचार करना चाहिए। बच्चे के जन्म के ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 3

नौ माह के संस्कारों पर निर्भर शिशु के जीवन की रचनानौ माह में माँ जितना आनंदमय जीवन जीती है प्रमाण में शिशु को उसके जीवन में आनंद प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए अगर नौ माह में माँ ने केवल 7 महीने आनंद में बिताये हो, और मान लो यह शिशु बड़ा होकर 90 वर्ष तक जीवन जिए, तो उसके जीवन का 70 वर्ष का जीवन वह आनंदमय बितायेगा। इस तरह माँ नौ माह में जितना सकारात्मक जीवन जीती है, उतना ही सकारात्मक जीवन शिशु का गर्भ में निश्चित हो जाता है। अब इसे हम और अच्छे ढंग से ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 4

गर्भस्थ शिशु से क्या बाते करें? कैसे बात करें?हमारे पास दो मन है। एक हमारा बाह्य मन (Conscious Mind) दूसरा हमारा अंतर्मन (Sub & conscious Mind)। जिसे हम जागृत मन एवं अर्धजागृत मन के नाम से भी जानते है। हमारा बाह्य मन हमारे जागते हुए कार्य करता है. परंतु अर्धजागृत मन 24 घंटे कार्यरत रहता है। बाह्य मन से सोची प्रत्येक बात जीवन में सच हो यह आवश्यक नहीं, परंतु अंतर्मन में जो बात स्थापित हो जाये वह जीवन में सत्य हो कर ही रहती है क्योंकि हमारा अंतर्मन वैश्विक मन (Cosmic Mind या परमात्मा) से जुड़ा रहता है। ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 5

गर्भस्थ शिशु से बात करने का तरीकाशिशु को कहानी सुनाना : "मेरे प्यारे शिशु! मैं तुम्हारी माँ हूँ, तुम गर्भकाल का आनंद लो, गर्भवास के बाद तुम्हारे सुन्दर प्यारे मुखडे को मैं देख पाऊँगी, लो मैं तुम्हें बचपन का एक किस्सा सुनाती हूँ। आज मैं आपको अपने बचपन की एक कहानी सुनाती हूं। होली का दिन था हम सब बच्चे पूरे जोश में थे, पापा कहीं बाहर गए हुए थे. लेकिन ठीक होली के दिन उनका वापस आना हुआ, तो हमारा जोश चौगुना हो गया। ढेर सारी मिठाइयां और रंग लेकर आए। मेरी रंग में कोई रुचि नहीं होती, ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 6

गर्भ संस्कार–1 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)(शिशु को जीवन लक्ष्य के प्रति सजग करना)मेरे प्यारे शिशु मेरे राज मैं तुम्हारी माँ हूँ माँ! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, तुम मेरे गर्भ में पूर्ण रूप से सुरक्षित हो, तुम हर क्षण पूर्ण रूप से विकसित हो रहे हो। तुम मेरे हर भाव को समझ सकते हो क्योंकि तुम पूर्ण आत्मा हो। तुम परमात्मा की तरफ से मेरे लिए एक सुन्दरतम तोहफा हो, तुम शुभ संस्कारी आत्मा हो, तुम्हारे रूप में मुझे परमात्मा की दिव्य संतान प्राप्त हो रही है, परमात्मा ने तुम्हें सभी विलक्षण गुणों से परिपूर्ण करके ही ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 7

गर्भ संस्कार — 2 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)(शिशु में भावनात्मक और आध्यात्मिक गुणों का विकास)मेरे प्यारे शिशु, बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूँ …… माँ!आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ महानतम गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हें परमात्मा का अनमोल उपहार हैं प्रेम स्वरूप परमात्मा का अंश होने के कारण तुम्हारा हृदय भी प्रेम से भरपूर है, तुम्हारी हर अदा में परमात्मा का प्रेम झलकता है। तुम्हारे हृदय में सम्पूर्ण मानवमात्र के प्रति समभाव है। तुम्हारा हृदय सबके लिए दया और करुणा से भरपूर रहता है। क्षमाशीलता के गुण के कारण सभी तुम्हारा सम्मान करते हैं, ...और पढ़े

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 8

गर्भ संस्कार-3 (गर्भवती माँ द्वारा बच्चे से बातचीत)(शिशु के भौतिक गुणों का निर्धारण)(नोट-यहाँ बच्चे के शारीरिक गुणों को परिभाषित गया है, लेखक ने अपने हिसाब से गुण लिखे हैं, आप अपने हिसाब से जैसा चाहे गुण बदल सकती है। शिशु को संस्कार देने के लिए मन को शांत कर लें और निचे लिखे शब्दों को मन ही मन दोहराएँ)मेरे प्यारे शिशु, मेरे बच्चे, मैं तुम्हारी माँ हूं…… माँ! आज मैं तुम्हे तुम्हारे कुछ भौतिक गुणों की याद दिला रही रही हूँ जो तुम्हे परमात्मा का अनमोल उपहार हैं परम तेजस्वी ईश्वर का अंश होने के कारण तुम्हारे मुख पर ...और पढ़े

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