स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे?

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प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में मनुष्य के लिए जन्म से मृत्यु तक सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है। इनमें गर्भ संस्कार भी एक प्रमुख संस्कार माना गया है। चिकित्सा विज्ञान यह स्वीकार कर चुका है कि गर्भस्थ शिशु किसी चैतन्य जीव (Conscious entity) की तरह व्यवहार करता है तथा वह सुनता और ग्रहण भी करता है। माता के गर्भ में आने के बाद से गर्भस्थ शिशु को संस्कारित किया जा सकता है तथा दिव्य संतान (Divine Baby) की प्राप्ति की जा सकती है। गर्भ संस्कार यानी आधुनिक विज्ञान व परंपरागत संस्कृति, इन दोनों का समायोजन। गर्भस्थ शिशु की शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक परिस्थिति का मार्गदर्शन व गर्भस्थ शिशु संस्कार को ही गर्भ संस्कार कहते हैं।

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स्वस्थ, सुंदर, गुणवान, दीर्घायु-दिव्य संतान कैसे प्राप्त करे? - भाग 1

माँ के आहार-विहार व विचारों से गर्भस्थ शिशु पोषित व संस्कारित होता है। जगत में कुछ भी असम्भव नहीं प्रत्येक गर्भवती महिला अपने यहाँ श्रीरामचन्द्रजी, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, कबीरजी, तुलसीदास जी, गार्गी, मदालसा, शिवाजी, आल्बर्ट आइन्स्टाइन, सर आइजैक न्यूटन, मेरी क्युरी, सरोजिनी नायडू, कल्पना चावला, रतन नवल टाटा, श्री नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, क्रिस्टियानो रोनाल्डो, स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स, इलॉन मस्क, लता मंगेशकर जैसी महान विभूतियों को जन्म दे सकती है। प् ...और पढ़े

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