पहली महिला :- दूसरी महिला से,,,,,सुना है बहन जी इनकी बेटी कल से घर नही आई है ,अरे उसके बाप ने देखो तो कितना खर्च किया है उसके लिए, और बेटी का कोई पता ठिकाना नहीं है कहां गई ,कल से उसका बाप गलीयो की खाक छान रहा है प्रश्र अभी तक कोई खबर नहीं है कि कहा है कहां नहीं। दूसरी महिला :- मुंह बनाते हुए,,,,सुना तो हमने भी यही है ,,पर इसमें गलती भी तो इनकी खुद की है। मैं तो पहले ही कहती थी कि बेटी को इतना सिर पर मत बैठा यो अब देर रात तक बेटियों को आवारागर्दी कराओगे उसे छोटे छोटे कपड़े पहनाओगे तो भला किसकी नियत ना डगमगाये। तीसरी महिला :- देखा बहन जी मैं कहती थी ना लड़कियों को इतनी छोट नही देनी चाहिए अब रोने से क्या फ़ायदा अरे पर निकल आए होंगे पर फैलाकर कहीं उड़ गई होगी,अब ना आयेगी वापस।
ख्वाहिश,,,,कत्ल उम्मीदों का - भाग 1
पहली महिला :- दूसरी महिला से,,,,,सुना है बहन जी इनकी बेटी कल से घर नही आई है ,अरे उसके ने देखो तो कितना खर्च किया है उसके लिए, और बेटी का कोई पता ठिकाना नहीं है कहां गई ,कल से उसका बाप गलीयो की खाक छान रहा है प्रश्र अभी तक कोई खबर नहीं है कि कहा है कहां नहीं।दूसरी महिला :- मुंह बनाते हुए,,,,सुना तो हमने भी यही है ,,पर इसमें गलती भी तो इनकी खुद की है। मैं तो पहले ही कहती थी कि बेटी को इतना सिर पर मत बैठा यो अब देर रात तक बेटियों ...और पढ़े
ख्वाहिश,,,,कत्ल उम्मीदों का - भाग 2
पूरे रास्ते अपने बेटी के बारे में सोचकर; सोचकर सुखविंदर जी का दिल बैचेन हो रहा था ।बाहर से खुद को शांत और मजबूत रखने की जद्दोजहद में लगे हुए थे पर आख़िरकार उनके अंदर भी तो एक बाप का दिल था,जो किसी अनहोनी के डर से विचलित हो रहा है।कभी खुद को दिलासा देते कि उनकी बेटी सही सलामत होगी तो वहीं दूसरी तरफ़ भगवान से मन ही मन प्रार्थना कर रहे थे।इसी जद्दोजहद में सुखविंदर जी पुलिस स्टेशन पहुँच जाते हैं कुछ दूरी चलने के बाद वह जैसे ही स्टेशन के अंदर कदम रखते हैं, तो अंदर ...और पढ़े
ख्वाहिश,,,,कत्ल उम्मीदों का - भाग 3
भाग 3सुखविंदर जी अलका जी को समझा कर और हिम्मत रखने का बोल कर खुद पुलिस स्टेशन के लिए गये थे। अलका जी ने सुखविंदर जी को तो बोल दिया था कि वह हिम्मत से काम लेंगी,,पर उनके लिए खुद को शांत रखना मुश्किल हो रहा था। एक मां कैसे शांत बैठ सकती है जब तक उनकी बेटी की कोई ख़बर नहीं मिल जाती। अलका जी की बहन भी आ गई थी। और जब से वह आई थी अलका जी को हिम्मत बंधा रही थी। उन्हें दिलासा देने की कोशिश कर रही थी।पर एक मां के लिए दुनिया की ...और पढ़े
ख्वाहिश,,,,कत्ल उम्मीदों का - भाग 4
भाग 4जहां एक ओर पुलिस थाने से इंस्पेक्टर द्वारा सुखविंदर जी को जबर्दस्ती भेज दिया गया था तो वही ओर रिश्तेदारों के ताने सुन रही अल्का जी को रह रह कर जब भी अपनी बेटी की याद आती उनकी आँखों से आँसू छलक पड़ते है।काफी समय ऐसे ही बीत जाने के बाद सुखविंदर जी थके हुए कदमों से घर को आ रहें थे।अल्का जी को बाहर की ओर से आते हुए देख लेती है वह जैसे ही सुखविंदर जी को देखती है।तो बिना किसी देरी के भागी भागी सुखविंदर जी के पास पहुँच जाती है। वह घर के अंदर ...और पढ़े