इस कहानी की शुरुवात होती है एक घनी अंधेरी रात से, जहाँ एक आदमी बड़ी तेजी से जंगल के अंदर वाले रास्ते पर चला जा रहा था। अचानक से उसे कुछ आहट सुनाई दी। उसने इधर उधर देखा पर उसे कुछ दिखाई नहीं दिया। एक तो जंगल, और ऊपर से घना अंधेरा। किसी को भी ऐसे मे डर लग सकता है। आहट सुनने के बाद वो आदमी और तेजी से चलने लगा। उसे अब बहुत ज्यादा घबराहट होने लगी थी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका कोई पीछा कर रहा हो। वो अचानक से दौड़ने लगा। वो थोड़ा आगे पहुंचा ही था की अचानक से झाड़ियों से एक जानवर निकलकर बाहर आया और उसपर हमला कर दिया। वो आदमी कुछ समझ पाता उससे पहले ही उस जानवर ने उसे जान से मार दिया। देखते ही देखते वो जानवर उस आदमी को लेकर जंगल मे कहीं गायब हो गया।

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Shadow Of The Packs - 1

इस कहानी की शुरुवात होती है एक घनी अंधेरी रात से, जहाँ एक आदमी बड़ी तेजी से जंगल के वाले रास्ते पर चला जा रहा था। अचानक से उसे कुछ आहट सुनाई दी। उसने इधर उधर देखा पर उसे कुछ दिखाई नहीं दिया। एक तो जंगल, और ऊपर से घना अंधेरा। किसी को भी ऐसे मे डर लग सकता है। आहट सुनने के बाद वो आदमी और तेजी से चलने लगा। उसे अब बहुत ज्यादा घबराहट होने लगी थी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका कोई पीछा कर रहा हो। वो अचानक से दौड़ने लगा। वो थोड़ा ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 2

अगले दिन कॉलेज में खबर आती है की रोहन की मौत हो गई है। लोगों का कहना था की जानवर ने उस पर हमला करके उसे मार दिया। ये रोहन वही लड़का था जिसने एक दिन पहले विक्रांत पर हाथ उठाया था । ये खबर कॉलेज में आग की तरह फैल जाती है। किसी को समझ नही आ रहा था की अचानक ऐसा कैसे हो गया! सब सोच में पड़ गए की ये किस जानवर का काम होगा? वैसे रोहन के घर पर एक कुत्ता था। मगर वो उसका पालतू कुत्ता था। वो रोहन पर हमला तक नही करता ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 3

कॉलेज पहुंचने पर विक्रांत को सब लोग ऐसे देख रहे थे जैसे उसने कुछ गलत कर दिया हो । ने सुप्रिया को देखा और उसके पास जाकर पूछा, “सुप्रिया...! ये सब लोग मुझे ऐसे घूर घूर कर क्यों देख रहें हैं?” सुप्रिया ने पहले तो सभी लोगों की तरफ देखा, और फिर विक्रांत की तरफ देखते हुए बोली, “विक्रांत वो जो रोहन के साथ हादसा हुआ ना! उससे सबको ऐसा लग रहा है जैसे इसमेे कहीं ना कहीं तुम्हारा हाथ है!” “पर यार मैं ऐसा क्यों करूंगा? न्यूज और पेपर में भी बताया और दिखाया गया है की रोहन ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 4

जिन दो पुलिस वालो पर उस जानवर ने हमला किया था, उनमे से एक पुलिस वाला जिंदा बच गया उस पुलिस वाले की सारी बात सुन लेने के बाद, जोसेफ गोम्स ने वॉकी टॉकी पर सभी लोगों को सावधान करते हुए कहा, “सभी लोग मेरी बात ध्यान से सुनो। किसी जानवर ने हमारे एक साथी पर हमला कर दिया है और उसे अपने साथ ले गया है। हमे किसी भी हाल में उसे ढूंढना होगा। सभी लोग जंगल मे चारों तरफ फैल जाओ और किसी भी हालत मे उसे ढूंढो। सभी लोग चौकन्ने रहना, वो जानवर कहीं भी हो ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 5

तान्या और उसकी दोस्त के वहां से जाने का बाद, विक्रांत भी कैंटीन से जाने ही वाला था की वहां सुप्रिया आ जाती है। “अरे अचानक कहां चल दिए? अभी तो मैं आई हूं और तुम जा रहे हो! क्या हुआ? तुम्हारा मूड ठीक नही लग रहा बात क्या है!” सुप्रिया , विक्रांत को देखते हुए पूछती है। उसने देखा की रूद्र कुछ upset सा लग रहा था।“अरे कुछ नही यार, मैं यहां बैठकर आराम से सैंडविच खा रहा था की तभी दो लड़कियां आईं और मेरे सामने बैठ गई। वो आगे होकर मुझसे बात करने लगी और मेरे ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 6

एक तरफ जहां जंगल मे उस आदमखोर जानवर को पड़ने मे नाकामयाब होने और कुछ पुलिस वालो की जान को लेकर कमिशनर साहब जोसेफ गोम्स और पवन कुमार को झाड़ने मे लगे हुए थे। वहीं दूसरी तरफ विक्रांत अपने घर में आराम से सो रहा होता है की तभी उसको भयानक सा सपना आता है। उस सपने मे एक भयानक सा जानवर था जो किसी इंसान को मारकर खा रहा था। वो जानवर बहुत ही भयानक लग रहा था। लंबे लंबे दांत, बड़े बड़े नाखून। सपने में ये सब देखकर विक्रांत की नींद खुल जाती है। विक्रांत नींद से ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 7

वहीं दूसरी तरफ जोसेफ गोम्स और पवन कुमार कमिशनर के ऑफिस से बाहर निकलने के बाद वापस हॉस्पिटल के निकल गए। हॉस्पिटल पहुंचने के बाद जोसेफ गोम्स और पवन कुमार सूर्यकांत से मिलने के लिए उसके वार्ड की तरफ जाने लगे। सूर्यकांत के वार्ड में पहुंचकर उन्होंने देखा की सूर्यकांत के हाथ का ऑपरेशन हो चुका था। सही टाइम में हॉस्पिटल पहुंचने से सूर्यकांत के हाथ का ऑपरेशन हो गया नही तो उसका हाथ काटना पड़ जाता।“सूर्यकांत कैसे हो तुम ! ठीक तो हो ना?” पवन कुमार ने सूर्यकांत एस पूछा। “सर मैं ठीक हूं। आप बताइए उस केस ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 8

थोड़ी देर बाद पवन कुमार और जोसेफ गोम्स, कमिशनर के ऑफिस पहुंच जाते हैं। “आ गए तुम दोनो! तुम मुझे ये बताओ, जो तुमने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, वो सच भी है या कोई वाहियाद मजाक है? मुझे तुम दोनो से ये उम्मीद नहीं थी। मैने तुम दोनो को ये केस इसलिए दिया था क्योंकि मुझे तुम दोनो पर पूरा भरोसा था। पर तुम दोनो मेरी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। मुझे लग रहा है मैने तुम दोनो को ये केस देकर बहुत बड़ी गलती कर दी।” कमिशनर ने पवन कुमार और जोसेफ गोम्स को सुनाते हुए कहा। ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 9

उधर दूसरी तरफ कमिशनर जयराज सिन्हा बड़ी टेंशन में अपने ऑफिस मे बैठे होते हैं की अचानक उन्हें कुछ आता है। वो किसी को फोन लगाने लगते हैं। “हेलो...! मेरी बात ध्यान से सुनो। यहां पर एक प्रोब्लम हो गई है। हम सबको जल्द से जले मिलना होगा। तुम सबको इनफॉर्म कर दो की अर्जेंट मीटिंग है। आज रात को सबको मिलना होगा। मुझे लगता है की हमारे दुश्मन यहां वापस आ गए हैं।” इतना कहकर जयराज सिन्हा ने फोन रख दिया।थोड़ी देर बाद फिर से जयराज सिन्हा किसी को फोन लगाने लगता है। “विकाश...! तुम मेरी बात ध्यान ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 10

दूसरी तरफ जोसेफ गोम्स और पवन कुमार से मिलने के लिए विकास पुलिस स्टेशन पहुंच गया था। “हेलो सर विकास वर्मा। कमिशनर साहब ने मुझे आपके पास भेजा है।” विकास ने जोसेफ गोम्स और पवन कुमार से कहा। “कमिशनर साहब ने बताया था की तुम पहले भी ऐसे केस पर काम कर चुके हो?” जोसेफ गोम्स ने विकास से पूछा। “जी हां सर, मै ऐसे दो केस पर पहले भी काम कर चुका हूं।” विकास ने जोसेफ गोम्स और पवन कुमार की तरफ देखते हुए कहा। “क्या तुम उन दोनो केस के बारे मे हमे कुछ बता सकते हो?” ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 11

लगभग 3 घंटे चलने के बाद सुप्रिया और उसके सभी दोस्त कैंपिंग वाली जगह पर पहुंच गए। जब उन्होंने जगह को देखा तो सबकी आंखें खुली की खुली रह गई। एक सुंदर सा तालाब जंगल के बिचो बीच और उसके आस पास बहुत सारे रंग बिरंगे खूबसूरत फूल। और तालाब मे तैरते खूबसूरत हंस के जोड़े। इतना खूबसूरत नजारा देख कर तो सबको यकीन ही नहीं हो रहा था की इतनी खूबसूरत जगह भी इस जंगल के बीचों बीच मौजूद है। ये नजारा देखकर ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग में आ गए हों।सभी लोगों ने अपने अपने बैग ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 12

पुलिस को खबर मिलते ही कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंच जाती है। पवन कुमार और जोसेफ गोम्स वहां आए हुए थे। पवन कुमार ने अमित को अपने पास बुलाया और वहां जो कुछ भी हुआ था उसके बारे मे पूछने लगे।“सर हम सब दोस्त यहां कैंपिंग के लिए आए थे। हम सब अपने तंबू में सो रहे थे की मुझे अचानक अजीब सी आवाजे सुनाई देने लगी। जब मैंने तंबू से बाहर आकर देखा तो दो भयानक से राक्षस जैसे दिखने वाले जानवरों के बीच लड़ाई हो रही थी। मेरी नजर जब रूपाली और सुप्रिया पर गई ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 13

वहीं दूसरी तरफ अमित को नही पता था की विक्रांत जिंदा है। उसे ये लग रहा था की विक्रांत मार चुका था। उसे यही लग रहा था की उन जानवरों ने विक्रांत को भी मार दिया होगा। अमित ने पुलिस को अपने बयान में भी यही बताया था। इसलिए पुलिस विक्रांत की लाश की तलाश करने में लगी हुई थी। अमित के बयान के हिसाब से उसने विक्रांत पर हमला होते हुए नही देखा था इसलिए पुलिस को भी पक्का पता नही था की विक्रांत जिंदा है या मर चुका है!अमित हॉस्पिटल में सुप्रिया के पास बैठा था की ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 14

तीन दिन बाद सुप्रिया को होश आ गया और वो खून की प्यास के कारण तड़पने लगी। उसने एक को पकड़ा और उसके गले में काटने ही वाली थी की विक्रांत वहां आ गया और उसने सुप्रिया को पकड़ लिया। सुप्रिया उसके हाथों से छूटने के लिए छटपटा रही थी। उसे खून चाहिए था।विक्रांत के पास सुप्रिया को वहां से ले जाने के अलावा और कोई रास्ता नही था। विक्रांत ने सुप्रिया को अपने कंधे पर उठाया और हवा की तेजी से हॉस्पिटल से बाहर निकल गया। कुछ ही देर मे वो सुप्रिया को लेकर अपने घर पहुंच गया। ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 15

देवदत्त वर्मा ने फिर एक बार जयराज की तरफ देखा और पूछा–“क्या तुम्हे किसी मानव भेड़िये की पहचान का चला है?”“नही सर , मैं अभी पहचान तो नही कर पाया हूं, पर जंगल में मिली लाशों पर को पंजों और दांतो के निशान मिले हैं , उससे तो यही पता चलता है की ये उन्ही लोगों का काम है।” जयराज सिन्हा ने देवदत्त वर्मा को बताते हुए कहा।“तुम इस आधार पर इतने यकीन से कैसे बोल सकते हो की ये उन्ही का काम है?” देवदत्त वर्मा ने गुस्से से जयराज सिन्हा से पूछा।“सर जंगल में जिन लोगों पर हमला ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 16

विक्रांत की पूरी बात सुन लेने के बाद सुप्रिया सोचने लगी की अब उसका क्या होगा? उसके पापा इसके कैसे रह पाएंगे? यही सब सोचते हुए सुप्रिया ने विक्रांत की तरफ देखते हुए पूछा–“इसका मतलब मुझे अब इंसानों का खून पीना होगा? नही...! ऐसा कभी नही हो सकता। मुझे अपने पापा से बात करनी है। वो मेरी चिंता कर रहे होंगे। उन्हे तो पता भी नही होगा की तुम मुझे यहां लेकर आ गए हो।”विक्रांत समझ सकता था की अभी सुप्रिया को कैसा महसूस हो रहा होगा। पर फिर भी वो सुप्रिया को उसके पापा से मिलने नही दे ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 17

विक्रांत से बात करने के कुछ ही देर बाद पृथ्वीराज के पास किसी का फोन आया। पृथ्वीराज ने जब पर देखा तो वो उनके पिता शिवराज सिंघाल का फोन था। शिवराज सिंघाल भेड़ियों के मुखिया भी थे। “हेलो...! जी पापा, जैसा आपने कहा था , मैने विक्रांत से बात कर ली है। वो जल्द ही यहां आ जायेगा।” पृथ्वीराज ने अपने पापा शिवराज से कहा।“मैने तुम्हे उस बात के लिए फोन नही किया है। मैं तुमसे ये पूछना चाहता था की हमारी तैयारी कहां तक पहुंची?” शिवराज ने पृथ्वीराज से पूछा।“पापा मैने हमारे सभी लोगों तक खबर भिजवा दिया ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 18

इसके बाद विक्रांत ने सच्चाई जानने के लिए अपने पापा पृथ्वीराज को फोन लगा देता है। “हेलो...! पापा...!. पापा मुझे बताया क्यों नही की सुप्रिया को दादाजी ठीक कर सकते हैं?” विक्रांत ने अपने पापा से पूछा।“बेटा ठीक तो कर सकते हैं...! एक काम करो तुम पहले यहां आ जाओ और अपने दादाजी से खुद ये पूछ लेना। उस लड़की को भी अपने साथ ले आओ।” विक्रांत के पापा ने उससे कहा।“ठीक है पापा मैं जल्द ही वहां आ रहा हूं।” इतना कहकर विक्रांत ने फोन काट दिया।विक्रांत को अपने पापा से बात करने के बाद यकीन हो गया ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 19

श्याम ने जैसे ही विक्रांत को देखा, वो भागता हुआ उसके पास गया और गर्दन झुकाते हुए कहा–“चलिए विक्रांत ये बेग मुझे दे दीजिए।” श्याम ने विक्रांत से कहा और उसका बेग ले लिया।विक्रांत ने हैरानी से श्याम की तरफ देखते हुए पूछा–“आप कौन? और आप मुझे कैसे जानते हैं?” विक्रांत ने श्याम से ये पूछा ही था की तभी कबीर उसके पास आते हुए बोला–“ये श्याम काका हैं। ये हमारे यहां ड्राइवर का काम करते हैं। तुम इन्हें नही जानते हो। तुम जब उत्तराखंड गए थे उसके कुछ ही समय बाद ही पापा ने इन्हे काम पर रखा ...और पढ़े

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Shadow Of The Packs - 20

पृथ्वीराज की बात सुनकर रूक्मणी उसकी बात समझने के बजाय और गुस्से मे आ गई। “आपने विक्रांत को ये बता दिया की इस लड़की को ठीक किया जा सकता है! पर तुमने विक्रांत को ये बताया की इस लड़की को ठीक करने के लिए हमे कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी!” रूक्मणी ने विक्रांत से ये कहा ही था की इतने में विक्रांत कुछ सोचते हुए पूछता अपनी मां से पूछता है, “मां...! ये आप कौनसी कीमत चुकाने की बात कर रही हो?” रूक्मणी इस बारे मे विक्रांत को बताने ही वाली होती है की पृथ्वीराज उसे रोक देता है ...और पढ़े

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