गुमशुदा क्रेडिट कार्ड्स - ये कहानियां मेरी नज़र में

(0)
  • 7.3k
  • 0
  • 1.2k

नारी आंदोलन, स्त्री समानता, नारी विमर्श, स्त्री के अधिकार, इन सबकी विभिन्न कलाओं से अभिव्यक्ति, अपना व्यवसाय के अलावा होता है' स्त्रियों की अपने घर परिवार में उनकी अहम भूमिका'। मेरे अभिमत के अनुसार कोई वाद, कोई विमर्श, कोई आंदोलन न उसे बदल सकता, न मातृत्व या गृहणी के रोल का कोई पर्याय है जो उसके महत्व व उपयोगिता को कम कर सके । ये बात हर समझदार स्त्री समझती है चाहे उसे दोयम दर्ज़े का नागरिक समझा जाये, चाहे घर पर पड़ी चीज़। स्त्रियां पीढ़ी दर पीढ़ी इस रोल को निबाहती आ रहीं

1

गुमशुदा क्रेडिट कार्ड्स - ये कहानियां मेरी नज़र में - 1

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड ---1 नारी आंदोलन, स्त्री समानता, नारी विमर्श, स्त्री के अधिकार, इन सबकी विभिन्न कलाओं अभिव्यक्ति, अपना व्यवसाय के अलावा होता है' स्त्रियों की अपने घर परिवार में उनकी अहम भूमिका'। मेरे अभिमत के अनुसार कोई वाद, कोई विमर्श, कोई आंदोलन न उसे बदल सकता, न मातृत्व या गृहणी के रोल का कोई पर्याय है जो उसके महत्व व उपयोगिता को कम कर सके । ये बात हर समझदार स्त्री समझती है चाहे उसे दोयम दर्ज़े का नागरिक समझा जाये, चाहे घर पर पड़ी चीज़। स्त्रियां पीढ़ी दर पीढ़ी इस रोल को निबाहती आ रहीं ...और पढ़े

2

गुमशुदा क्रेडिट कार्ड्स - ये कहानियां मेरी नज़र में - 2

एपीसोड ---2 डॉ. रंजना जायसवाल की कहानी में वही जद्दो जेहद है --' रोज़ सुबह आँख खुलते ही ज़िंदगी इम्तिहान लेने के लिए खड़ी रहती ...और अपने आप से सवाल करती... आज मैं पास तो हो जाऊँगी न...? उसने वही किया वही जो हर आम औरत करती है -'विश्व के मानचित्र को हटाकर वर्णमाला और पहाड़े के पोस्टर चिपका दिए। ' रंजना की 'आधे अधूरे 'कहानी से कुछ नीचे दये सूक्ति वाक्य पढ़िए जो कमोबेश हर लड़की के जीवन का हिस्सा हैं : ------आज कल की लड़कियों को अपने सारे सपनें ससुराल में ही पूरे करने होते हैं... मायके ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प