यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु - भारत वर्ष

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हम उस गौरवशाली और प्राचीन सभ्यता की अद्भुत मिसाल और सबसे उत्कृष्ट, प्राचीन सांस्कृतिक महत्व वाले देश भारत वर्ष ?? की संतति हैं। आज की उन संकीर्ण विचारधारा को पल भर के लिए विमुक्त हो कर किनारे रख दे तो इतिहास साक्षी है कि संपूर्ण विश्व मे सबसे व्यावस्थित सभ्यता के प्रामाणिक स्वरुप हैं हम सभी भारत वासी। प्रिय प्रेरक साथियों, विगत 19 नवंबर को आपको याद होना चाहिए कि आज राष्ट्र गौरव वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती भी थी । इसी परिप्रेक्ष्य मे इस लेख को लिखने की इच्छा हुई। हम उसी पावन धरा की संतति है, जिसे आर्यावर्त, भारतवर्ष, हिंदुस्तान, भरतखंड कहा जाता है। यहां की उत्कृष्ट संस्कृति मे सर्वविदित है कि नारी सम्मान सर्वोपरि है। नारी का सम्मान करना और उसकी रक्षा करना भारत की प्राचीन संस्कृति है। यहां कन्या को देवी कह कर पूजा जाता है। भारत के सबसे प्राचीन ग्रन्थ मनुस्मृति में नारी के लिए उल्लेखित है -

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यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु - भारत वर्ष - 1

यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु - भारत वर्ष हम उस गौरवशाली और प्राचीन सभ्यता की अद्भुत मिसाल और सबसे उत्कृष्ट, प्राचीन महत्व वाले देश भारत वर्ष की संतति हैं। आज की उन संकीर्ण विचारधारा को पल भर के लिए विमुक्त हो कर किनारे रख दे तो इतिहास साक्षी है कि संपूर्ण विश्व मे सबसे व्यावस्थित सभ्यता के प्रामाणिक स्वरुप हैं हम सभी भारत वासी। प्रिय प्रेरक साथियों, विगत 19 नवंबर को आपको याद होना चाहिए कि आज राष्ट्र गौरव वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती भी थी । इसी परिप्रेक्ष्य मे इस लेख को लिखने की इच्छा हुई। हम उसी पावन ...और पढ़े

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यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु - भारत वर्ष - 2

यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु - भारत वर्ष - 2 यह सती प्रथा ही नहीं बल्कि कई कुरीतियां (जिनमे प्रमुख अन्तर्जातीय - जो तब मजबूरी मे होते थे बाद मे स्वैच्छिक उसके उपरांत धोखे की प्लानिंग {सुनियोजित रूपरेखा} के अंतर्गत) मुगल काल के अत्याचारों के कारण स्थापित हुई थी। इसके विषय मे मैं आप सभी को प्रथम भाग मे ही बता चुका हूँ। मुगल काल - यह काल को स्त्रियों की दृष्टिकोण में काला युग माना जाता है। इस समय में भारत देश पर आक्रांता मुसलमानों ने अपना आधिपत्य कायम कर लिया। किन्तु अपने स्वाभिमान के लिए किए गए प्रयास को ...और पढ़े

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यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु - भारत वर्ष - 3

क्रमशः..... इससे समाज मे नारी के लिए सम्मान और उत्कृष्ट आचरण भी सहजता से निर्दिष्ट हो रहा है। मूढ़ अतिसय अभिमाना । नारी सिखावन करसि काना ।। अर्थात भगवान राम सुग्रीव के बड़े भाई बाली के सामने स्त्री के सम्मान का आदर करते हुए कहते हैं, दुष्ट बाली तुम अज्ञानी पुरुष तो हो ही लेकिन तुमने अपने घमंड में आकर अपनी विद्वान् पत्नी की बात भी नहीं मानी और तुम हार गए। मतलब अगर कोई आपको अच्छी बात कह रहा है तो अपने अभिमान को त्यागकर उसे सुनना चाहिए, क्या पता उससे आपका फायदा ही हो जाए। यहां भी ...और पढ़े

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