वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम

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हम बचपन से ही ये सुनते आये हैं, की हमारे वेद पुराण अंग्रेज चुरा कर ले गये और उन्होंने हमारे वेद पुराण पड कर, नये- नये आविष्कार किए, अब कुछ लोग पूछते हैं, भाई उन्होंने किये तो हमने क्यों नहीं किये,उसका जवाब यह है, हमने भी किये तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, परन्तु बाद में हजारों वर्षों की गुलामी में हमे ये अवसर नहीं मिला, फिर ये सवाल अक्सर उठता है, कि वेद पुराण वास्तव में चमत्कारी हैं, या ये केवल कल्पना है ? मेरा मत है, वैद पुराण ना केवल चमत्कारी व् विज्ञानिक दृष्टिकोण से एकदम प्रमाणित हैं, बल्कि ये मानवता की शुरुआत व् विकास की कहानी है, जिसकी मैंने जन साधारण और सरल भाषा में आप तक पहुचाने की कौशिश की है. तो आइये पहले ये तो जान लें की आखिर वेद, पुराण श्रुति, शास्त्र, मन्त्र, उपनिषद हैं क्यां. ये जानकारी आप पहुंचाने के लिए गुरु शिष्य परम्परा का सहारा लिया गया है, जहां शिष्य यानी जिज्ञासु जो अज्ञात को जानना चाहता है,सवाल करता है व् गुरु जिज्ञासा शांत करता है, तो शुरू करते हैं:

नए एपिसोड्स : : Every Monday, Wednesday & Friday

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 1

हम बचपन से ही ये सुनते आये हैं, की हमारे वेद पुराण अंग्रेज चुरा कर ले गये और उन्होंने वेद पुराण पड कर, नये- नये आविष्कार किए, अब कुछ लोग पूछते हैं, भाई उन्होंने किये तो हमने क्यों नहीं किये,उसका जवाब यह है, हमने भी किये तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, परन्तु बाद में हजारों वर्षों की गुलामी में हमे ये अवसर नहीं मिला, फिर ये सवाल अक्सर उठता है, कि वेद पुराण वास्तव में चमत्कारी हैं, या ये केवल कल्पना है ? मेरा मत है, वैद पुराण ना केवल चमत्कारी व् विज्ञानिक दृष्टिकोण से एकदम ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 2

वेद-पुराण-उपनिषद चमत्कार या भ्रम भाग 2 गुरु : श्रुति का शाब्दिक अर्थ है, सुना हुआ. वेदों को पहले नहीं जाता था, क्योंकि तब तक कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था. इनको गुरु अपने शिष्यों को सुनाकर याद करवा देते थे, और इसी तरह यह परम्परा आगे चलती रहती थी. तत्कालीन समाज में किसी भी नियम को पुर्ण प्रमाणिक बनाने या लागू करवाने के लिए उसे भगवान् से जोड़ देते थे. श्रुति वचन को बताया गया है कि, यह परमात्मा की वाणी है, इसे सबसे पहले परमात्मा ने ध्यानमग्न ऋषियों को उनके अन्तर्मन में सुनाया था. इस तरह ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 3

प्रश्न : ऋग वेद क्या है ? गुरु : ऋग वेद विश्व की,सभी भाषाओं में, सबसे प्राचीनतम लिखित पुस्तक इसलिए इसका महत्व सबसे ज्यादा है. ऋग वेद का मूल विषय ज्ञान है, इसी के आधार पर बाद में धर्म शास्त्र की रचना की गई थी. ऋग वेद ने उस समय के समाज का विस्तार से वर्णन किया है, इसमें लिखे या प्रचलित शब्दों से तत्कालीन उन्नत व् समृद्ध समाज का पता चलता है. परन्तु ऐसा भी नहीं है, तब सब कुछ अच्छा ही अच्छा था, समाज में कोई बुराई नाम की चीज नहीं थी. तब भी प्रकाश के साथ ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 4

शिष्य : पध्य क्या है ? गुरु : पद्य (verse) क्या है, थोड़ा सा इस बारे में भी पद्य में लिखने का अर्थ है, ऐसी सीधी सादी बोली या भाषा में लिखना जिसमें किसी प्रकार की बनावट न हो, परन्तु अक्षर, मात्रा, वर्ण की संख्या के अनुसार, लय से संबंधित विशिष्ट नियमों, का पालन करके लिखी गई रचना से है. अब आप यह कह सकते हैं, कि एक तरफ तो मै बता रहा हूँ, की ऋग वेद ऐसी सीधी सादी बोली या भाषा में लिखा गया है, जिसमें किसी प्रकार की बनावट नही है, व् दुसरी तरफ ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 5

प्रश्न: मन्त्र का क्या अर्थ है ? गुरु : मंत्र का शाब्दिक अर्थ है, मनन, चिंतन करना. किसी भी के समाधान के लिए, काफी चिंतन, मनन करने के बाद जो उपाय, विधि, युक्ति निकलती है, उसे एक सूत्र में पिरो देने को आमतोर पर मन्त्र कहते हैं. वेदों में किसी भी यज्ञ, स्तुति, या अन्य कोई कार्य, करने की नियमपूर्वक व विस्तारपूर्वक विधि को, संक्षिप्त करके संस्कृत में मन्त्र रूप लिख दिया जाता था, यानी कोड भाषा में लिख दिया जाता था, (किसी भी वाक्य को नियमबद्ध करके संक्षित रूप से लिखने की विधि को कोड कहते हैं) ताकि ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 6

ऋग्वेद जारी है : ऋग वेद: हम जो सोचते हैं, विचार करते हैं, वही कर्म करते हैं, जो कर्म हैं उसी का फल मिलता हैं. यही जीवन जीने का ढंग वेदों का सिद्धांत है, और वेद इन सिधान्तों का विस्तार है. ऋग वेद ज्ञान का, सुविचार का वेद है, जो ऋचाओं व् सूक्त पर आधारित है, सूक्त का अर्थ है सुविचार, और ऋचा का अर्थ है पध्य. यजुर्वेद में कर्म करने की विधी बताई गई हैं, व् सामवेद के अंदर देवताओं की उपासना व फल के बारे में बताया गया है. अर्थव वेद समता, स्थिरता, एकाग्रता का विषय योग ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 7

शिष्य : सोमरस क्या है ?गुरु : सोमरस भुने हुए जौ, दही, सत्तुओं से युक्त, पुरोडाश सहित मन्त्रों के के साथ बनाया जाता था. पुरोडाश यग्य में आहुति देने वाली उस टिकिया को कहते हैं, जिसे पानी और पिसे हुए चावल को मिला कर, फिर उसे अग्नि में पका करा तेयार किया जाता है. सोम वर्ष भर, पर्वतीय प्रदेशों, हिमालय पर 8000 से 10000 फुट की ऊंचाई पर पाया जाता है. इसके पत्ते अंधेरे में भी चमकते रहते हैं, पर यह आसानी से नहीं मिलता, इसे खोजना पड़ता है, यह बहुत गुप्त रहता है. वर्षा ऋतु सोम की जननी ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 8

प्रश्न: यजुर्वेद क्या है ? गुरु : वेदों का मूल सिद्धांत है, जीवन जीने का ढंग है, हम सोचते हैं, विचार करते हैं, वही कर्म करते हैं, जो कर्म करते हैं उसी का फल मिलता हैं. जिसका पहला चरण है “हम जो सोचते हैं, विचार करते हैं”, और दुसरा चरण है “जो कर्म करते हैं”, और तीसरा चरण है”, उसी का फल मिलता हैं”. दुसरे चरण यानी कर्म को संपन्न कराने के बारे में यजुर्वेद में बताया गया है. यजुर्वेद श्रेष्ठतम कर्म की प्रेरणा है, इसको पोरोहित्य प्राणाली में यज्ञ आदि कर्म सम्पन्न कराने के लिए संकलित ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 9

प्रश्न : गद्य क्या है ? गुरु : गद्य (prose) उस लिखित रचना को कहा जाता है, जो आम की भाषा में लिखी गई हो यानि कि जैसे हम बोलते हैं वैसे ही उसे लिखित शब्दों में उतार दिया गया हो. इसलिए यदि हम गद्य को पढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है, मानो आमने सामने बातचीत हो रही है, हम लेखक से सीधे जुड़ जाते हैं, और इस तरह बात समझने में आसानी हो जाती है. गद्य में किसी भी प्रकार से शब्दों की संख्या, अलंकार, मात्रा, वर्ण, या लयबद्ध तरीके का ध्यान नहीं रखा जाता, विशेषकर जब हम ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 10

प्रश्न : सामवेद क्या है ? गुरु : एक बार फिर दोहराना पडेगा, वेदों का मूल सिद्धांत है, जीने का ढंग है, हम जो सोचते हैं, विचार करते हैं, वही कर्म करते हैं, जो कर्म करते हैं उसी का फल मिलता हैं. जिसका पहला चरण है “हम जो सोचते हैं, विचार करते हैं”, और दुसरा चरण है “जो कर्म करते हैं”, और तीसरा चरण है”, उसी का फल मिलता हैं”. सामवेद में तीसरे चरण यानी देवताओं की उपासना व फल के बारे में बताया गया है. इस वेद का प्रमुख विषय उपासना है, और सूर्य देव से सामवेद ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 11

प्रश्न : अथर्ववेद क्या है ? गुरु : अथर्ववेद में देवताओं की स्तुति के साथ, अनेक प्रकार की चिकित्सा का वर्णन है. अथर्ववेद से आयुर्वेद चिकित्सा विधी का ज्ञान, जगत को पता चला व् आयुर्वेद चिकत्सा पद्धति से रोगों के उपचार से हजारों लोग को जीवनदान मिला. आयुर्वेद की दृष्टि से अथर्ववेद का महत्व सबसे ज्यादा है. इसमें आयुर्वेद चिकित्सा में प्रयोग होने वाली असंख्य जड़ी-बूटियाँ द्वारा गंभीर से गंभीर रोगों का निदान, शल्यचिकित्सा, कृमियों से उत्पन्न होने वाले रोगों का निदान, प्रजनन-विज्ञान के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें ओषधियों, जादू, तंत्र आदि से सम्बंधित ज्ञान ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 12

ये प्रसंग वेद पुराण से नही है, पर बात चल रही थी तो सोचा इस पर भी चर्चा कर कुछ भाई इसे अन्यथा ना लें . प्रश्न : डार्विन का सिद्धांत क्या है ? गुरु : चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन, (1809 to 1882) ने क्रमविकास (evolution) के सिद्धान्त का आविष्कार किया. इससे से पहले लोग यही मानते थे कि सभी जीव-जंतु ईश्वर ने बनाये हैं, और ये जीव-जंतु हमेशा से इसी रूप मे ही रहे हैं, यानी वे हजारों साल पहले भी ऐसे ही थे, जैसे आज दिखाई देते हैं. परन्तु डार्विन के क्रमविकास के सिद्धान्त की खोज के बाद ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 13

शिष्य : उपनिषद क्या है ? गुरु : उपनिषद्: वेदों से उपनिषदों की उत्पति हुई, व हर एक उपनिषद न किसी वेद से जुड़ा हुआ है. वेदों के अंतिम भाग को 'वेदांत' कहते हैं, और इन्ही वेदांतों को ही उपनिषद के नाम से पुकारा गया हैं. उपनिषद का शाब्दिक अर्थ होता है- किसी के पास बैठना. वेदों का सार है, उपनिषद और उपनिषदों का सार 'गीता' को माना गया है. इस क्रम से वेद, उपनिषद और गीता, इन तीनों को ही धर्मग्रंथ माना गया हैं. उपनिषद गुरु-शिष्य संवाद की शैली में संकलित किये गये थे, ओर इन्हें गद्य व् ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 14

शिष्य: सर्वसार उपनिषद क्या है ? गुरु : वेदों का सार है, उपनिषद और, उपनिषदों का भी सार है- उपनिषद, अर्थात आसार से सार, और सार का भी सार है, यानी जिसमे से रत्ती भर भी नहीं छोड़ा जा सकता. इस रहस्यों की कुंजी कहना उचित है. पहले तो व्यर्थ से सार्थक खोजना बहुत कठिन है, और सार्थक में से भी और सार्थक खोजना लगभग असंभव है.मानव जाती का जो भी उपनिषद रचने तक जाना गया, खोजा गया ज्ञान है, वह इस सर्वसार उपनिषद में संकलित कर दिया गया है. परंतु सार का भी सार करने में भी एक ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 15

शिष्य आगे चल कर प्रश्न करता है : ज्ञान की प्राप्ति का रास्ता क्या है, और यह इतना कठिन है, जिस गुरु ने ज्ञान प्राप्त कर लिया है, वह अपने शिष्यों को इसे सीधे ही क्यों नहीं दे देता. ऋषी दुविधा का समाधान करता है: “जीवन का ज्ञान दिया नहीं जा सकता यह सिर्फ जिया जा सकता है”, गुरु भी नहीं दे सकता, वह गुरु भी नहीं दे सकता, जिसने इसको जान लिया है, जो जागृत हो गया है. क्योंकि यह ज्ञान जीने में है, साधना की राहों पर, चलते चलते कब यह घटित हो जाये, यह शिक्षक ...और पढ़े

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वेद, पुराण, उपनिषद चमत्कार या भ्रम - भाग 16

शिष्य : जीवन जानने से क्या प्रयोजन है ? गुरु : जीवन जानने की दो विधि, दो रास्ते है, है पद्धति है धर्म द्वारा जानना और दुसरी पद्धति है विज्ञान द्वारा जानना. धर्म जोड़ कर जानता है, और विज्ञान तोड़ कर जानता है. विज्ञान चीजों को तोड़ता है, आखिरी सीमा तक, यानी एटॉमिकयूनिट तक, विज्ञान तोड़ने से ही ज्ञान प्राप्त करता है. धर्म जोड़ता है, खंड को अखंड से अंश को विराट से. जैसे अगर एक फूल के बारे में जानना है तो विज्ञान फूल को हिस्सों में तोड़ेगा, इसमें कितनी मात्रा में खनिज हैं, कितना रसायन है, कितना ...और पढ़े

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