आज तक अपने बहुत से किस्से कहानियां सुनी होंगी और आप जानते भी होंगे जिंदगी को हम जिस तरह से दिशा देते हैं वो उस तरह से ही ढल जाति है हम जिस इंसान के बारे मे बात करने जा रहे है वो ना तो किसी तरह की शक्तियों का मालिक है और नहीं कोई सुपर स्टार है वो तो सिर्फ एक मामूली सा इंसान है जिसको अपना घर चलाने के लिए सिपाही की नौकरी करनी पड़ती है जिसके चलते वह कुछ सालो तक अपने घर नहीं जा पाता है उसके घर मे उसकी काफी बुढ़ी माँ होती है जिसको उसने बहुत सालो से देखा नहीं था इसी बीच उससे छोटी सी गलती होने पर उसको नौकर से निकाल देते है ये कह कर के "तुम्हारी नौकरी का समय पूरा हो गया है अब तुम आजाद हो जहां चाहो जा सकते हो।" बेचारा सिपाही वहां से कुछ सोचता हुआ चलता जा रहा था ," मैने इतने साल तक देश की सेवा की और इसके लिए मुझे खाने के लिए कुछ अच्छा सा भी नहीं दिया गया बदले में मुझे क्या मिला ? बस रास्ते के लिए सिर्फ तीन रोटी अब मै क्या करूं ? कहां जाऊं ? मेरे लिए सिर छिपाने को भी कोन सी जगह है?

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भूतों का डेरा - 1

आज तक अपने बहुत से किस्से कहानियां सुनी होंगी और आप जानते भी होंगे जिंदगी को हम जिस तरह दिशा देते हैं वो उस तरह से ही ढलजाति है हम जिस इंसान के बारे मे बात करने जा रहे है वो ना तो किसी तरह की शक्तियों का मालिक है और नहीं कोई सुपर स्टार है वो तो सिर्फ एक मामूली सा इंसान है जिसको अपना घर चलाने के लिए सिपाही की नौकरी करनी पड़ती है जिसके चलते वह कुछ सालो तक अपने घर नहीं जा पाता है उसके घर मे उसकी काफी बुढ़ी माँ होती है जिसको उसने ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 2

" शहर के सबसे धनी व्यापारी ने यह मकान अपने रहने के लिए बनवाया था मगर वह लाख चाहते भी रह नहीं सकता ।"ढाबे वाले ने जबाव दिया"क्यों?""उस मकान में भूतो का डेरा है समझ लो कि वह घर भूतों प्रेतों से भरा हुआ है रात को वे चीखते चिल्लाते है , नाचते हैं और बड़ा शोर मचाते है । अंधेरा हो जाने के बाद मकान के पास जाते हुए भी लोगों को डर लगता है । " सिपाही ने ढाबे वाले से पूछा ," उस व्यापारी से कहां मुलाकात हो सकती है में उससे मिलकर दो बातें करना ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 3

कि मुर्दे भी सुनते हो घबराकर कब्रों से बाहर आ जाते पूरे मकान में मानो भूचाल आ गया । सिपाही इस तरह शांत बैठा हुआ अखरोट खा रहा था और सिगार के कश लगा रहा था , जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो।अचानक दरवाजा खुला एक भूत ने कमरे के अंदर झांककर सिपाही को देखा और देखते ही चिल्लाया " यहां तो एक आदमी बैठा है आ जाओ , दोस्तो , आज तो हमारी दावत का समान तैयार है !"सारे भूतप्रेत धम धम करते उसी कमरे में घुस आये , जिसमे सिपाही बैठा था। वे दरवाजे के पास ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 4

" सिपाही बोला लो फौरन इस अखरोट को तोड़ कर दिखाओ सरदार ने अखरोट समझ कर गोली मुंह में ली वह उसे चबाता रहा चबाता रहा यहां तक कि गोली चपटी हो गयी मगर वह टूटी नहीं उधर सिपाही एक के बाद दूसरा ओर दूसरे के बाद तीसरा अखरोट मुंह में डाल कर कड़ा कड़ तोड़ता जा रहा था। अब सभी भूतों के अंदर मानो एक डर सा छा गया सब भूत निगाहें नीची किए हुए खड़े थे और बड़ी परेशानी और घबराहट के साथ सिपाही की तरफ देख रहे थे। कुछ देर संत रहने के बाद सिपाही बोला ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 5

"नहीं, दूर नहीं है, "दुकान के नौकरों ने जवाब दिया वे लोग झोले को उठा कर लोहार की दुकान ले आये | सिपाही ने लोहार से कहा, " अच्छा भाई जरा इस झोले को अहरन पर रखकर जोर जोर से हथौड़े तो चालाओ, इस झोले पर लुहार और उसके हेल्परों ने झोले को अहरन पर रखकर धड़ाधड़ घन ओर हथौड़ा चलाना शुरू कर दिया ।उन भूतों का क्या हाल हुआ होगा यह तो आप खुद ही सोच सकते हैं । "हम पर दया करो भैया हमारी जान बख्श दो !"वे सब एक साथ एक आवाज में चिल्लाये।लेकिन लुहार अपना ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 6

सिपाही ने उस झोले को लिया और कुछ सोचा सोचते ही झोली में शराब की तीन बड़ी बोलतें आ उसका यह सोचना था कि झोली भारी हो गई उसने झोले का मुंह खोला तो क्या देखता है कि सचमुच शराब की तीन बड़ी बोतलें झोली में आ गयी है।उसने तीनों बोतलें लुहरों को दे दीं। ये लो भाई तुम्हारी मेहनत के बदले सिपाही लुहरखाने से बाहर निकालकर उसने इधर उधर देखा छत पर एक गौरेया बैठी हुई थी उसने अपनी झोली हिलाकर कहा ,"चल अंदर"।उसके कहते ही गौरेया उसकी झोली में आ गई सिपाही लूहरखाने में लौट आया और ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 7

कहते कहते बुढ़िया चुप हो गई सिपाही ने कहा ,"अब तुम्हे किसी बात कि फिक्र नहीं रहेगी तुम्हारी जरूरतों तुम्हारे आराम का अब ख्याल में करूंगा ।"उसने अपनी झोली खोली और मन में इच्छा की ही थी वह खाने कि तरह तरह की स्वादिष्ट चीजों से भर जाये। झोली भर गई । खाने की सभी चीजों को झोली से निकाल कर उसने मेज पर रख दिया और मां से कहा ,"लो माँ जी भरकर खाओ!"दोनों ने जी भर कर खाना खाया और फिर वे सोने के लिए चले गये अगले दिन उसने उसने सोचा मेरी माँ पूरी जिंदगी इस ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 8

अब इल्या के मन में विचार आया कि जरा अपने बल की परीकछा कर ले । अभी तक उसके जो कि सिपाही थे उनको उसकी शक्तियों के वारे में पता नहीं था लेकिन माँ को सब पता था और वो हमेशा इल्या को हमेशा नॉर्मल लोगों की तरह रहने को कहां करती थीं अब जब वो घर से काफी दूर आ गया था तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी बचपन से ही उसको अपने पिता की तरह देश की सेवा करनी थी हालाकि बह उम्र में जादा बड़ा नहीं था लेकिन अपने भारत देख के लिए कुछ करने का ज़ज्बा ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 9

"ऐसी जल्दी क्या है?" सिपाही ने कहा , "मुझे कुछ साल तो और जिंदा रहने दो अभी तो मुझे बच्चों को पालना पोसना है ,अपने बेटों कि ब्याह शादी करनी है फिर अपने पोतो को देखना और कुछ दिन उनके साथ रहना है उसके बाद तुम मुझे लिवा ले जा सकती हो पर अभी तो मैं नहीं जा सकता।"नहीं , दादा ,अब तो में तुम्हें कुछ साल तो क्या , कुछ समय भी नहीं छोड़ सकती सिपाही ने मौत को बहुत मनाया पर वह नहीं मानी वह चुप हो गया लेकिन सिपाही हार कहाँ मानने वाला था उसकी हालत ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 10

बात यह तक थी कि हजारों लुटेरों ने शहर को घेर रखा था उसके घोड़ों के पैरों से जो उठ रही थी और उनके नथुनों में जो भाप निकाल रही थी, उसने धरती मानो एक स्याही के पर्दे से ढ़क दिया था और आसमान में चमकता हुआ सूरज तक भी आंखों में ओझल हो गया था लुटेरों कि फोज की पंक्तियां इतनी घनी थी कि एक भुरा खरगोश भी उनके बीच से नहीं निकाल सकता था और न बाज उनके ऊपर से उड़कर जा सकता था शहर के अंदर से रोने पर कराहने की आवाजे आ रही थी और ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 11

" किले की चहारदीवारी पर चढ़कर उस मैदान कि तरफ देखो, जहां दुश्मन की फौजे जमा थी । इल्या कहा ।शहरवालों ने किले की चहारदीवारी पर चढ़कर देखा तो सचमुच मैदान में लुटेरों कि लाशे इस तरह बिखरी हुई थीं , जैसे ओले पड़ने के बाद खेत में अनाज की बालें बिखरी हों।यह देखकर चेनिर्गोव के निवासियों ने झुककर इल्या को नमस्कार किया , रोटी और पानी से उसका स्वागत क्या फिर पूछा " वीर युवक ,हमे बताओ तुम्ह कहा से आए हों ? तुम्हारे पिता कोन है और तुम्हारी मां कोन है ? तुम्हारा नाम क्या है ? ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 12

इल्या कुछ देर तक चुप रहा और फिर उसने अपना सिर झटक कर कहा ," में बहादुर हूं । यह शोभा नहीं देता कि चक्करदार रास्ते से जाऊं ओर शहर की सीधी सड़क सिटी बाज डाकू के कब्जे में छोड़ दूं । मै इस सीधी सड़क से ही जाऊंगा , जिस पर तीस साल से कोई नहीं गया है।"यह कह कर इल्या कूदकर घोड़े पर सवार हो गया । उसने घोड़े को एक चाबुक लगाया और पलक मारते ही आंखों से ओझल हो गया ।इल्या की रफ्तार इतनी जादा थी कि कोई भी उसको जाते ना देख सका |शहर ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 13

वह जगह एक तरह के तिलस्मी शक्तियों से घिरी हुई है अगर तुम चाहो तो अभी भी पीछे हट हो जवान अगर एक बार तुम इन सब में आ गये तो फिर जब तक ये खत्म नहीं होगा तब तक इन सब में बुरी तरह फंसे रहोगे उस " अवाज ने कहा " मेरी फिक्र मत करो में एक सिपाही का बेटा हु मुझे ये सौभा नहीं देता की मे किसी को मुसीबत में छोर दु तो आप मुझे आगे बताओ " इल्या ने कहा इस से जादा तो हम भी नहीं जानते बेटा और सब तुम्हें खुद ही ...और पढ़े

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भूतों का डेरा - 14

वो तरहा तरहा की अवाज में आपको अपने लक्ष से हटाने की कोशिश करेंगें और भूलकर भी पलट कर देखना जेसे ही ये सब याद आया तो वो सीधा अपने काम में लग गया ऊपर से थोड़ी खुदाई करने पर उसको एक कंकाल दिखा और उसके हाथ में एक तलवार थी इल्या ने वो तलवार को देखा तो उसको लगा इस तलवार को अपने पास रखना चाहिए फिर इल्या ने अपने मन की सुनी और तलवार को अपने पास रखकर तेजी से खुदाई करने लगा और थोड़ी ही देर में उस उसको एक रोशनी सी दिखाई देने लगी वो ...और पढ़े

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