भाग-1 छुट्टी का दिन था। खुशी अपने टेरेस गार्डन में पौधों की निराई गुड़ाई में लगी हुई थी। चंपा का पौधा जो उसने सर्दियों से पहले लगाया था। बसंत का मौसम आते ही उसमें व उसके साथ साथ दूसरे पौधों में नई नई कोंपले फूटने लगी थी। पुराने पत्ते झड़ गए थे और उनकी जगह नए चिकने हरे पत्तों ने ले ली थी। खुशी को इन पौधों के साथ समय बिताकर बहुत ही सुकून मिलता था। बसंत के मौसम ने फूल पत्तों पर एक अलग ही आभा बिखेर दी थी। कल तक जो पौधे उदासी की चादर ओढ़े हुए थे।

Full Novel

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पिया बसंती रे! - 1

भाग-1 छुट्टी का दिन था। खुशी अपने टेरेस गार्डन में पौधों की निराई गुड़ाई में लगी हुई थी। चंपा पौधा जो उसने सर्दियों से पहले लगाया था। बसंत का मौसम आते ही उसमें व उसके साथ साथ दूसरे पौधों में नई नई कोंपले फूटने लगी थी। पुराने पत्ते झड़ गए थे और उनकी जगह नए चिकने हरे पत्तों ने ले ली थी। खुशी को इन पौधों के साथ समय बिताकर बहुत ही सुकून मिलता था। बसंत के मौसम ने फूल पत्तों पर एक अलग ही आभा बिखेर दी थी। कल तक जो पौधे उदासी की चादर ओढ़े हुए थे। ...और पढ़े

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पिया बसंती रे! - 2

भाग-2 5 घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद आखिर खुशी को इस बीमारी से निजात दिलाने में उन्होंने सफलता खुशी के मां-बाप की तो मानो खोई हुई सांसे वापस आ गई हो। वह दोनों हाथ जोड़ डॉक्टर्स का धन्यवाद करते ना थक रहे थे। डॉक्टर ने कहा "यह सब आपकी दुआओं का फल है हमने तो बस अपना काम किया। हां देखिए, ऑपरेशन बड़ा था। जिसके कारण इसके पेट पर काफी टांके आए हैं और हां अब दर्द तो नहीं लेकिन भविष्य में कभी कभार थोड़ा बहुत दर्द हो सकता है। इसलिए आप आगे कोई लापरवाही ना करें। इसकी ...और पढ़े

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पिया बसंती रे! - 3

भाग-3 "आप कहना क्या चाहती हो। साफ-साफ कहो। पहेलियां मत बुझाओ!" "पहली बात तो यह है कि 8 साल मेरे पेट में पस (मवाद) पड़ गई थी जिसका एक बहुत ही बड़ा ऑपरेशन हुआ और डॉक्टर ने कहा था भविष्य में वह दर्द कभी भी उठ सकता है।" "देखिए दुख, तकलीफ और बीमारी पर किसी का जोर नहीं। अब भविष्य में मुझे क्या हो जाए, इसकी क्या गारंटी है। यह तो कोई दाग नहीं हुआ।" लड़का अपनी बात रखते हुए बोला। "दाग है! वह ऑपरेशन इतना बड़ा था कि मेरा पेट बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। उस ...और पढ़े

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पिया बसंती रे! - 4 - अंतिम भाग

भाग-4 " ऐसे कैसे चल दिए भाईसाहब! मुंह तो मीठा कराइए। आज से आपकी बेटी हमारी हुई। हमें यह मंजूर है!!" यह वाक्य सुनते हैं, खुशी के पापा के कदम वही ठिठक गए!! "क्या ! क्या कहा आपने!!" "जी, हम सबको आपकी बेटी बहुत पसंद है और हम जल्द से जल्द आपकी बेटी को बहू बनाकर अपने घर ले जाना चाहते हैं!" सिद्धार्थ के पापा हंसते हुए बोले। "सच! सच कह रहे हो भाई साहब आप! सब कुछ जानते हुए भी! !!!! आप नहीं जानते, आपने कितना बड़ा उपकार किया है हम पर। " खुशी के पापा उनके सामने ...और पढ़े

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