चंदनपुर एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ के लोग सीधे-सादे थे। अपनी मेहनत से कमाना, खाना और ख़ुश रहना, यही वहाँ का दस्तूर था। शांति के साथ रहने के लिए चंदनपुर आसपास के गाँव में बड़ा ही मशहूर भी था। गाँव का सरपंच अभिनंदन भी नेक दिल, बहुत ही अच्छे स्वभाव का इंसान था। वह हमेशा गाँव वालों की भलाई के लिए, गाँव के विकास के लिए, कुछ ना कुछ काम करता ही रहता था। गाँव के लोग उससे ख़ुश भी थे। पिछले 10 सालों से गाँव का मुखिया वही था। उसका बेटा था रंजन, जो जवान हो रहा था। 16 साल का रंजन अपने पिता की दौलत, शोहरत का भरपूर फायदा उठाता था। गाँव की लड़कियों पर हमेशा उसकी बुरी नज़र रहती थी। आते-जाते उनके साथ छेड़खानी करना, उनके ऊपर अश्लील तंज कसना, दादागिरी करना, यह सब उसके रोजमर्रा के काम थे। अभिनंदन उसके साथ हमेशा बहुत प्यार से पेश आते थे। उसे हमेशा समझाते भी थे लेकिन रंजन कभी अपने पिता की बातों पर ध्यान नहीं देता था। रंजन की इतनी घटिया हरकतों के विषय में अभिनंदन को ज़्यादा कुछ पता नहीं था। लोग उनका लिहाज करके रंजन की शिकायत करने उनके पास नहीं जाते थे। इसी बात का फायदा उठाकर रंजन दिन प्रति दिन और अधिक बिगड़ता ही जा रहा था।
Full Novel
अपहरण - भाग १
चंदनपुर एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ के लोग सीधे-सादे थे। अपनी मेहनत से कमाना, खाना और ख़ुश रहना, यही का दस्तूर था। शांति के साथ रहने के लिए चंदनपुर आसपास के गाँव में बड़ा ही मशहूर भी था। गाँव का सरपंच अभिनंदन भी नेक दिल, बहुत ही अच्छे स्वभाव का इंसान था। वह हमेशा गाँव वालों की भलाई के लिए, गाँव के विकास के लिए, कुछ ना कुछ काम करता ही रहता था। गाँव के लोग उससे ख़ुश भी थे। पिछले 10 सालों से गाँव का मुखिया वही था। उसका बेटा था रंजन, जो जवान हो रहा था। 16 ...और पढ़े
अपहरण - भाग २
अभिनंदन के चुनाव हार जाने के कारण रंजन की दादागिरी तो स्वतः ही कम हो गई लेकिन लड़कियों के छेड़छाड़ का सिलसिला वैसे ही चलता रहा। वे भाई जिनकी बहनों के साथ छेड़छाड़ होती थी, उनका खून खोल रहा था। इतने बड़े इंसान का बेटा! करें भी तो क्या? लेकिन अब तो परिस्थितियाँ बदल चुकी थीं। सत्ता का पावर उनके हाथ से चला गया था, इसलिए गाँव के लोग, गाँव के लड़के और वे सब भाई जोश में थे जिनकी बहनें घर से बाहर निकलने में घबराती थीं। एक दिन तो रंजन ने हद ही कर दी। उसने गाँव ...और पढ़े
अपहरण - भाग ३
सबसे पहले रमेश ने अशोक को फ़ोन किया और कहा, "आधे घंटे में हनुमान मंदिर पहुँच जा।" "क्या हुआ इतने सुबह-सुबह क्यों बुला रहा है, कोई परेशानी है क्या?" "बस तू जल्दी से आ जा, वहीं बात करेंगे।" इसी तरह मयंक और राहुल से भी उसने बात कर ली। अब तक छः बज चुके थे। वह चारों हनुमान जी के मंदिर पर इकट्ठे हुए। उसके बाद रमेश ने कहा, "यार कल तो रंजन ने हद ही कर दी। उसने मेरी बहन का हाथ पकड़ने की हिम्मत कर ली। अब तक वह सिर्फ़ जीभ चलाता था पर अब तो ...और पढ़े
अपहरण - भाग ४
रमेश ने समझाते हुए कहा, "अशोक हम कोई गुंडे नहीं हैं। हमारे लिए हर लड़की, हर नारी, इज़्जत की है। हम उसे अगवा ज़रूर करेंगे लेकिन कुछ और नहीं। हम उसके साथ बहुत ही इज़्जत से पेश आएँगे, जैसे हमें आना भी चाहिए। हम उसे अपनी बहनों की परेशानी और उसके भाई की हरकतों के विषय में बताएंगे। एक नारी होने के कारण वह हमारी बहनों, गाँव की सारी लड़कियों की तकलीफ़ ज़रूर समझेगी और हमारा बचाव भी करेगी।" "रमेश तुझे लगता है, यह सब इतना आसान है?" "अपनी बहनों की रक्षा के लिए, उनकी सलामती के लिए, यदि ...और पढ़े
अपहरण - भाग ५
मिताली के अपहरण की ख़बर सुन कर अभिनंदन परेशान थे और रंजन का गुस्सा सातवें आसमान पर था। यदि पता चल जाए कि किसने इतनी हिमाकत की है तो मानो उसी पल उस इंसान को ज़िंदा ही ज़मीन में गाड़ दे। ऐसी हालत हो रही थी रंजन की। उसने ना जाने क्या-क्या सोच लिया था, उसकी बहन के साथ कहीं …! उसके रोएं खड़े हो रहे थे। उसे लग रहा था यदि इसी पल उसे पता चल जाए कि उसकी बहन कहाँ है, तो वह उड़ कर उसे बचाने पहुँच जाए। अभिनंदन ने गुस्से में रंजन की तरफ देखते ...और पढ़े
अपहरण - भाग ६
मुँह पर बँधी हुई पट्टी खुलते ही मिताली ने कहा, "अम्मा जी मुझे बचा लो वह गुंडे…।" अम्मा ने "मिताली बिटिया डरने की कोई बात नहीं है।" "आप मुझे कैसे जानती हैं अम्मा।" "तुम्हें कौन नहीं जानता, इतने बड़े घर की बेटी जो हो" "…तो आपने मेरा अपहरण करवाया है? आख़िर क्यों? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है? अच्छा वही पैसे की भूख, बोलिये कितने पैसे चाहिए आपको?" " मिताली बिटिया बड़े घर की बेटी हो इसलिए ऐसा ही सोचोगी वैसे भी तुम्हारा अपहरण क्यों हुआ है यह तुम्हें वही बताएंगे जिन्होंने तुम्हारा अपहरण किया है,” इतना कहते हुए अम्मा ...और पढ़े
अपहरण - भाग ७
मिताली ने सबसे पहले उनकी पूरी बातें सुनी फिर अपने आँसू पोछे और कहा, "अब मैं आप सभी के हूँ। मैं नहीं चाहती कि गाँव की लड़कियाँ किसी की भी ग़लत नजरों का शिकार हों। वे डर-डर कर जियें। इसकी सज़ा रंजन और उसके साथियों को ज़रूर मिलनी चाहिए।" रमेश ने कहा, " मिताली जी हमें किसी से किसी तरह की कोई दुश्मनी नहीं है। हम नहीं चाहते कि पुलिस केस करके हम तुम्हारे भाई और उन लड़कों का जीवन खराब करें। हम तो केवल इतना चाहते हैं कि हमारी बहनें भी आप ही की तरह गांव में ...और पढ़े
अपहरण - भाग ८
अपने बेटे के बारे में ऐसे शब्द सुनकर अभिनंदन की आँखों से आँसू टपक कर मोबाइल पर गिर रहे मिताली की माँ अपनी बेटी की सलामती के लिए घंटों तक मंदिर के सामने बैठी प्रार्थना कर रही थीं। अभी उन्हें इस बात से संतोष हो रहा था कि उनकी बेटी सुरक्षित है लेकिन उसी पल वह यह सोचने लगीं कि गाँव की बाकी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं और वह भी उनके बेटे के कारण। वह नफ़रत भरी नजरों से रंजन की तरफ देख रही थीं किंतु रंजन की आँखें तो मानो ज़मीन में गड़ चुकी थीं। वह सर पकड़ ...और पढ़े
अपहरण - भाग ९
अभिनंदन ने इन चारों दोस्तों के समक्ष माफ़ी मांगते हुए कहा, " बेटा मैं वह पल, वह लम्हें, जो बहनों ने कष्ट के अनुभव में झेलें हैं, वह वापस तो नहीं कर सकता लेकिन यह वादा अवश्य करता हूँ कि आज के बाद गाँव की हर लड़की गाँव में आज़ादी से घूम सकेगी। मेरे बेटे को उसके गुनाहों की सज़ा ज़रूर मिलेगी। बस मैं तुम सभी से माफ़ी माँगना चाहता हूँ।" रमेश ने कहा, "अंकल आप ऐसा मत कहिए प्लीज़। अंकल हमें रंजन से कोई जाती दुश्मनी नहीं है। हमें तो केवल इतना ही चाहिए कि हमारे गाँव की ...और पढ़े
अपहरण - अंतिम भाग
धीरे-धीरे समय व्यतीत होता रहा। रंजन में बहुत बदलाव आ गया। वह अब पहले जैसा बिल्कुल नहीं रहा। इस को तीन माह गुज़र गए। दो दिनों के बाद रक्षा बंधन का त्यौहार था। हर वर्ष रक्षा बंधन के एक दिन पहले मिताली हाथों में मेहंदी लगाती। अपने लिए नए कपड़े खरीद कर लाती और अपने भाई के लिए राखी, मिठाई खरीद कर लाती थी। लेकिन इस वर्ष वह घर से बाहर तक नहीं निकली। आज शाम हो गई रंजन सोच रहा था क्या मिताली उसे राखी नहीं बाँधेगी? उसे इतनी बड़ी सज़ा देगी? आज रंजन को पिछले तीन माह ...और पढ़े