यासमीन रमजान के दिनों में बिना कुछ खाये पिये यासमीन घर के सारे काम करती , झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाकर स्कूल जाने के लिए खुद को तैयार करना । एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद यासमीन जिंदादिल लड़की थी । आपा ! आपको देर हो जाएगी स्कूल के लिए ! टाइम देखिए 7 बज रहे हैं और आपको अभी कितना सारा काम है ..' यासमीन के छोटे भाई समर ने कहा ! यासमीन- समर थोड़ा सा काम है तूँ चाहे तो अपनी आपा की मदद कर सकता है ! वहीं समर चुप हो गया और धीरे से

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday, Thursday & Saturday

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यासमीन - भाग 1

यासमीन रमजान के दिनों में बिना कुछ खाये पिये यासमीन घर के सारे काम करती , झाड़ू पोछा बर्तन खाना बनाकर स्कूल जाने के लिए खुद को तैयार करना । एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद यासमीन जिंदादिल लड़की थी । आपा ! आपको देर हो जाएगी स्कूल के लिए ! टाइम देखिए 7 बज रहे हैं और आपको अभी कितना सारा काम है ..' यासमीन के छोटे भाई समर ने कहा ! यासमीन- समर थोड़ा सा काम है तूँ चाहे तो अपनी आपा की मदद कर सकता है ! वहीं समर चुप हो गया और धीरे से ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 2

अगली सुबह रस्मन मियाँ के घर कुछ और रिश्तेदार पहुँचे , हालांकि बीती शाम समर का जनाज़ा नहीं उठाया कुछ सगे रिश्तेदारों का पहुंचना बाकी था। ऊपर से रस्मन जी की खबर ना लगने पर सब बातें बना रहे थे ।इंसान इतना लाचार नहीं होता जितना दुनियावाले बिचारा शब्द बोल बोलकर उसे बिचारा बना देते हैं यह शब्द पीछे से सुनाई दिया जब यासमीन ने पीछे मुड़कर देखा तो उसके ही पड़ोस की खाला नीमा थी। नीमा एक भली औरत है जो सबके सुख दुख में शामिल होती और उसके यह शब्द जब यासमीन ने सुना तो दुख के ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 3

शबाना बेगम की हालत नाजुक जान पड़ रही थी कि नीमा ने हकीम को बुलाने को कहा तो यासमीन मना कर दिया ! अरे ये लड़की पागल हो गई है ये देखो इसकी अम्मी इसकी नजरो के सामने बेहोश पड़ी है और ये डॉक्टर को नहीं बुला रही। एक औरत ने कहा ! नीमा भी बोली ..." बेटी क्या हो गया ? तुम ऐसे क्यो बोल रही हो कि हकीम साहब को नहीं बुलाना ! यासमीन - ख़ाला जान ' कौन बेटी चाहेगी की उसकी अम्मी उसके सामने बेसुध सी पड़ी हो और वो जश्न मनाए । शायद कोई ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 4

अम्मी अम्मी अब्बू जान कहाँ हैं ? उनकी कोई खबर नहीं ..." पुलिस को शिकायत दर्ज कराए क्या? यासमीन अम्मी से कहते हुए...! शबाना बेगम- बेटी मुझे भी उनकी बहुत फिक्र हो रही है तू जाकर खालू जान के साथ रिपोर्ट लिखवा दे । तूँ डरेगी तो नहीं बेटी?यासमीन - अम्मी आपकी बेटी हूँ अपने हक के लिए हमेशा बेख़ौफ़ देखोगी मुझे !आप परेशान मत होइए ! और अम्मी को सांत्वना देकर खुद के दर्द को अपने भीतर छुपाए नसीम खालू के घर गई!आंगन में फूलों की महक , बकरियों की आवाजें और मुर्गों की बांग से कुछ देर ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 5

पुलिस चौकी के आस- पास कोई था तो नहीं और सड़क के दूसरी तरफ एक हवलदार दिखाई दिया था नसीम और यासमीन ने जब पीछे मुड़कर देखा तो एक फकीर वहाँ से गुजर रहे थे हाथों और कंधों पर वाद्य यंत्र लटकाए , हरे रंग का गोल्डन पट्टी लगा हुआ कुर्ता -धोती पहने हुए सिर पर सफेद जालीनुमा छपाई वाली टोपी पहने हुए नंगे पैर चल रहे थे और मुंह से इबादत के सुर में आंधियों को चकमा देते हुए जा रहे थे एकदम मस्त मौला जिसे दुनिया के तूफानों से कोई वास्ता ही ना हो , और बेहद ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 6

यासमीन सोचते हुए....." काश अगर अब्बू घर आ गए तो मैं फकीर बाबा को घर लेकर आऊंगी वो अल्लाह नेक बन्दे हैं उनकी इबादत में खुद को फकीर बना लिया है । कितना बेहतरीन गायन कर रहे थे कि छोड़ दे सारे फिक्र तू बन्दे अल्लाह पार लगाएगा .......!! और उनका हारमोनियम जो गले मे पहने थे वो धूल मिट्टी पड़ने से बेहतर काम नही कर रहा था लेकिन बाबा ने इसकी परवाह नही की वे कितना तल्लीन होकर इबादत कर रहे थे । क्या वो दुबारा मिलेंगे .....?? वह सोच रही थी सजे कदम धीरे धीरे बढ़ते गए ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 7

नीमा के मुंह से सच्चाई सुनकर यासमीन फूट-फूट कर रोने लगी । कुछ देर तक ऐसे ही रोती रही नीमा ने चुप नही कराया । वह उसे जी भरकर रोने देना चाहती थी। नसीम- बेगम जरा देखो बच्ची बच्ची कब से रो रही है चुप कराओ!नीमा - अरे देख रही हूँ , मुझे भी पता है वो रो रही है तो आप भी तो गुमसुम बैठे है एक जगह ।अब मर्द जात हो रोकर दिखाओगे तो मर्दानगी कम ना हो जाएगी।नसीम- नहीं बेगम यह तो ख़ुदा की दी हुई सौगात है आँसू ! हाँ कुछ हद तक आप ठीक ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 8

उधर घर की बेबसी का आलम था तो स्कूल में यासमीन का जिक्र चलता रहा । सरताज़ - (कैलाश बात करते हुए) ओए भाई हमारी क्लास की वो दबंग लड़की नहीं दिख रही क्या बात हो गई ? कहीं इसलिए तो स्कूल नहीं आ रही कि हर रोज लेट लतीफ पहुँचेगी ?कैलाश- सरताज़ को आंख मारते हुए यासमीन की दोस्त को पिन करता है कहता है...." हाँ भाई बिल्कुल ठीक कहा तूने और लेट आएगी तो डांट भी तो खानी पड़ेगी हा...... हा....... हा......और इतना कहकर दोनों हंसने लगे ।अभी मास्टर जी क्लास में नहीं थे यही समय है ...और पढ़े

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यासमीन - भाग 9

उधर मुम्बई शहर में हालात बहुत गम्भीर हो गए थे रस्मन जिस फैक्टरी में रहकर कार्य करते थे उस में आग लग गई सब तरफ हाय-तौबा मच गया धुआँ इतना तेज और कालिख लिए था कि आंखे फूट जाए । रस्मन औ उनके कुछ साथियों की बदनसीबी थी कि वे आग की लपटों में फंस गए । एक कर्मचारी बोला ...." भाई जान आखिरी समय अपने बीवी बच्चों को याद कर लो पता नहीं हम जिंदा बचेंगे या नहीं ! और उस व्यक्ति के आंखों में मौत आंसू बनकर टपक रही थी। साफ साफ उम्मीद का दामन छूटने लगा था ...और पढ़े

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