अमावस्या की अँधेरी रात ने बखरी सलोना अंचल को अपनी काली चादर तले समेट लिया था। समस्त बखरीवासी अपने-अपने झोपड़ों के अंदर गहन-निद्रा में खोये थे, परन्तु ड्योढ़ी में जाग थी। बखरी की स्वामिनी भैरवी-रूपमती, मृत्यु-शय्या पर लेटी अपनी अंतिम सांसें ले रही थी। पास ही उसकी तेरह वर्षीया रूपसी पुत्री वीरा मौन बैठी अपनी माँ की डूबती साँसों को असहाय नेत्रों से निहार रही थी। पूरी ड्योढ़ी वाममार्गी सिद्धों, कापालिकों, तांत्रिकों और डायनों से भरी थी। वीरा के पास ही बैठी थी पोपली काकी।
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अनोखी प्रेम कहानी - 1
अमावस्या की अँधेरी रात ने बखरी सलोना अंचल को अपनी काली चादर तले समेट लिया था। समस्त बखरीवासी अपने-अपने के अंदर गहन-निद्रा में खोये थे, परन्तु ड्योढ़ी में जाग थी।बखरी की स्वामिनी भैरवी-रूपमती, मृत्यु-शय्या पर लेटी अपनी अंतिम सांसें ले रही थी। पास ही उसकी तेरह वर्षीया रूपसी पुत्री वीरा मौन बैठी अपनी माँ की डूबती साँसों को असहाय नेत्रों से निहार रही थी। पूरी ड्योढ़ी वाममार्गी सिद्धों, कापालिकों, तांत्रिकों और डायनों से भरी थी। वीरा के पास ही बैठी थी पोपली काकी।पोपली काकी! अति वृद्धा पोपली काकी के निर्निमेष नेत्र रूपमती पर जमे थे। तभी रूपमती के अधर ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 2
कार्तिक-पूर्णिमा की पूर्व रात्रि से ही भरोड़ा के नर-नारी और बाल-वृद्ध हाथों में प्रज्वलित मशालें थामे, गाते-बजाते और नृत्य घाट पर एकत्रित होने लगे।भरोड़ा के मल्लाह-राजा की ओर से घाट की विस्तृत भूमि को समतल करवाकर तंबू लगवाए गए थे। समतल जमीन पर जन-समूह ने मेले का स्वरूप ग्रहण कर लिया था। कहीं नट-नटी के नृत्य हो रहे थे, कहीं ढोल-मंजीरे की थाप पर कुल-देवी कमला मैया के गीत गाए जा रहे थे।अवसर था कार्तिक-पूर्णिमा में कमला स्नान का और परम्परानुसार, प्रथम स्नान मल्लाह राजा-रानी करते थे फिर उनके कुटुम्ब। राजा-रानी द्वारा कमला-मैया का पूजन होता, महारती की जाती ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 3
वीरा की नींद अचानक उचट गयी। समस्त तन में पीड़ा और जलन। मशाल बुझ गई थी। पूरे कक्ष में छाया था। उठकर उसने बुझे मशाल को मंत्रोच्चारण से पुनः प्रज्वलित किया। सारे कक्ष में जलती मशाल की चर्बी की गंध के साथ पीला-डरावना प्रकाश फैल गया।नींद से अचानक जगने का कारण ढूँढ़ती उसकी आँखें कक्ष में घूमने लगीं। क्या हो गया है उसे? विगत कई दिनों से उसकी व्यग्रता बढ़ने लगी थी। कापालिक क्रियाओं में त्रुटियां होने लगी थीं। आज भी याद कर उसे स्वयं पर क्रोध आया। क्रोध की अधिकता से उसका तन-मन जल उठा।इस बार वह सचेत ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 4
पुत्र-प्राप्ति-अनुष्ठान के अद्भुत नवदिवस व्यतीत हुए. रानी के दूसरे ऋतुकाल में वैद्य ने राजा को अपनी बधाई के साथ संदेश दिया और पाकशाला में निर्देश भिजवाया कि रानी के दूध में केशर डाले जाएँ। उनका कहना था कि नित्य केशर के सेवन से गर्भस्थ कंुवर चंद्रमा की तरह कांतिमान् और गौरवर्ण होंगे। उसी दिवस से रानी ने नित्य केशर ग्रहण करना आरंभ कर दिया।रानी गजमोती के गर्भधारण का शुभ समाचार प्राप्त होते ही भरोड़ा-राज के समस्त जड़ और चेतन खुशी से झूम उठे। वसंत के पूर्व ही वृक्षों की शाखाओं पर नयी कोंपलें उग आईं, वन में मयूरों ने ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 5
शयन-कक्ष की सुखद शय्या पर राजा विश्वम्भर मल्ल सारी रात जगे थे। युवराज को देखकर अपनी आँखों को तृप्त की आकुलता में वे करवटें बदलते रहे।रानी गजमोती के प्रसूति-कक्ष तक समाचार सुनते ही राजा दौड़ पड़े थे। परन्तु कक्ष के अंदर उन्हें प्रवेश की अनुमति न मिली। इनकी राजाज्ञा वहाँ नहीं चली। प्रसूति-कक्ष का नियंत्रण प्रसव-निपुण धाई और नाइन के हवाले था। फलतः उनके आदेशानुसार राजा छह दिनों के पश्चात् ही कुँवर के दर्शन कर सकते थे।मल्लाहराज ने उन्हें अनेक प्रलोभन दिए, परन्तु वे न मानीं। भीममल्ल, वैद्य, ज्योतिषी और राजरत्न मंगल, राजा की व्याकुलता का आनंद उठाते रहे ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 6
अंगमहाजनपद के मुख्य केन्द्र चम्पा नगरी से पश्चिमोत्तर बीस कोस की दूरी पर बहुरा गोढ़िन के आधिपत्य में बखरी बसा था।तांत्रिक मच्छेन्द्रनाथ के अनुयायियों ने अपने गुरु की स्मृति में जिस सम्प्रदाय को, अपनी पूरी शक्ति और भक्ति से सक्रिय रखा था, उसका नाम था-नाथ सम्प्रदाय। चम्पानगरी में नाथ सम्प्रदाय के तंत्र-साधकों ने अपना अलग गढ़ ही स्थापित कर लिया था। चम्पानगरी का यह गढ़ नाथनगर के नाम पर समस्त अंग में विख्यात था।गौतम बुद्ध की निर्वाण प्राप्ति को सदियां व्यतीत हो गई थीं और इस अवधि में एक के बाद एक बौद्ध धर्म की कई शाखाएँ, कई सिद्धांत ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 7
'गुरूदेव!' बखरी सलोना से पोपली काकी का संदेश लेकर माया दीदी आयी हैं, 'शिवदत्त नाथ ने नतजानु होकर गुरु से कहा-' उन्हें द्वार पर ही रोककर आया हूँ। आज्ञा हो तो उन्हें श्रीचरणों में उपस्थित करूँ? 'चम्पापुरी स्थित नाथसम्प्रदाय का यह आश्रम गुरु भैरवनाथ के अधीन संचालित था। शिवदत्तनाथ उनके प्रधान शिष्यों में थे। शिवदत्त ने जब बखरी की माया दीदी से गुरू-दर्शन का प्रयोजन जानना चाहा तो दीदी ने स्पष्ट कह दिया, उसके पास गुरुदेव के लिए पोपली काकी का व्यक्तिगत संदेश है और वह उनके अतिरिक्त और किसी को वह संदेश नहीं दे सकती।चम्पापुरी स्थित नाथसम्प्रदाय के ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 8
रात का दूसरा प्रहर बीतने को आया, परन्तु मधुरिया माय की आँखों से नींद गायब थी। पति गनौरी गोढ़ी आँखें निद्रा के बोझ तले बोझिल होती जा रही थीं, परन्तु मधुरिया माय की जिद थी कि समाप्त ही नहीं हो रही थी।'मुझे कुछ भी ज्ञात नहीं! हम कहाँ जाएँगे? क्या करेंगे और क्या खाएँगे? ...मैं कुछ नहीं जानती। मुझे अब इस नरक में और नहीं रहना है... बस। हमें साथ लेकर इस डायन के देश से बाहर चलो।'गनौरी चिन्तामग्न हो गया। खीझकर उसने कहा-' कुछ समझती तो हो नहीं... हठ पर अड़ी हो। देश-काल का कुछ भी ज्ञान नहीं ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 9
चम्पापुरी का गंगातट।बखरी सलोना की सजी-सँवरी नौका में पाल बांधा जा चुका था और शांत बैठे नाविक माया दीदी आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे।माया दीदी के साथ चम्पा से किसी तेजस्वी सिद्ध को बखरी तक की यात्र करनी थी। चारों नाविक उत्सुकतापूर्वक उस सिद्ध की राह देख रहे थे। कौन हैं वे? अवश्य कोई बड़े योगी या तांत्रिक सिद्ध होंगे अन्यथा माया दीदी स्वयं उन्हें साथ लिवाने नहीं आतीं। नाविकों में यही चर्चा चल रही थी कि उन्होंने दूर से आती माया दीदी के संग एक लम्बे-ऊँचे गौरांग पुरूष को देखा। चारों नाविक नौका से उतरकर तट पर ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 10
बटेश्वर स्थान का गंगा-घाट और उससे लगा विशाल भू-भाग, नर-नारियों के हास-परिहास और हलचलों से भर गया था। सैकड़ों भू-भाग पर सहस्त्रों शिविर तथा तम्बुएँ। शिविरों के लिए निर्मित मार्ग तथा उनके किनारे कतारों में गाड़े गये मशालों की पंक्तियाँ।प्रत्येक शिविर समूह के साथ विस्तृत भूमि पर रसोइये, सेवकों तथा अंगरक्षकों के निवास निर्मित किये गये थे तथा शिविरों में आये राजे-रजवाड़े, जमींदारों की पालकियाँ, घोड़े एवम् बैलगाड़ियों के लिए अलग से स्थान घेरा गया था।इनमें राज भरोड़ा का शिविर सबसे विस्तृत था। शिविरों के चारों तरफ वीरवर भीममल्ल, राजरत्न मंगल, वैद्यराज रसराज तथा कुँवर नटुआ दयाल सिंह के ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 11
कालचक्र की गति इतनी तीव्र हो गयी कि किसी को सोचने-समझने और चिंतन का अवकाश ही न मिला। भरोड़ा हवेली में बरतुहार बनकर स्वयं माया दीदी पधारी थीं। माया दीदी की प्रतिष्ठा-ख्याति तो सम्पूर्ण अंगदेश में व्याप्त थी ही, परन्तु भरोड़ा में उनका जैसा अपूर्व सत्कार हुआ, उससे स्वयं माया भी अभिभूत हो गयीं।सम्पूर्ण भरोड़ा और बखरी के समस्त अंचल में बंदनवार सजाये गये। मार्गों के स्वच्छ कर उनको जल से सींचा गया। राजप्रासाद को फूलों से सजाया जाने लगा। दोनों अंचल में उत्साह का ऐसा संचार हुआ कि निवासियों तक ने विवाहोत्सव में धारण करने हेतु नवीन वस्त्र ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 12
भाद्रपद मास की प्रथम रात्रिकमला बलान की शांत जलधारा में विजयमल्ल की विशाल | नौका तैरती चली जा रही । उसकी नौका में आज अतिविशिष्ट सवारी , कुँवर दयाल सिंह विचारों के प्रवाह में • उलझा बैठा था । नौका में कुल तीन ही प्राणी थे । कुँवर दयाल सिंह , उनका नौकर झिलमा खबास और नाविक विजयमल्ल । लम्बा - चौड़ा और बलिष्ठ विजयमल्ल का रंग काला , परन्तु हृदय उजला था । लंगोट का धनी विजयमल्ल इतनी उम्र बीत जाने पर भी अविवाहित था । कुश्ती के प्रेमी विजयमल्ल को भरोड़ा के राजपुरुष वाक् - आनंद के ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 13
कुँवर ने तत्काल अपने शरीर को देखा । शरीर को पूर्ववत् देख हतप्रभ हो गया । ' यह क्या है माँ ? कौन हो तुम ? " उस अनिंद्य सुंदरी के रक्ताभ अधरों पर स्निग्ध मुस्कान बिखरी । मृदुल वाणी में उसने कहा- मैं कौन यह जानने की तुम्हें आवश्यकता नहीं है पुत्र ! परन्तु मैंने तुम्हें अवश्य जान लिया है । इस अंचल में आने का तुम्हारा प्रयोजन भी मुझसे छिपा नहीं है । कहो तो तत्काल तुम्हारे चक्रों का जागरण क्षणांश में मैं कर दूं ... परन्तु गुरु - आज्ञा मानकर षट्चक्र - नृत्य के माध्यम से ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 14
पालकी के अन्दर बैठी कामायोगिनी कुछ क्षणों तक कुँवर को निहार मुस्कुरायी , फिर गंभीर होकर बोलीं , ' को शांत कर मेरी बातें एकाग्र होकर सुनो वत्स ! प्राणी का जीवन और उसकी चेतना शरीर में श्वास द्वारा निरंतर प्रवाहित होने वाली वायु पर ही अवलम्बित है । ' ' चेतना ही तो जीवन है ... इन दोनों को पृथक क्यों कर रही हैं , देवि ? ' ' नहीं वत्स ! अचेत प्राणी क्या जीवित नहीं होता ? दोनों की सत्ता पृथक् है । चेतना का प्रत्यक्ष सम्बंध चेतन मस्तिष्क से है । ' ' चेतन मस्तिष्क ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 15
स्थान: उत्कल का राज महल ___________________ उत्काल के युवराज्युवराज का यो अचानक लुप्त हो जाने के कारण उत्कल के राजा व्याकुल हो गये । चतुर्दिक गुप्तचरों को पता लगाने भेजा गया । सेना ने घने वनों को छान मारा । सागर किनारे के अंचलों में भी ढूँढ़ा गया , परन्तु युवराज का कहीं कोई पता न मिला । | विवश हो गुप्तचर और सैनिक जब खाली हाथ लौट आये तो वृद्ध राजा चंद्रसेन शोकग्रस्त हो अचेत हो गए . | सेनापति वीरभद्र और अमात्य सत्पथी ने अचेत राजा के | लड़खड़ाते शरीर को तत्काल सहारा न दिया होता ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 16
वर्षों पूर्व भरोड़ा के नाविकों में प्रथम नाम था माधवमल्ल का । नदियों के पथ से समस्त द्वीपों का ज्ञान उसे था , भरोड़ा में और किसी को नहीं था । इसीलिए , व्यापारियों का वह प्रिय था । पुराने ताम्बे - सा रंग और पहलवानी शरीर का बांका जवान था माधवमल्ल । भरोड़ा की कई लड़कियां उससे ब्याह का सपना देख रही थीं , परन्तु माधव के नैन लड़ गये बखरी की गोढ़िन जमुनिया से । जमुनिया के घर वालों को भला क्या आपत्ति होती । माधव जैसा बाँका युवक और कमाऊ दामाद और मिलता कहाँ ? सो ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 17
• बंदीगृह में राजमाता के आदेश से हलचल मच गई . बंदी युवराज को तत्काल राजमाता के कक्ष में किया गया । बेड़ियों में जकड़ा युवराज चन्द्रचूड़ शांत था । उसकी आकृति पर मृत्यु भय की छाया तक नहीं थी । राजमाता के सम्मुख आते ही उसने शांत - मुद्रा में उनका शिष्टतापूर्वक अभिवादन करते हुए कहा- राजमाता के श्रीचरणों में उत्कल युवराज चन्द्रचूड़ का प्रणाम स्वीकार हो माता ! आपके दर्शन की अभिलाषा आज पूरी हुई .... मेरे लिए क्या आदेश है राजमाता ? ' राजमाता के नयन फिर से छलक गए . ' यह क्या ... मेरे ...और पढ़े
अनोखी प्रेम कहानी - 18
भरोड़ा से दुलरा दयाल क्या गया मानो अंचल के प्राण ही चले गये । प्रकृति ने भी शोक - हो अपनी हरीतिमा त्याग दी । पंछियों ने चहचहाना छोड़ दिया । महल सूनी , चौपाल सूना , • अंचल का प्रत्येक आँगन सूना हो गया । श्री की अनुपस्थिति में समूचा अंचल ही श्रीविहीन हो गया । दुलरा दयाल का समाचार मंगलगुरु को अपने प्रशिक्षित कागों एवं गुप्तचरों के माध्यम से प्राप्त होता रहता । परन्तु , राजा और रानी के अतिरिक्त कोई नहीं जान पाया , कुँवर कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं ? सेनापति की आँखों ...और पढ़े