तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना

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कहते है की सच्ची मोहब्बत किसी के रंग -रूप, वर्ग-धर्म, देखकर नही होती है। सच्ची मोहब्बत तो सीरत से होती है। इश्क़ इबादत होता है अगर एकबार हो जाये तो भूलना ना मुमकिन सा हो जाता है। चलिये आपको ले चलते है ऐसे ही मोहब्बत की दुनिया में जिसमें हर किसी को एक दुसरे से प्यार है लेकिन कुछ समाज की बन्दीसे तो कुछ आपसी रंजिशे आ जाती हैं विघ्न बन के। समाज के बनाए दायरों और आपसी रंजिशो से ऊपर उठ क्या यह बेपनाह मोहब्बत करने वालीं अद्भुत जोडियाँ मिल पायेंगी या सच्चे प्रेमियों की एक बार फिर बली चड जायेगी?"

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday, Thursday & Saturday

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-1) - पहली मुलाकात

कहते है की सच्ची मोहब्बत किसी के रंग -रूप, वर्ग-धर्म, देखकर नही होती है। सच्ची मोहब्बत तो सीरत से है। इश्क़ इबादत होता है अगर एकबार हो जाये तो भूलना ना मुमकिन सा हो जाता है। चलिये आपको ले चलते है ऐसे ही मोहब्बत की दुनिया में जिसमें हर किसी को एक दुसरे से प्यार है लेकिन कुछ समाज की बन्दीसे तो कुछ आपसी रंजिशे आ जाती हैं विघ्न बन के। समाज के बनाए दायरों और आपसी रंजिशो से ऊपर उठ क्या यह बेपनाह मोहब्बत करने वालीं अद्भुत जोडियाँ मिल पायेंगी या सच्चे प्रेमियों की एक बार फिर बली ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-2) - अस्मिता की माफी

अस्मिता को जैसे ही होश आता है वो सिर झटक के मन मे सोचती है-" अस्मिता क्या देख रही तू कहा है और वो कहा।" आदित्य अब भी उसे ही देख रहा था। फिर अचानक वो गाड़ी से उतर कर आता है और अस्मिता के पास आता है। आजतक दक्षिणी टोले के लोगों के इतना करीब कोई भी हवेली का नही आया था। सबकी डर से हालत खराब हो रही थी। अस्मिता को किसी की परवाह नही थी उसके आँखो मे हवेली के खिलाफ जाने का ना ही डर था ना ही अफसोस। उसके पास आकर आदित्य बोलता है-" ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-3) - इश्क़ मोहब्बत

अस्मिता का कमरा -- अस्मिता अपने घर मे बैठी थी मुँह फुलाए की उसके बाबा आते है। घनश्याम जी-" बिटिया क्यू गुस्सा हो रही हो हमसे आप तो जानती हो वो हवेली वाले है हम जितना उनसे दूर रहे हमारे लिये उतना ही अच्छा है ।" अस्मिता-" तो बाबा हमेशा हम उनसे डरते रहे और उनसे दब कर रहे क्या।" घनश्याम जी-" बेटा यह तो सालो से होता हुआ आ रहा है और वो हवेली के लोग हम दक्षिणी टोले वालों को अपने पैरो की जुती ही समझते है ।" फिर कुछ देर बाद-" अच्छा तो आप जाओ अपने ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-4) - छोट्की के साथ क्या ह

आदित्य उसके चेहरे को याद करते हुये- "जो इस दिल मे मनादे सावन मे दिवाली। शराबी होठ और कातिल मेरा दिल भी ले गयी वो जिसकी थी नसीली आंखे और चाल मतवाली।" रौनक -" इश्क़ के मारे नाम भी बतायेगा उनका।" आदित्य-" पता नहीं।" रौनक-" क्या तुझे उसका नाम तक नही पता अच्छा कहा रहती है वो बता।" आदित्य -" दक्षिणी टोले में।" रौनक उछलते-" अबे पागल हो गया है क्या तुझे पता भी है क्या बोल रहा है तू उन छोटे वर्ग वाले और हमारा कही मेल है।" आदित्य-" तू भी यही सब बोलने लगा अब तेरे पढे ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-5) - ममता के ऊपर जुल्म

गाँव की दुसरी तरफ पंचायत बैठी थी । सरपंच जी पेड के नीचे अपने आसन पर विराजमान थे। साथ गाव के सारे वर्ग के लोग बैठे थे वही एक तरफ कोने मे दक्षिणी टोले के लोगो के लिये जगह थी जहा पर घनश्याम जी उर्मिला चाची छोट्की की अम्मा छोट्की को लिये हुये और भी गाव के लोग थे। वही एक तरफ सोम और उसके माता पिता भी थे। उनमे से किसी के भी चेहरे पर कोई पछतावा नही दिख रहा था बल्कि चेहरे पर घमंड था और आँखो मे इतना अभिमान मानो बोल रहे हो की उन्ही की ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-6) - रौनक की चप्पलों से

वो अस्मिता के कान के बिल्कुल करीब आकर बोलता है- ख्वाबो में, जज्बतो में बस गयी हो मेरे यूँ मे समा गयी हो मेरे धरा और फलक बन गयी हो मेरी हाँ तुम मोहब्बत बन गयी हो मेरी । अस्मिता की तो सांसे ही अटक गयी वो जल्दी से मुड़ कर देखती है की कौन है लेकिन वहा कोई नहीं था वो अचानक से बहुत डर जाती है और दौड़ कर घर के अंदर भाग जाती है जिससे उसके एक पैर की पायल वही गिर जाती है। वो पेड के पीछे छुपा इन्सान बाहर आता है और पायल उठा ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-7) - अनुराग पूजा की हवेली

आदित्य -" कोई ना तेरी शादी उसकी दोस्त से करा दूँगा फिर दोनो साथ मे एक दुसरे को देख रौनक कहरते हुये -" क्या उस कलुटी से...... राम राम कौन शादी करेगा पिसाचनी लगती है पूरी की पूरी।" उसके बातों पर आदित्य और हंसने लगता है। रौनक मुँह बनाकर उसके साथ ही उसकी हंटर पर आ बैठा । उसका मुँह बनता देख आदित्य -" इतना क्यूं मुँह बना रहे हो चलो हम भी उनसे मिल आयें।" रौनक -" क्या ... मुझे अब फिर से मार नहीं खाना तुम ही जाओ ।" आदित्य-" अरे चलो अब इतना डरोगे तो अपनी ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-8) - सारंगी - अस्मिता चली

अस्मिता का घर अस्मिता घर आकर यही सोच रही थी की आखिर आदित्य क्यू आया था और आया तो कुछ बोले बस मुस्कुराता रहा और फिर चला गया। उसके दिल से भी बस यही आवाज निकल रही थी ' तेरी खामोशी भी अजीब सी सितम करती है तेरा बस यूं मुस्कुरा कर चले जाना भी मेरे दिल को बेचैन हर पल करती है .... अस्मिता अपने छोटे से कमरे के बैड पर लेटी कुछ पढ्ने की कोशिश कर रही थी लेकिन दिमाग था की बस आदित्य पर आकर रुक जाता । लगभग आधी रात हो चुकी थी लेकिन ना ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-9) - काली माता की मंदिर म

अस्मिता और सारंगी दोनो की मुँह बाँध कर अपने घर से निकल जाती है अब ईश्वर ही जाने की क्या हो सकता था। जल्द ही वो दोनो भी काली माता के मंदिर पहुच गयी। दुसरी तरफ मंदिर में -- पूजा सम्पन्न होने के बाद सभी लोग प्रसाद लेते है और वापस सीढियों से उतर कर अपने अपने हवेली के लिये निकल जाते हैं। ठाकुर रत्न सिंह का परिवार के लोग भी गाड़ियों मे बैठ चुके थे। पूजा हस हस कर आदित्य से कुछ बाते कर रही थी। किसी बात पर आदित्य भी जोर से हस दिया। वही थोडी दर ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -10) - अस्मिता आम के पेड

आदित्य - "भीग कर आँखो से जो बही रात भर वो ग़ज़ल हमारे दिलों पर असर कर गयी लोग का दिल हमको कहते थे पर एक मुस्कान पत्थर मे घर कर गयी थे बड़े चैन से हम कोई गम न था, कट रही थी जवानी सुकूँ से बहुत वो नजर कुछ मिला कर के ऐसे गयी जिन्दगी को इधर का उधर कर गयी।। उसकी बात सुन रौनक बोलता है -" अरे यार तू तो पूरा आशिक बन गया है ..... वैसे तू अस्मिता को बतायेगा नही क्या की तू उससे प्यार करता है।" आदित्य सोचते हुये बेफिक्री से -" ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-11) - अस्मिता के दिल की ब

आदित्य को अपने बगल मे देख अस्मिता वहाँ से दौड़ कर भाग गयी क्योकि उसका सामना वह नही करना थी। उसको ऐसे भगते देख आदित्य लगभग हंस देता है और अपने बालों मे हाथ फेरते हुये बोलता है -' पागल लड़की।" तभी तमतमाते हुये रौनक आया और उसकी हालत देख आदित्य जोर जोर से हंसने लगा। उसकी हालत भी तो देखने लायक सारंगी ने बना दिया था। आदित्य -" रौनक यह क्या हाल बना रखा है तूने पूरे चेहरे बाल सब मे मिट्टी है।" रौनक गुस्से से -" उस जंगली बंदरिया ने किया है सब।" आदित्य उसे चिडाते हुये ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-12) - अस्मिता के बाबा को

आदित्य का कमरा -- आदित्य अपने कमरे मे खिडकी से कुद कर आता है। आदित्य मुसकुराते हुये आइने के जाकर अपने बालों मे हाथ फेरने लगता है और अस्मिता का घबराता हुआ चेहरा याद कर हंसने लगा। आदित्य खूद से ही -" कितनी मासूम हो ना तुम यूं घबराने लगती हो।" आदित्य को अचानक कुछ याद आता है और वो मुडकर अपनी आलमारी खोल कुछ खोजने लगता है। कपडों को इधर उधर पलटने ले बाद एक छोटा सा डिब्बा निकाल उसे खोलता है। उसमे एक पैर की एकदम पतली सी पायल थी जिसे देख उसकी आँखे खूद ब खूद ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-13) - अस्मिता : एक शेरनी

कृष्णा घनश्याम जी को लेकर हवेली पहुंचता है। हवेली के गेट के अंदर पहुचते ही जीप रुकती उसमे से कृष्णा पहले नीचे उतरता है फिर एक आदमी घनश्याम जी के कुर्ते का कॉलर पकड़ उन्हे भी नीचे उतारता हैं । घनश्याम जी को देखते ही भान प्रताप का गुस्सा फुट पड़ता है। भान प्रताप -" तुम्हरि इतनी हिम्मत कैसे हुई हमारी आज्ञा की अवहेलना करने की।" घनश्याम जी घुटनों के बल उनसे कुछ दर बैठ हाथ जोड़ते हुये -' सरकार हमशे कौनसी गलती हो गयी।" इसपर राजेस्वरी देवी सामने आते हुये -" काहे रे भुल गया का ,,, की ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-14) - रौनक - सारंगी का झगड़ा

आदित्य वहाँ से हंटर लिये तालाब की तरफ आ गया। वो थोड़ा गुस्से में भी था और उदास भी। अभी भी रात के ही लोवर टी शर्ट पहन रखी थी और बाल भी बिखरे बिखरे से थे। आँखे एकदम खाली थी। वह गाड़ी से उतर तालाब किनारे एक पत्थर पर बैठ तालाब मे पत्थर फेंक रहा था। उसके पीछे पीछे रौनक भी आता है और अपनी गाड़ी रोक उसके बगल मे बैठ जाता है। रौनक -" क्या बे आज तो एकदम छा गये गुरु।" आदित्य उसकी तरफ असमंजस से देखते हुये -" क्यो ऐसा क्या हुआ।" रौनक - " ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-15) - क्या अस्मिता ही साहिबा है

आदित्य अस्मिता को अपने दोनों हाथों मे लिये तालाब के बाहर आया । जैसे ही सारंगी और रौनक ने देखा दोनो दौड़ते दौड़ते आयें। आदित्य अस्मिता को बाहर घास पर लिटा देता हैं। सारंगी हाँफते हुये -" क्या हुआ अस्मिता को?" आदित्य -" अरे शान्त रहिये ,,,, इनका पैर फिसल गया था तो तालाब में गिर गयीं थी अब ठीक हैं।" सारंगी -" यह पागल लड़की इतना पानी से डरती है कि हमेशा कुछ न कुछ हो जाता है। आदित्य को यह बात सहन नही हो रही थी की अस्मिता को पानी से क्यू डर लगता है लेकिन ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -16) - सार्थक का संदेश

अस्मिता का घर -- घनश्याम जी बैठे हुक्का गुडगूड़ा रहें थे तभी उनके घर का दरवाजा खुला और 5 बॉडीगार्डस के साथ रामू अंदर आया। घनश्याम जी उनको देख कर ही खड़े हो गये और जल्दी से सर झुका कर उसको सलाम किया। घनश्याम जी -" मालिक आप ईहां कौनौ काम था का हमको बताते हम ही छुपते छुपाते आपके पास आ जाते।" रामू -" काका देखीये हमारे पास ज्यादा समय नही है और यहां हम ठकुराइन साहिबा और सार्थक बाबा का संदेश लायें हैं। घनश्याम जी -" कुछ हुआ है का।" रामू गम्भीर होकर -" साहिबा आज भान ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -17) - इश्क़ - ए - इजहार

आदित्य और ममता अभी बात ही कर रहे थे की उनकी बातें सुन राजेस्वरी वहाँ आ जातीं है जिनको दोनों एकदम खामोश हो जाते हैं। राजेस्वरी -" का हुआ चुप काहे हो गये तुम लोग ,,,, और तू यहां बैठ पटर पटर कर रही है जा देख रसोई मे क्या क्या हुआ है।" अभी ममता उठ कर जाने वाली ही थी की रौनक आ जाता है उसके हाथ मे एक लिफाफा था। रौनक आदित्य से -" यह ,,,,।" तभी बीच मे राजेस्वरी बोलतीं है -" इमे का है बबुआ।" रौनक -" चाची शहर से आदित्य के दफ्तर से कोई ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-18) - पन्कुडी और सार्थक क

अस्मिता -- "क्या यह नजरे इकरार नही करतीं, क्या इश्क़ को हर लम्हा मुकरार नही करती माना हमेशा आपसे की बातें हम करते नहीं आरजू है हमारी दिल के इजहार को सुनिये जनाब क्योकि इश्क़ मे इजहार लबो से जरुरी है ही नही।" अस्मिता की बात सुन आदित्य एकदम खामोश हो जाता है। अचानक ही आदित्य अपनी पॉकेट से कुछ निकालने लगता है। अस्मिता उसको ऐसे कुछ खोजता देख इशारे से पूछती है की क्या खोज रहे हो। आदित्य बस मुस्कुरा कर अपने पॉकेट मे से एक पतली सी सोने की कमरबंद निकालता है और अस्मिता को अपनी तरफ ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-19 ),,, रंगीला बुड्ढा

आदित्य और अस्मिता दोनो रात के लगभग 9 -10 बजे तक आराम से मौसी के घर पहुंच गये थे। आदित्य को कुछ दुरी पर ही गाड़ी रोकने को बोलती है क्योकि अगर मौसी उसे किसी भी लड़के के साथ देखती तो यह बात किसी न किसी तरीके से उसके बाबा तक पहुच ही जाती । अस्मिता अपने मौसी के घर पर जाकर दरवाजा खटखटाती है लेकिन कोई उत्तर नही आता है। लगभग पाँच मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई दरवाजा नही खोलता । अचानक अस्मिता का ध्यान दरवाजे की कुंडी पर जाता है जो की बाहर से ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -20) आदित्य- अस्मिता की

आदित्य की हवेली -- हवेली मे आज पहले से कुछ ज्यादा ही चहल पहल थी।उधम सिंह और कामिनी देवी बेटी पन्कुडी के साथ आज लगभग 10 साल बाद आये थे। बड़े से शाही मेज पर सभी आदमी बैठे खाना खा रहे थे। और सबके साथ मे पन्कुडी भी क्योकि घर की बेटी जो थी। सभी औरते -- कामिनी देवी, राजेस्वरी देवी और ममता अभी नही खा रही थी। यह उनके यहां का रिवाज था घर के सभी आदमियों के खाने के बाद ही औरतों को अन्न ग्रहण करना चाहिये। उधम सिंह अपने कडक आवाज मे भान प्रताप से पूछता ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -21) आदित्य - अस्मिता

जब अस्मिता सुबह उठ कर देखती है तो आदित्य बैड पर नही था । वह उठ कर बिस्तर को पाती है कि उसकी तरफ का बिस्तर एकदम ठंडा है।वो अचानक से उठ इधर उधर देखती है क्योकि अभी भोर के 5 ही बज रहे थे और इतनी सुबह आदित्य कहाँ जा सकता था। अस्मिता उठकर दरवाजे के पास आती है तो दरवाजा अंदर से ही बंद था। अस्मिता मन में -" इन्हे जमीन निगल गयी क्या।" तभी वो देखती है आदित्य बैड के नीचे जमीन पर ही चादर बिछा सोया था। अस्मिता यह देख की आदित्य जो अपने आलीसान ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-22) एक मक्खीचुस की कहानी

रौनक सारंगी और पन्कुडी को आपने जीप मे लेकर रामगढ़ के बगल वाले गाँव सुर्यपुर ले जाता है । सुर्यपुर गाँव उनके यहां से नजदीक ही था इसलिये तीनो जल्द ही पहुँच जाते हैं। रौनक सीधे वहाँ के ठाकुर साहब के हवेली के सामने अपनी जीप रोकता है। पन्कुडी हवेली की सुंदरता देखकर एकदम मंत्र मुग्ध हो जाती है। पन्कुडी बाहर देखकर -" वाह सारंगी यह हवेली तो बहुत सुंदर है ,,,,, चाचा के हवेली से भी ज्यादा मुझे पसंद आया यह तो। इधर सारंगी हवेली को देख रही थी तो कभी गुस्से से रौनक को। रौनक -" क्या ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-23) सार्थक- पंखुडी की नो

अस्मिता जब वापस घर मे आती है तो पाती है कि आदित्य बैड पर आकर सो गया था। अस्मिता में -" हे भगवान यह फिर सो गये ।" अस्मिता के दिमाग मे एक खुरापात चल रही होती है वो आदित्य के पास जाकर उसके कानों मे अपने बालों को धीरे धीरे डालते हुये मुहं बंद कर हसने लगती है और इधर आदित्य को गुदगुदी हो रही थी । आदित्य अपना कान तकिये से ढकते हुये -" अस्मि क्यो रही हो आप सोने दो ना।" अस्मिता -" इतनी सुबह हो गयी है धूप तक निकल आई और आप सो रहें ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -24) आदित्य की जलन

पंखुडी किसी तरह चलते हुये कुछ दूर पर आती है तभी उसका ध्यान सामने खड़े रौनक पर जाती है सारंगी से किसी बात पर लड़ रहा था। पंखुडी गुस्से से उसके पास आते हुये पीछे से बाल पकड घुमा देती है। रौनक -" आआआआआ ,,, क्या यह चुडैल कम थी क्या जो तुम भी आ गयी।" पंखुडी -" आज तो मन कर रहा है भाई आपको इतना मारू की ,,,,, की आप चुडैलो के देश पहुंच जाओ।" रौनक कराहते हुये -" आ ,,,,,आ,,,, तुम दोनो के रहते मुझे चुडैलों के देश नही जाने की जरुरत ,,, तुम दोनो तो ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-25) संगीत

सार्थक अपने कमरे मे बिस्तर पर दोनो हाथ सिर के पीछे रख ऊपर छत को देख रहा था। उसके पर रह रह कर मुस्कान आ जा रही थी आखिर आये भी क्यो ना पखुडी के ख्यालो में जो खोये थे जनाब। पंखुडी का बार बार उसपर हक जमा कर लड़ना उसको अंदर तक बेचैन कर रहा था। सार्थक मन में -" यह लड़की भी ना अजीब है कब क्या करती रहती है समझ नही आता और इतना लडती क्यू है शायद पिछ्ले जन्म की कोई बहुत बड़ी योद्धा रही होगी - रानी लक्ष्मी बाई की तरह ,,,,, पर जो ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग - 26) वाणी की प्रेम कह

दूसरे सुबह अस्मिता उठती है तो सुबह सुबह ही मेहंदी का भी बुलावा आ जाता है। किसी तरह आज दिन निकलता है और आखिरकार आता है शादी वाला दिन। सुबह से ही चहल पहल थी । सभी काम कर रहे औरतें भी सिंगार के समान खरीदने मे मशगुल थी। शाम का समय हो चला था लेकिन अभी तक अस्मिता आदित्य से नही मिली थी क्योकि कल मेहंदी के बाद ही वो राधिका के घर रुक गयी थी और सुबह से वहीं थी । आदित्य भी अब परेशान हो रहा था क्योकि उसे अस्मिता के बिना कुछ अच्छा नही लग ...और पढ़े

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग - 27) - वाणी की अधुरी

राधिका की शादी बड़े धूम धाम से हो चुकी थी। शादी होते होते सुबह भी हो चुकी थी इसलिये की तैयारियाँ होने लगी। राधिका से लिपट कर वाणी और अस्मिता भी खूब रोयी उसके बाद कुम्हारों ने डोली में बिठा कर उसे कुछ दूर लाया और फिर गाड़ी मे बिढा विदाई हो गयी। सबकी आँखे नम थी। उत्कर्ष अभी तक आदित्य अस्मिता और वाणी के साथ था। अस्मिता रोते रोते सुबके जा रही थी तभी आदित्य उसे कंधे से पकड कर -" अरे इतना कौन रोता है ।" अभी अस्मिता कुछ बोलती की वाणी सुबकते हुये बोलती है -" ...और पढ़े

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