मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां

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"इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने ले लीना.. दुपट्टा मेरा" दोस्तों शायद ही ऐसा कोई हो जिसने इस गाने को नहीं सुना होगा और इस गाने को सुनते ही आंखों के सामने उभर आता है एक सुंदर सा चेहरा, बड़ी बड़ी आंखें और दबी मुस्कान, मानो हजारों गम छुपाकर भी होंठ मुस्कुरा उठते हों और आवाज ऐसी जैसे कोई दर्द भरी नज़्म पढ़ रहा हो | जी हां हम बात कर रहे हैं मीना कुमारी की, वो मीना कुमारी जिन्होंने हिंदी सिनेमा को बेमिसाल फिल्में दी और फिल्मी पर्दे पर दर्द, दुख और पीड़ा को इस कदर बयान किया जैसे मानो वह फिल्मों में अपनी ही कोई दास्तान सुना रही हो | मीना कुमारी ने वैसे तो बहुत फिल्में की लेकिन ज्यादातर फिल्मों में उन्हें दुखी और लाचार औरत के किरदार ही मिले जिसके कारण उन्हें ट्रेजडी क्वीन का खिताब भी मिल गया था और उनकी असल जिंदगी भी कुछ उनकी फिल्मों की तरह ही मिलती-जुलती थी |

Full Novel

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 1

"इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने ले लीना.. दुपट्टा मेरा" दोस्तों शायद ही ऐसा कोई हो इस गाने को नहीं सुना होगा और इस गाने को सुनते ही आंखों के सामने उभर आता है एक सुंदर सा चेहरा, बड़ी बड़ी आंखें और दबी मुस्कान, मानो हजारों गम छुपाकर भी होंठ मुस्कुरा उठते हों और आवाज ऐसी जैसे कोई दर्द भरी नज़्म पढ़ रहा हो |जी हां हम बात कर रहे हैं मीना कुमारी की, वो मीना कुमारी जिन्होंने हिंदी सिनेमा को बेमिसाल फिल्में दी और फिल्मी पर्दे पर दर्द, दुख और पीड़ा को इस कदर बयान किया जैसे ...और पढ़े

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मीना कुमारी... दर्द भरी एक दास्तां - 2

अलीबक्श उन दिनों फिल्मों में हरमोनियम बजाते थे, घर के हालात ठीक न होने के कारण इक़बाल बानो भी पर जाती ऐसे में रोजी रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो गया था और तीन तीन बेटियों का खर्चा अलग, धीरे धीरे दो बेटियों के साथ इस तीसरी बेटी महजबीन की परवरिश भी होने लगी | काम से लौटकर मां का कब आना हो इसलिए मां एक बार में ही ढेर सारी रोटियां बना कर रख जाती थी, जिसे महजबीन अपनी दोनों बहनों के साथ जब भी भूख लगती तो बासी रोटी, नमक और प्याज के साथ खा लेती | धीरे-धीरे ...और पढ़े

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मीना कुमारी... दर्द भरी एक दास्तां - 3

बचपन के बाद जवानी में कदम रखने के बाद भी मीना कुमारी का बोझ कम नहीं हुआ, दिन-ब-दिन बोझ बढ़ता गया मीना कुमारी सुबह से रात तक काम करके जब आप घर आती तो घर में सुकून की बजाए, अब आए दिन मां-बाप में झगड़े होने लगे, वो अंदर ही अंदर टूटती रहती | रात को अपने बिस्तर पर पत्थर रखती और पत्थरों से बात किया करती और कहती यह पत्थर भी कितने सच्चे दोस्त हैं इनको कुछ भी कहो यह कभी नाराज नहीं होते और मेरी हर बात को सुनते और समझते हैं | मीना कुमारी को जब भी ...और पढ़े

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मीना कुमारी... दर्द भरी एक दास्तां - 4

इस हादसे के बाद एक दिन अस्पताल में मीना कुमारी से मिलने के लिए कमाल अमरोही जब आए तो कुमारी की तबीयत उन को देखते ही ठीक हो गई और फिर शुरू हो गया प्यार का सिलसिला जो 2 साल तक ऐसे ही चलता रहा | इसी दौरान मीना कुमारी को दो ऐसी फिल्में मिली जिन्होंने मीना कुमारी को ऊंचाई की बुलंदियों पर बिठा दिया फिल्म थी "बैजू बावरा" और "फुटपाथ" | "बैजू बावरा" ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए फिल्म का संगीत, कहानी, एक्टिंग सब बहुत पसंद किए गए | मीना कुमारी को अपनी जिंदगी से अब कोई ...और पढ़े

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 5

मीना कुमारी ने फिल्म की कहानी को पढ़ा और इस फिल्म के लिए हां कह दी और इसी साल मार्च 1954 को मीना कुमारी को पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला यह अवार्ड फिल्म" बैजू बावरा" के लिए था और उस जमाने में फिल्म फेयर अवार्ड मिलना एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाता था, उपलब्धियों का दौर यूं ही नहीं खत्म हुआ क्योंकि अगले साल 1954 में मीना कुमारी को दोबारा फिर फिल्म फेयर अवार्ड मिला जो था फिल्म "परिणीता" के लिए अब मीना कुमारी एक बहुत महंगी एक्ट्रेस बन गई थी | मीना कुमारी और कमाल की जिंदगी बहुत ही ...और पढ़े

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मीना कुमारी... एक दर्द भरी दास्तां - 6

मीना कुमारी चाहती थी कि वह मां बने लेकिन कमाल अमरोही नहीं चाहते थे क्योंकि उनकी पहली बीवी से ही बच्चे थे, वह नहीं चाहते थे कि वह मीना कुमारी के बच्चों को अपना नाम दें और शायद यही कारण रहा कि मीना कुमारी अंदर ही अंदर और घुटती रहीं |लोगों का मानना था कि मीना कुमारी मां नहीं बन सकती थी अब यह अफवाह थी या सच यह तो सिर्फ एक राज है | मीना कुमारी की अब निजी जिंदगी की परेशानियां उनकी एक्टिंग में भी झलकने लगी थी और इन्हीं दिनों मीना कुमारी के पास एक ऐसी फिल्म ...और पढ़े

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मीना कुमारी... एक दर्द भरी दास्तां - 7

एक दिन मीना कुमारी सुबह घर में नाश्ता कर रही थी दिल उदासियों से भरा था, कमाल सामने बैठे तभी मीना कुमारी को नाश्ता ना पसंद आने के कारण मीना कुमारी बिलख पड़ी और बोली दिन-रात मशीन की तरह काम करती हूं, बचपन से मैंने बासी रोटियां खाई हैं, इस घर में तो मुझे वह बासी रोटी भी नसीब नहीं | यह बात कमाल अमरोही को बहुत बुरी लगी दोनों में झगड़ा होने लगा और कमाल ने मीना कुमारी को तलाक दे दिया | मीना कुमारी बिल्कुल टूट गई रोती रही माफी मांगती रही पर कमाल नहीं माने और मीना ...और पढ़े

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 8 - अंतिम भाग

पाक़ीज़ा फिल्म में एक गाना है जिसकी शूटिंग के दौरान मीना कुमारी की हालत इतनी खराब हो गई कि खड़ी भी नहीं हो सकती थी, इसलिए उनकी बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया, फिल्म को इस बखूबी से डायरेक्ट किया गया कि पता ही नहीं चला कि उस गाने में मीना कुमारी नहीं है | फिल्म की शूटिंग पूरी हुई और फिल्म रिलीज हुई 3 फरवरी 1972 को पाक़ीज़ा का पहला शो मराठा मंदिर मुंबई में रिलीज हुआ, पहले दिन की कमाई ने मीना कुमारी और कमाल अमरोही को काफी निराश किया, मीना को भी गहरा सदमा लगा अब धीरे-धीरे ...और पढ़े

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