मैडम,आदमखोर किसे कहते हैं? --उस जीव -जंतु को जो मनुष्य को खाते हैं। -क्या प्रकृति ने उन्हें ऐसा बनाया है? --नहीं,लंबे समय तक भूखे रहने की वजह से वे किसी का मनुष्य का शिकार करते हैं फिर उसका खून -मांस उन्हें इतना पसन्द आ जाता है कि वे धीरे- धीरे उसके आदी हो जाते हैं।उस बच्ची को आदमखोर की जानकारी देते हुए मेरे दिमाग में एक और शब्द उभर आया 'देहखोर'। और मुझे अतीत की कई कहानियां याद आ गईं। देखी-दिखाई ,सुनी -सुनाई तो कुछ भोगी हुई । मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी।

Full Novel

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देहखोरों के बीच - भाग - एक

मैडम,आदमखोर किसे कहते हैं?--उस जीव -जंतु को जो मनुष्य को खाते हैं।-क्या प्रकृति ने उन्हें ऐसा बनाया है?--नहीं,लंबे समय भूखे रहने की वजह से वे किसी का मनुष्य का शिकार करते हैं फिर उसका खून -मांस उन्हें इतना पसन्द आ जाता है कि वे धीरे- धीरे उसके आदी हो जाते हैं।उस बच्ची को आदमखोर की जानकारी देते हुए मेरे दिमाग में एक और शब्द उभर आया 'देहखोर'।और मुझे अतीत की कई कहानियां याद आ गईं। देखी-दिखाई ,सुनी -सुनाई तो कुछ भोगी हुई ।मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी।भाग--एकमैं अंजना से उन दिनों मिली थी ,जब इस छोटे शहर में ...और पढ़े

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देहखोरों के बीच - भाग - दो

भाग दो अर्चना और संजना पाँचवीं तक नगर पालिका के स्कूल में मेरे साथ ही पढ़ी थीं, पर उनके ने छठी कक्षा में उन्हें पढ़ने के लिए ब्वॉय -कॉलेज की अपेक्षा गर्ल्स -कॉलेज में भेजा था।अपने घरवालों के दबाव के कारण अब वे मुझसे थोड़ी कटी -कटी रहतीं।दोनों एक साथ स्कूल जाती -आतीं।हालांकि दोनों का आपस में और कोई मेल नहीं था। संजना ऊंची जाति की धनी- मानी परिवार से थी।अर्चना पिछड़ी जाति और निम्न आयवर्ग की लड़की थी। अर्चना की माई की गली के मुहाने पर पान की दुकान थी।वह एक बदनाम और झगड़ालू स्त्री थी।मुहल्ले में उसकी नंगई से ...और पढ़े

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देहखोरों के बीच - भाग - तिन

भाग तीनगाड़ी तेजी से गोरखपुर की ओर भागी जा रही थी।उसमें बैठे सभी लोग तनाव में थे।अर्चना और उसकी को अपने प्राणों का भय था तो अंजना के घरवालों को कुल- खानदान की नाक कट जाने की चिंता।जब सड़क के दोनों तरफ इमली के विशालकाय वृक्ष दिखाई देने लगे तो पता चला कि गोरखपुर आ गया।गोरखपुर इतना छोटा शहर भी नहीं है कि आसानी से उस जगह का पता चल जाए,जहां रात -भर दोनों लड़कियां ठहरी थीं।दिमाग पर बहुत जोर देने पर अर्चना को याद आया कि पहाड़ी ने कूड़ाघाट नाम लिया था।वे लोग कूड़ाघाट पहुंचे।वहाँ की कई गलियों ...और पढ़े

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देहखोरों के बीच - भाग - चार

भाग चारसमय तेजी से भागा जा रहा था।अर्चना काफी समय से नहीं दिख रही थी, पता चला कि वह गई है।मैंने दसवीं की परीक्षा पास कर ली थी।अब मेरे लिए भी संघर्ष की स्थिति थी क्योंकि बाबूजी और भाई मेरे आगे पढ़ने के ख़िलाफ़ थे।मेरे लिए वर की तलाश हो रही थी।बस अम्मा ही चाहती थी कि आगे पढूँ।अम्मा को फ़िल्म देखने और लोकप्रिय साहित्य पढ़ने का बहुत शौक था ।हालांकि वह खुद पांचवीं पास थी पर हम बच्चों को अक्षर- ज्ञान उसी से मिला था ।हिसाब- किताब में भी वह माहिर थी।गुलशन नंदा,रानू,शिवानी के उपन्यास वह दो दिन ही ...और पढ़े

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देहखोरों के बीच - भाग - पाँच

भाग पांचअर्चना को अपने ननिहाल के गांव में आकर बहुत सुकून मिला था।खेतों में लहलहाती फसलें,बाग- बगीचों की फलदार ,शुद्ध हवा ने उसका मन मोह लिया। यहां के ग्रामीण लोगों से उसे भरपूर प्यार मिल रहा था।वह पिछले दिनों के तनाव को भूल चुकी थी।उसका चेहरा निखर आया था।तेजी से शहर में तब्दील होते अपने कस्बे की संक्रमण कालीन मानसिकता से वह ऊब गयी थी।दोहरे लोग,दोहरा चरित्र, छी:!वह गाँव की लड़कियों के साथ खेतों की पगडंडियों पर फिसलती,मटर की फलियां तोड़कर घर लाती और उनकी घुघनी बनवाकर खाती।बाग में पेड़ों पर चढ़कर आम- अमरूद तोड़ती और बड़े चाव से ...और पढ़े

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देहखोरों के बीच - भाग - छह

भाग छहमैं आज तक नहीं समझ पाई कि जो औरतखोर होते हैं, उनकी अपनी बहन -बेटियों के प्रति कैसी होती है?हमारे समय में तो बहन- बेटियाँ बाप -भाइयों से दूर ही रहती थीं।किशोर उम्र के बाद उनके सामने पर्दे की हद तक ढकी -मुंदी बिना सिंगार -पटार के ही आती थीं।उनके बीच एक गरिमामय दूरी हमेशा बनी रहती थी,पर आज स्थिति बदल चुकी है ।आधुनिकता ने पुरानी सारी बंदिशें हटा दी हैं ।अब तो जवान -जहान बहन -बेटियां भी बाप -भाइयों के पीठ पर चढ़ी रहती हैं।छोटे फैशनेबल ड्रेस पहने उनके साथ बाहर आती- जाती हैं।एक- दूसरे को गले ...और पढ़े

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देहखोरों के बीच - भाग - सात - अंतिम भाग

भाग -सातकुसुम और मास्टर को ठाकुर साहब ने समझाया कि अब तो तुम लोग शादी कर ही चुके हो।घर चलो ।हम सब तुम लोगों को स्वीकार कर लेंगे।कुसुम तैयार हो गई ,वैसे भी साल- भर में अभाव झेलते -झेलते वह परेशान हो चुकी थी। वह राजकुमारी की तरह सुख- सुविधाओं में पली थी पर मास्टर तो गरीब था।माध्यमिक स्कूल के मास्टर का वेतन ही कितना होता है।उस पर अपनी पत्नी व बच्चे की भी जिम्मेदारी थी।जाने कैसे उसे मास्टर से प्यार हो गया?उसने दिमाग से नहीं दिल से काम लिया था।अपने घरवालों की इज्जत -प्रतिष्ठा भी दाँव पर लगा ...और पढ़े

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