नोएडा की एक पचास मंजिला सोसायटी, जहाँ हर तरफ़ बस इमारतें ही इमारतें, एक-दूसरे का मुँह ताकती हुई इमारतें ! नीचे बने हुए चिल्ड्रन्स पार्क में खेलते हुए बच्चे और इसी पार्क के ठीक सामने बनी हुई इमारत के दसवें माले पर चढ़ता हुआ सामान... शायद किसी नें अभी-अभी बनकर तैयार हुई इस इमारत के दसवें माले पर एक फ्लैट खरीदा है और आज वो लोग इसमें शिफ्ट भी हो रहे हैं । इसी फ्लैट के ठीक सामने किराए पर रहता है एक लड़का...रोहित ! "रोहित शायद तेरे सामने वाले फ्लैट में कोई रहने के लिए आ गया है, देख

Full Novel

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पवित्र रिश्ता... भाग-१

नोएडा की एक पचास मंजिला सोसायटी, जहाँ हर तरफ़ बस इमारतें ही इमारतें, एक-दूसरे का मुँह ताकती हुई इमारतें नीचे बने हुए चिल्ड्रन्स पार्क में खेलते हुए बच्चे और इसी पार्क के ठीक सामने बनी हुई इमारत के दसवें माले पर चढ़ता हुआ सामान... शायद किसी नें अभी-अभी बनकर तैयार हुई इस इमारत के दसवें माले पर एक फ्लैट खरीदा है और आज वो लोग इसमें शिफ्ट भी हो रहे हैं । इसी फ्लैट के ठीक सामने किराए पर रहता है एक लड़का...रोहित ! "रोहित शायद तेरे सामने वाले फ्लैट में कोई रहने के लिए आ गया है, देख ...और पढ़े

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पवित्र रिश्ता... भाग-२

अगले दिन सुबह हिमांशु काफी जल्दी ही सोकर उठ गया या कहें कि वो सारी रात सोया ही नहीं इस तरह का आकर्षण हिमांशु अपनी ज़िंदगी में पहली बार ही महसूस कर रहा था ।छब्बीस वर्षीय हिमांशु की स्कूलिंग से लेकर कॉलेज तक की शिक्षा-दीक्षा तो ऑनली ब्यॉयज़ संस्थानों में ही हुई थी शायद इसे भी इसके एक बड़े कारण के रूप में देखा जा सकता है और इसके अलावा उसके अंतर्मुखी स्वभाव का भी इसमें काफी योगदान रहा कि आज अपने ऑफिस की न जानें कितनी महिला-सहकर्मियों का तो वो नाम तक भी ठीक से नहीं जानता है ...और पढ़े

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पवित्र रिश्ता... भाग-३

"आखिर ऐसा भी क्या गुस्सा हिमांशु और फिर वो हमारे पापा हैं, कोई गैर तो नहीं हैं मेरे भाई!", यानि कि हिमांशु की बड़ी बहन नें हिमांशु से कहा । "प्लीज़ दीदी,मैं इस बारे में बात करके आपको और परेशान नहीं करना चाहता ।", हिमांशु नें एक गहरी साँस खींचते हुए जवाब दिया । अरे,अगर तुझे अपनी दीदी की परेशानी की इतनी चिंता है तो तू घर वापिस क्यों नहीं चला जाता ? देख मुझे बहुत अच्छे से पता है कि तेरी इस कंपनी की एक ब्रांच वहाँ फरीदाबाद में भी है और फिर तुझे ये जॉब करने की ...और पढ़े

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पवित्र रिश्ता... भाग-४

सारा दिन हिमांशु बस अपनी आँखों के सामने से गुज़री हुई उस गाड़ी और उसमें बैठी हुई उस लड़की बारे में ही सोचता रहा मगर लाख यत्न करने के बाद भी वो किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच पाया कि आखिर वो आदमी था कौन जो उस लड़की को इतने अधिकार से और इतनी बर्बरता से डाँट रहा था । अगले कुछ दिन ऐसे बीते कि वो लड़की न तो सीढ़ियों पर और न ही कहीं सोसायटी के कैम्पस में ही नज़र आयी जबकि हिमांशु जितनी बार भी अपने फ्लैट से बाहर होता तो उसकी नज़रों समेत उसके दिल ...और पढ़े

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पवित्र रिश्ता... भाग-५

ये दौलत भी ले लो , ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो , मुझसे मेरी जवानी .... सिंह जी की इस गज़ल को सुनते हुए आज एक बार फिर हिमांशु अपनी स्टडी-टेबल के सहारे लगी हुई चेयर पर बैठकर अपनी किसी किताब के पन्ने पलट रहा था लेकिन आज उसके घर की खिड़की बंद थी और उसका ध्यान आज बस अपनी किताब के पन्नों तक ही सीमित था तभी उसकी बहन गरिमा का फोन आ गया । भाई, तू कबसे यहाँ नहीं आया । कल तेरे जीजा जी भी तुझे याद कर रहे थे । किसी दिन ...और पढ़े

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पवित्र रिश्ता... भाग-६

बाहर बारिश अभी भी जारी थी और बिजली के कड़कने के साथ ही साथ बादलों के गरजने का शोर वातावरण को बहुत ही भयावह बना रहा था तभी फ्लैट में अचानक अंधेरा हो गया,शायद पावर-सप्लाई बंद हो गई थी । वैसे अमूमन फ्लैट में ऐसा कभी होता तो नहीं था लेकिन आज न जाने क्यों पावर-कट हो गया था । हिमांशु नें तुरंत ही अपने मोबाइल की टॉर्च ऑन करके टेबल पर रख दी और फिर नीचे सोसायटी में कॉल करने लगा लेकिन सोसायटी का फोन इंगेज जा रहा था क्योंकि शायद सभी इस वक्त परेशान होकर फोन मिला ...और पढ़े

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पवित्र रिश्ता... - अंतिम भाग।

"मुझे अब जाना होगा ! सुबह होने में बस कुछ ही समय बाकी है और अगर मेरे पहुँचने से अभ्युदय नींद से जाग गए तो बहुत मुश्किल हो जायेगी !", कहती हुई खुशी जैसे ही अपनी जगह से उठने को हुई हिमांशु नें उसे रोक दिया.... एक मिनट , सॉरी लेकिन मुझे ये बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि आप यहाँ मेरे पास .... मतलब कि...हिमांशु को अपनी बात पूरी करने में बहुत संकोच हो रहा था जिसे भाँपने में खुशी को दो पल का समय भी नहीं लगा और वो हिमांशु को बीच में ही टोककर बोल ...और पढ़े

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