सुबह सुबह जब सब लोग टहलने घूमने के लिए निकलते थे उसी समय मेरा पहला काम मेरे लैप टॉप पर ईमेल पढ़ने का होता था क्योंकि में रॉ में तकनीकी विभाग के ईमेल इंटेलिजेंस में काम करता था। मेरा काम पड़ोसी देशों मुख्य रूप से पाकिस्तान के खुफिया ईमेल को डिकोड करना होता था। मैं ईमेल पढ़ पाता हमारी प्रियतमा की सुबह के अभिवादन को सुनना जरूरी था। "गुड मॉर्निंग अनुपम" सुरभि हमारी प्रियतमा के अभिवादन से हमारी सुबह की शुरुआत इसी तरह होती थी। "गुड मॉर्निंग डार्लिंग" ओर सुरभि की भी शुरुआत बस रोज ऐसे ही होती थी।

नए एपिसोड्स : : Every Friday

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द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 1)

मैं ईमेल पढ़ पाता हमारी प्रियतमा की सुबह के अभिवादन को सुनना जरूरी था। "गुड मॉर्निंग डार्लिंग" ओर सुरभि भी शुरुआत बस रोज ऐसे ही होती थी। कुछ समय बाद सुरभि चाय बनाकर गार्डन में आ गयी लेकिन अभी भी अनुपम नही आया था। सुरभि कुछ समय बाद मुझे बुलाने के लिए कमरे में आई मुझे वहां नही देखकर आवाज लगाई। "सुरभि में बाथरूम में नहा रहा हूँ मुझे जल्दी से ऑफिस जाना है" ये सुनकर सुरभि चकित हो गई। में नहा कर बाहर आ चुका था और सुरभि की तरफ देखकर कहा "नाश्ता तो बना दूँ ऑफिस में ...और पढ़े

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द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 2)

"हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुप्पटा मल मल का"जब तक मे रात को 9 बजे घर पहुंचा बच्चे चुके थे। देव मेरा 5 साल का लड़का जो आइंस्टाइन की तरह सोचता है और पिंकी मेरी 7 साल की बेटी जो मेरी हर काम मे साथ देती है। सुरभि टी वी पर अपने पसंदीदा धारावाहिक देख रही थी। मुझे देखकर ज्यादा नाराज नही थी वो जानती थी कि मेरा जॉब केसा है। "ऐसा मत बोलो मैंने बच्चों को समझा दिया था कि पापा की विशेष कार्य पर व्यस्त है। बच्चे मान भी गए थे।लेकिन तुम उदास लग रहे हो। ...और पढ़े

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द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 3)

बार बार ये गाना सभी इंटेलिजेंस संस्थाओ से सुना जा रहा था। कभी कभी तो ऐसा लग रहा था ये गाना हमारे लिए कोई वाइरस बन गया था जिसका कोई औचित्य नहीं था। लेकिन मेरा दिल अभी भी उसी ईमेल पर अटका था।सबनम को भी रोज गुहार लगाता कि कुछ तो मदद करो। वो भी बहुत कोशिश कर चुकी थी लेकिन किसी परिणाम पर नही पहुंची। इधर सतीश सर एयर बेस के इनपुट को लेकर बहुत ही ज्यादा गंभीर थे।आज में आफिस में कुर्सी पर दाहिने हाथ मे पेन हिलाते हुए उस ईमेल को दूसरे तरीके से पढने की ...और पढ़े

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द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 4)

में चांदनी चौक के लखोरी रेस्टोरेंट में शबनम के साथ पहुंच गया था। यह रेस्टोरेंट काफी प्रसिद्ध था। अभी शिवानी का आना बाकी था। मेने पहले ही वी आई पी वाली टेबल को आरक्षित कर लिया था। मेने शबनम को उसके खाने की मनपसंद डिश के लिए पूछा तो हमेशा की तरह एक ही जवाब पनीर टिक्का मिला। जब तक शिवानी नही आती है तब तक मेने शबनम से बातचीत शुरू कर दी "एक बात बताओ शबनम क्या तुम्हें लगता है शिवानी का अंदाजा सही है।" "ये तो उसकी सारी बात सुनने के बाद ही कुछ कह सकती हूं।" शबनम ने ...और पढ़े

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