आधी रात में दरवाजे की बैल बज उठी। स्वाति ने कमलेश को जगाया। "सुनो! उठो! देखो बाहर कोई आया है।" "इतनी रात में कौन आया होगा।" कमलेश ने उंगलियों से आंख मलते हुये कहा। वह दरवाजे के पास पहूंचा। उसने मैजिक आई में से झांककर देखा। बाहर कोई लड़की खड़ी थी। उसके चेहरे पर डर था। कमलेश ने दरवाजा खोल दिया। "कौन है आप?" कमलेश ने पुछा। वह कुछ न बोली। सीधे घर के अंदर आ गयी। "साब मुझे बचा लो।" वह युवती हाथ जोड़ कर बोली। वह स्वाती को देखकर वह उसके पास जा पहुंची। स्वाती ने उसे धीरज बंधाया।

Full Novel

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मेरा पति तेरा पति - 1

1 आधी रात में दरवाजे की बैल बज उठी। स्वाति ने कमलेश को जगाया। "सुनो! उठो! देखो बाहर कोई है।" "इतनी रात में कौन आया होगा।" कमलेश ने उंगलियों से आंख मलते हुये कहा। वह दरवाजे के पास पहूंचा। उसने मैजिक आई में से झांककर देखा। बाहर कोई लड़की खड़ी थी। उसके चेहरे पर डर था। कमलेश ने दरवाजा खोल दिया। "कौन है आप?" कमलेश ने पुछा। वह कुछ न बोली। सीधे घर के अंदर आ गयी। "साब मुझे बचा लो।" वह युवती हाथ जोड़ कर बोली। वह स्वाती को देखकर वह उसके पास जा पहुंची। स्वाती ने उसे ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 2

2 गेस्ट रूम का द्वार वह बंद करना चाहती थी मगर कमलेश के बल के आगे उसकी एक न वह बैड पर जा गिरी। कमलेश उसकी तरफ बढ़ने लगा। "कमलेश जी! ये सही नहीं है। आप ये अन्याय नहीं कर सकते।" दीपिका दबी आवाज़ में बोली। "तुम्हारी आवश्यकता मैंने पुरी की। तुम्हें अपने घर में पनाह देकर। अब मेरी जरूरत तुम्हें पुरी करनी चाहिये।" कमलेश बोला। इस तरह के वचनों की उसे कमलेश से उम्मीद नहीं थी। मगर उसे यह भी पता था कि कमलेश अभी वासना की आग में बुरी तरह झुलस रहा है। यदि उसे अभी नहीं ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 3

3 सबकुछ सामान्य भी हो जायेगा। किन्तू दिपिका के साथ हुये अन्याय का हिसाब हम सभी को कभी न तो देना ही होगा। उसकी तड़प और आंखों से बहते आसुं कहीं किसी रूप में हम सभी से इस अन्याय का प्रतिशोध अवश्य लेंगे। ' स्वाति विचारों में खोई हुयी थी। "स्वाति! स्वाति! कहां खो गयी।" कमलेश ने उसे जगाया। स्वाति ने घृणित नज़रों से कमलेश को देखा। "स्वाति! दिपीका घर छोड़ कर जा रही है। इसे कुछ तो कहो।" कमलेश ने स्वाति से कहा। स्वाति तेजी से उठी। वह दीपिका के कमरे जाना चाहती थी। इससे पुर्व ही दिपीका ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 4

4 "इतनी ही पसंद आ गयी है तो जाकर बात कर ले।" देव ने रमन से कहा। "ऐसी कोई नहीं है।" रमन ने बात काटी। "वेरी गुड। लेकिन मुझे तो वो लड़की बहुत पसंद आ गयी है। मैं अभी आया उससे बात कर के।" देवा ने कार का दरवाजा खोलते हुये कहा। "अरे! नहीं देव। यार वो शरीफ लड़की दिखाई दे रही है।" रमन ने बोला। "तब ही तो कह रहा हूं। मैं अभी आया। तु रूक।" देव ने कहा और वह सड़क पार करते हुये आराधना के नजदीक जा पहूंचा। वह आराधना से बातचीत करने लगा। रमन कार ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 5

5 "मैं जानता हूं कि मेरे माता-पिता कल यहां आये थे। और उन्होंने तुम्हें जमकर डांटा है।" रमन ने "हां बेटा! आराधना का जीवन पहले ही कांटों से भरा है। अब तुम इसका जीना ओर मुश्किल न करो।" कांता ने अपनी बेटी का पक्ष लिया। "नजरीये का फर्क है मांजी। मैं आराधना की राहों में फूल बिछाना चाहता हूं और आप इसे कांटों भरी डगर कह रही है।" रमन ने कहा। "कुछ भी हो! लेकिन आपको अपने माता-पिता के कहे अनुसार ही शादी करनी चाहिए।" आराधना अब शुष्क थी। "ठीक है आराधना। जिस दिन माॅम-डैड मुझसे कहेंगे की तुमसे ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 6

6 मुझसे पहले मेरी अमीरी दिखाई दी और इसलिए मैं कह सकता हूं कि तुम मुझसे प्यार कभी नहीं सकती।" अमर इतना बोलकर जा चुका था। अनिता कुछ पल यू हीं मौन खड़ी रही। अमर के द्वारा बोले गये एक-एक शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे। उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था। रसोई घर में सब्जी बनाते समय सब्जी की कढ़ाई में नमक की जगह शक्कर डाल दी। उस रात पुरे परिवार को मजबुरन मीठी सब्जी खानी पड़ी। अगली सुबह चाय में शक्कर की स्थान पर नमक डाल दिया। सुनैना अपनी बेटी अनिता को जानती ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 7

7 "अरे नहीं! इसमें प्राॅब्लम कैसी?" अनिता ने जवाब दिया। "ठीक है अनिता! कभी किसी से चीज़ की जरूरत तो बिना संकोच के बता देना। मैं चलता हूं।" अमर बोला। "एक मिनिट रूको अमर! अब आप दोनों यहां आ ही गये है तो मैं एक बात आप दोनों से कहना चाहती हूं।" अनिता बोली। "हां बोलो!" श्रुति ने कहा। "अमर! तुमने यहां आकर मुझे और श्रुति को इतना तो बता दिया की तुम अब भी मुझसे ही प्रेम करते हो।" अनिता बोली। अमर चुपचाप था। "वह सिर्फ मुझसे प्यार करता है समझी!" श्रुति चिढ़ते हुये बोली। "नाराज़ मत हो ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 8

8 "अरे!आप अपने पति का नाम बताइये। इनके पति का नहीं।" सार्वजिनक राशन वितरण अधिकारी बोले। वे स्वाति से पति का नाम पुछ रहे थे। "मैंने अपने अपने ही पति का नाम बताया है आपको।" स्वाति बोली। "मगर आपने कहा की आपके पति का नाम कमलेश वर्मा है। यही नाम इन महिला ने भी बताया है।" राशन वितरण अधिकारी बोले। उन्होंने पास ही खड़ी दीपिका को इंगित करते हुये कहा। "बोला होगा। तो इसमें क्या है?" स्वाति बोली। "मगर आप दोनों के पति का नाम कमलेश वर्मा कैसे हो सकता है?" राशन वितरण अधिकारी थोड़ा तीव्र होकर बोले। "क्यों ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 9

9 आधीरात में ज्योति को प्रसव पीड़ा शुरू हुयी। अविनाश तुरंत ऑटो लेने भागा। इधर रमा ने हाॅस्पीटल में साथ में ले जाने वाली सभी आवश्यक वस्तुएँ रख ली। ज्योति की नज़र उतारकर रमा ने उसे ऑपरेशन थियेटर को विदा किया। रात के तीन बजे यह खब़र आई की ज्योति इस बार भी कुलदीपक जन न सकी। रमाबाई तो व्याकुल हो गयी। सुन्दरलाल भी बैचेन दिखे। अविनाश अब भी ज्योति के आसुं पोंछ रहा था। ससुराल पहूंचते ही ज्योति का वास्तविक संघर्ष अब शुरू हुआ था। सीजर डिलेवरी के बाद भी उसका खयाल रखने वाला वहां कोई नहीं था। ...और पढ़े

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मेरा पति तेरा पति - 10 - अंतिम भाग

10 एक साल के बाद ज्योति पहले से अधिक ठीक दिखाई दे रही थी। उसका हीमोग्लोबिन भी सामान्य हो था। सबकुछ ठीक था। अविनाश उसे लिवाने आ पहूंचा। ज्योति को अपनी दोनों बच्चीयों के भविष्य के लिए एक बार पुनः ससुराल जाना पड़ा। रमाबाई तो जैसे तैयार ही बैठी थी। ज्योति के आते ही उन्होंने बेटे का रोना रो दिया। अविनाश और ज्योति न चाहते हुये भी तैयार थे। 'अब की बार बेटा होना चाहिये' रमाबाई का ये कढ़ा संदेश दीवारों से टकरा-टकराकर ज्योति के कानों को भेदते हुये उसके सीने को छलनी कर जाता। ज्योति पांचवी बार मां ...और पढ़े

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