प्रस्तावना : 20वीं सदी की शुरुआत में हमारे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। हॉस्टल लाइफ का अनुभव मेरे जीवन में नया था और मैं इसे लेकर बहुत उत्साहित था। मैंने Graduation किया और Post Graduation करने जा रहा था। नया शहर, नया कॉलेज, नया हॉस्टल, नए सहपाठी और नए दोस्त। आज के मोबाइल युग में जब मोबाइल का आविष्कार नहीं हुआ था तब जीवन में जो मजा था वह मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं| हर दिन नए अनुभव, नई चुनौतियां और नए रोमांच मेरे हॉस्टल के जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गए थे। उन अवसरों
Full Novel
Hostel Boyz (Hindi) - 1
प्रस्तावना : 20वीं सदी की शुरुआत में हमारे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। हॉस्टल लाइफ का अनुभव जीवन में नया था और मैं इसे लेकर बहुत उत्साहित था। मैंने Graduation किया और Post Graduation करने जा रहा था। नया शहर, नया कॉलेज, नया हॉस्टल, नए सहपाठी और नए दोस्त। आज के मोबाइल युग में जब मोबाइल का आविष्कार नहीं हुआ था तब जीवन में जो मजा था वह मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं| हर दिन नए अनुभव, नई चुनौतियां और नए रोमांच मेरे हॉस्टल के जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गए थे। उन अवसरों ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 2
पात्र परिचय: विनयो वांगो जैसे ही विनय के नाम का उल्लेख किया जाता है, मुझे कराटे और nanchaku की आ जाती है। उसको कराटे और nanchaku का बहुत शौक था। उनका पैतृक गाँव जूनागढ़ था और मेरी तरह वे भी पोस्ट ग्रेजुएशन करने आया था। वह शरूआत में एक अलग कमरे में रहता था लेकिन हमारी शिक्षा के कारण वह हमारे कमरे और समूह में शामिल हो गया। वह सलमान खान का बहुत बडा प्रशंसक था। उसका रवैया भी सलमान खान की तरह ही था और वो भी सलमान खान की तरह बॉडी बिल्डिंग करता था। वह अपने साथ ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 3
पात्र परिचय: चतुर चिको चतुर चिका का नाम चिराग था। लेकिन उसके पास चिकू जैसा गोल मुंह था और के जैसी मुस्कान थी इसलिए हमने उसका नाम चिको रखा था । वह अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दूर पाटन के पास पंचासर गाँव का मूल निवासी है, लेकिन वह ज्यादातर अहमदाबाद शहर में ही रहता था, इसीलिए उसका व्यवहार भी अहमदाबादियों जैसा था। चिका के बारे में और क्या कहू ? वह दूसरे व्यक्ति को अपने शब्दों से इस तरह प्रभावित करता है कि दूसरे व्यक्ति के पास उस पर विश्वास करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता था। ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 4
पात्र परिचय: भोला भाविन भोला भाविन भी विनय की तरह जूनागढ़ का एक प्राणी था। भोलो भाविन, जैसा नाम ही भोला और हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता था। भोला होने के बावजूद काम में होशियार और मजबूत आदमी। विनय की तरह दक्षिण भारतीय हास्य कलाकार। भाविन को पूरे हॉस्टल की चिंता थी, यानि अगर हॉस्टल में कोई दुखी होता तो भाविन भी दुखी होता, इतना वह रहेमदिल और दयावान था।हमारे ग्रुप में भाविन ही एकमात्र ऐसा था जो पैसा बचाता था। जब भी हमें किसी आपात स्थिति में पैसे की जरूरत होती, तो वो पैसे ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 5
प्रकरण 1: हॉस्टल का अलार्म वैसे तो, हम सब रात के राजा थे। हमारे कॉलेज का समय दोपहर में इसलिए सुबह उठने का कोई समय निश्चित नहीं होता था। कभी 10 बजे तो कभी 11 बजे। हमारे ग्रुप के लोग हर सुबह जल्दी अलार्म लगाते थे और संकल्प लेते थे कि हम जल्दी उठेंगे लेकिन हर सुबह हमारे संकल्पों पर पानी फिर जाता था। 5-10 मिनट के अंतराल पर सभी अलार्म लगाते थे, यानी एक के बाद एक अलार्म के साथ हॉस्टल हमारे अलार्मो से गूंज उठता था। लेकिन अच्छी बात यह थी कि 5-5 अलार्म के बावजूद भी ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 6
प्रकरण 3 : घर की धोराजी मेरे गाँव का नाम हॉस्टल के लोगों में डर पैदा करने के लिए था। मैं धोराजी गाँव का मूल निवासी था और लोग हमारे तथाकथित "घर की धोराजी" कहावत से पहले से ही परिचित थे। मै धोराजी का था और दूसरा विनय के कराटे ननचक्कू की वजह से हमारे सामने लड़ने की कोई हिम्मत नहीं कर पाता था। हॉस्टल के लोगों को मानसिक रूप से हराने के लिए चिको और प्रितलो काफी थे। वह दुश्मन के कमरे में घूस जाते थे और उनके साथ दोस्ती कर लेते थे और उसके मन में यह ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 7
प्रकरण 5 : और मेरी ट्रेन छूट गई ...!! ट्रेन हम जैसे हॉस्टल के छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण, और किफायती थी। जब भी मुझे छुट्टियों के दौरान हॉस्टल से घर जाना पड़ता था, मैं ज्यादातर ट्रेन से ही सफ़र किया करता था क्योंकि ट्रेन का टिकट बहुत ही किफायती था। लेकिन समस्या यह थी कि उस समय राजकोट से धोराजी के लिए केवल एक ही ट्रेन थी और वह भी सुबह 6:00 बजे। मैं शुरू से ही सुबह देर से उठता था। अगर आपको सुबह 6:00 बजे ट्रेन से जाना है, तो आपको सुबह 5:00 बजे उठना होगा, ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 8
प्रकरण 7 : हॉस्टल की रोटियां वैसे तो, हमारे हॉस्टल में भोजन, दुसरे हॉस्टल में भोजन के समान ही लेकिन हमारा ग्रुप ज्यादा खाने वालो मै से था। हॉस्टल में रात के खाने के बाद, बची हुई रोटियों को एक बड़े पतीले में रखा जाता था और रसोई को बाहर से बंद करके ताला लगा दिया जाता था। हम हर रात देर तक जगते थे, इसलिए हम सभी को रात में बहुत भूख लगती थी और हम हर दिन बाहर नाश्ता करने का जोखिम नहीं उठा सकते थे, इसलिए हम लोग रात में किचन में घूसणखोरी करते थे। चूंकि ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 9
प्रकरण 9 : व्यसन के हॉटस्पॉट और हिरेन प्रजापति की पहल लिंमडा चौक :राजकोट के लिंमडा चौक के पास कॉन्प्लेक्स आया हुआ है। वहां प्रियवदन की ऑफिस 6th फ्लोर पर आई हुई थी। उसका ग्राउंड फ्लोर का एरिया बहुत ही बड़ा था, उसकी दीवारों पर बैठकर हम लोग सिगरेट फूंका करते थे। Wills सिगरेट के ऊपर Garam लिखकर उसको पियाहम लोग Garam ब्रांड की सिगरेट पीते थे। उसके अलावा हमको दूसरी सिगरेट जमति नही थी। एक बार कई जगह ढूंढने पर भी Garam ब्रांड की सिगरेट नहीं मिली। तब सब लोग सोचने लगे कि अब क्या करें ?? तभी ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 10
प्रकरण 11 : भोजनशाला को अपना कमरा बनाया बाद में कन्वीनर की ऑफिस पर कब्जा वैसे तो, हॉस्टल में अच्छा कमरा मिला था लेकिन हॉस्टल में अचानक छात्रों की संख्या बढ़ जाने के कारण कन्वीनरने हमारा कमरा नये छात्रों को दे दिया था और हमको छात्रालय की भोजनशाला का कमरा रहने के लिए दे दिया था। वैसे तो, भोजनशाला का कमरा बहुत ही बडा था इसलिए हमने खुशी-खुशी उसका स्वीकार किया कर लिया लेकिन बाद में हमें पता चला कि भोजनशाला के कमरे में बहुत ही मच्छर थे। वैसे ही, राजकोट शहर में मच्छरों का त्रास होता है, उसमें ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 11
प्रकरण 13 : हारिज और सावरकूंडला के जासूस भोजन शाला के रूम में हारिज और सावरकूंडला के छात्र भी साथ रहते थे वह बहुत ही सीधे-साधे बच्चे थे। वह दोनों 9th standard में पढ़ते थे। हारिज के father भी उसके साथ रहते थे और नेटवर्क मार्केटिंग का बिजनेस करते थे। कभी-कभी हो हमको भी उसकी कंपनी की मीटिंग में साथ ले जाते थे लेकिन हमको नेटवर्क मार्केटिंग में दिलचस्पी नहीं थी इसलिए हम लोग उस पर बहुत ध्यान नहीं देते थे लेकिन प्रितला को नेटवर्क मार्केटिंग में interest आने लगा था, इसलिए वह कंपनी का products हर जगह बेचता ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 12
प्रकरण 15 : होटल के रूम में कव्वाली का प्रोग्राम और लूंगी डांस हम रातों के राजा थे इसलिए हम हमारे रूम में कोई ना कोई प्रोग्राम करते रहते थे। एक बार हमने हमारे रूम में से सब गददे हटा दिए और जमीन पर सारे गददे बिछा दिए फिर हम लोग रात को प्रोग्राम करने लगे। कभी कव्वाली तो कभी डांस, कभी फैशन शो तो कभी शायरी। आसपास के कमरे वाले भी हमारे कमरे में आते जाते रहते थे। हम लोग कव्वाली शुरू करने से पहले कव्वालो की तरह तैयार हो जाते थे फिर बाद में एक के बाद ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 13
प्रकरण 17 : Paper Briefing Work मेरा पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स चल रहा था। हम सब ग्रुप वालों की मनी बहुत ही कम थी, इसलिए मैंने तय किया कि मैं पार्ट टाइम जॉब करूंगा। इसके लिए मैं अलग-अलग कंपनी में इंटरव्यू देने लगा था। एक कंपनी के इंटरव्यू में मैं पास हो गया। कंपनी ने मुझे पेपर ब्रीफिंग का वर्क दिया। पहले तो मैं कंपनी में ही काम करने जाता था लेकिन मेरी कार्य करने की पद्धति देखकर कंपनी वाले मुझे ज्यादा से ज्यादा वर्क देने लगे जो कि पार्ट टाइम में मेरे लिए इतना सरल नहीं था, इसलिए ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 14
प्रकरण 19 : 26th जनवरी का भूकंप 26th जनवरी 2001 को गुजरात में जोरदार भूकंप आया था। उस भूकंप लाखों लोग मर गए थे और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो गई थी। भूकंप का केंद्र बिंदु कच्छ भुज में था और हमारे कुलदेवी का मंदिर भी भुज में आया हुआ है और उस दिन मेरा छोटा भाई वही पर था। हमारा परिवार बड़ा है इसलिए कोई ना कोई वहां पर दर्शन के लिए आता जाता रहता है। इस बार मेरे छोटे भाई ने वहां पर जाने का फैसला किया। 25th तारीख को रात को 12:30 बजे की ट्रावैल्स से ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 15
प्रकरण 21 : P.G.D.A.C.A. College ग्रुप मैं अपने कॉलेज के ग्रुप की थोड़ी बातें शेयर करना चाहता हूं। हमारा बहुत ही अच्छा था की हॉस्टल के ग्रुप के जैसा ही मुझे कॉलेज का ग्रुप मिला था। हम लोगो ने साथ में कहीं यादगार लम्हे बिताए थे। हमारे क्लास में 30-32 boys और 8-10 girls थी। हमारे कोलेज के ग्रुप में एक यूनिटी थी। अगर ग्रुप में से किसी एक को भी कोई प्रॉब्लम होती थी तो हम सब एक होकर उस प्रॉब्लम का सामना करते थे। ग्रुप में सूर्यो टको, धमो, पंकज, आशीष, गोटी, भट्टी, मिलिंद, हेमल, अमरीश, मुस्तांशीर ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 16
प्रकरण 23 : कॉलेज में क्रिकेट वॉलीबॉल की मस्ती कॉलेज में रमत गमत के लिए बड़ा मैदान था जहां सब छात्र मिलकर खेलते थे। हमारे क्लास में से आधे लोग क्रिकेट खेलते थे और बाकी के लोग वॉलीबॉल खेलते थे। लड़कियां अपने हिसाब से indoor games खेलती थी। कॉलेज खत्म होने के बाद हम लोग क्रिकेट, वॉलीबॉल खेलने जाते थे। हमारे कॉलेज का नया बिल्डिंग बनने जा रहा था इसलिए इसमें लिमिटेड क्लास चल रहे थे जिसमें छात्रों की संख्या भी लिमिटेड थी। हम लोग खेल में कभी-कभी इतने मशगूल हो जाते थे कि समय का पता ही नहीं ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 17
प्रकरण 25 : Ring Theory हम लोग कॉलेज प्रशासन के सामने अक्सर विरोध प्रदर्शन करते थे इसलिए हमारे क्लास वह कोई नुकसान ना कर सके इसलिए हम लोगोने एक सिस्टम विकसित किया था। सिस्टम ऐसा था कि प्रशासन की तरफ से किसी को भी, कोई भी जानकारी मिले तो वो अपने किसी एक फ्रेंड को वह जानकारी फॉरवर्ड कर देगा। और वह किसी दूसरे को और दूसरा किसी तीसरे को और तीसरा किसी चौथे को ऐसे करके हर छात्र के पास कॉलेज की जानकारी पहुंच जाती थी। उस समय हमारे पास मोबाइल नहीं थे इसलिए यह सिस्टम बहुत ही ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 18
प्रकरण 27 : प्रिंसिपल की ऑफिस में धमाल 31st की सेलिब्रेशन के बाद कोलेज प्रशासन की ओर से हमारा निकलना तय था। हम सबके भूतकाल के रिकॉर्ड को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने हम सब लड़कों को माफ कर दिया लेकिन हमारे क्लास का moral तोड़ने के लिए क्लास की लड़कीयो को सजा देने का निर्णय किया। punishment ऐसी थी कि लड़कियां अपने parents के साथ प्रिंसिपल के ऑफिस में आए और प्रिंसिपल से रुबरु माफी मांगे। सभी लड़कियां यह सुनकर घबरा गई और वह सब हमारे पास आई और अपनी punishment की बात हम सब को बताई। लड़कियों ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 19
प्रकरण 29 : यूनिवर्सिटी की फाइनल exam की date को postponed करवाया कॉलेज की फाइनल exam आने वाली थी हमारा course अभी तक खत्म नहीं हुआ था, इसलिए हमने प्रोफेसरों से exam date postponed करने के लिए चर्चाए की। प्रोफेसरों ने हमें प्रिंसिपल से मिलने को कहा। हम लोग प्रिंसिपल से मिले तो उसने बताया कि exam date postponed करने के rights यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के पास होते हैं, तुम सब उससे जाकर मिलो। हम सब सोच रहे थे कि अब क्या करें ?? क्योंकि अगर हमारा अकेले का क्लास यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर से मिलने जाएगा तो ...और पढ़े
Hostel Boyz (Hindi) - 20 - Last Part
प्रकरण 31 : हॉस्टल और कॉलेज के त्यौहार अक्सर त्यौहारों में छुट्टी होने के कारण हम लोग ज्यादातर त्यौहार पर ही मनाते थे लेकिन मकर संक्रांति का त्योहार हम लोग राजकोट में ही मनाते थे। हम लोग छत पर पतंग उडाने जाते थे और मकर संक्रांति का त्यौहार का आनंद लेते थे। नवरात्रि में हम लोग हॉस्टल के प्रार्थना होल में आरती, कीर्तन, दर्शन करते थे और वहां पर गरबे घूमते थे। कॉलेज में हम अलग अलग days celebration करते थे और हमारा ऐसा प्रयास होता था कि कॉलेज के सब क्लास के छात्र छात्राऐ उसमें शामिल हो। प्रकरण ...और पढ़े