(कैप्टन अरुण जसरोटिया, अशोक चक्र, सेना मेडल, निशाने पंजाब ) 'संत सिपाही', विरोधाभास लगता है न आप सब को, कि हिंसक - अस्त्र-शस्त्रों के साथ शत्रु संहार की शिक्षा-दीक्षा लेने वाला, युद्ध के दाँव पेंच का दिन रात अभ्यास करने वाला सैनिक क्या संत भी हो सकता है? हो सकता है । 'महाभारत' के धर्मराज युधिष्ठिर, भीष्म पितामह, मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने तभी शस्त्र उठाए थे जब शत्रु को नष्ट करने के अलावा उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। भगवद् गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है: -
Full Novel
शौर्य गाथाएँ - 1
(कैप्टन अरुण जसरोटिया, अशोक चक्र, सेना मेडल, निशाने पंजाब ) 'संत सिपाही', विरोधाभास लगता है न आप सब को, कि - अस्त्र-शस्त्रों के साथ शत्रु संहार की शिक्षा-दीक्षा लेने वाला, युद्ध के दाँव पेंच का दिन रात अभ्यास करने वाला सैनिक क्या संत भी हो सकता है? हो सकता है । 'महाभारत' के धर्मराज युधिष्ठिर, भीष्म पितामह, मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने तभी शस्त्र उठाए थे जब शत्रु को नष्ट करने के अलावा उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। भगवद् गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है: - ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 2
( लांस नायक रमेश खजुरिया – शौर्य चक्र ) रमेश से मेरी पहचान उस सैनिक छावनी में जाने के एक दिन बाद ही हो गयी थी मेरे पति ने जिस दिन भारतीय सेना की विशिष्ट पलटन 1 पैरा स्पैशल फोर्सेस के कमान अधिकारी का कार्य भार सम्भाला, उसी दिन से वो उनकी सिक्योरिटी गार्ड की टीम में नियुक्त हो गया दिन भर जब मेरे पति ऑफिस होते तो उसकी ड्यूटी भी वहीं होती और जब वे घर आते तो उनकी गाड़ी में भी उनकी सुरक्षा हेतु वह हमारे घर तक आता था वैसे शांतिकाल में सैनिक छावनियों में सुरक्षा की कोई आवश्यकता तो नहीं होती लेकिन पुराने नियमों के अनुसार अभी तक ऐसा ही चल रहा था ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 3
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (3) परम्परा ( नायक जगपाल सिंह, कीर्ति चक्र ) इतिहास साक्षी है कि युद्ध कितना होता है | आग, अँगार, बन्दूक, तोप, चीत्कार और हज़ार्रों की संख्या में जानहानि | द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा तथा नागासाकी नगरों पर परमाणु बम गिरने से लाखों लोगों की जाने गईं | ये नगर तो फिर से बस गए किन्तु परमाणु बम के वीभत्स परिणामों से कई भावी पीढ़ियाँ मानसिक एवं शारीरिक रोगों से त्रस्त रहीं| क्या इसके उपरान्त भी इस त्रासदी से युद्ध पिपासियों ने कुछ सीखा ? शायद नहीं | आज भी विश्व ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 4
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (4) एक और अभिमन्यु ( लेफ्टिनेंट सुशील खजुरिया, कीर्ति चक्र ) उन दिनों मैं अमेरिका रह रही थी देश में रहो या विदेश में, सुबह उठते ही चाय के कप के साथ समाचार पत्र पढ़ना पुरानी आदत है जो यहाँ साथ ही आ गई । अंतर केवल इतना है कि विदेश में हम लैप-टॉप खोल कर भारत के सभी समाचार पत्रों की सुर्खियाँ अवश्य पढ़ लेते हैं । उस दिन भी वैसा ही हुआ । जम्मू निवासी होने के कारण जम्मू-कश्मीर का दैनिक समाचार पत्र ‘डेली एक्ससेल्सियर’ खोला । मुख पृष्ठ पर जो चित्र ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 5
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (5) अखंड ज्योत ( नायक सूरज भान) भारतीय दर्शन में दैनिक प्रार्थना-आराधना, जप-पाठ का विशेष है| हम जीवन में जब भी बहुत प्रसन्न होते हैं या बहुत दुखी होते हैं, अपने -अपने इष्ट देव की शरण लेते हैं | शादी- ब्याह, जन्मदिन, तीज –त्योहार आदि सभी अवसरों पर हम अपने अपने धर्मानुसार पूजा आदि का आयोजन करते हैं |यहाँ तक कि असाध्य बीमारियों के निवारण के लिए भी हम भगवान से ही प्रार्थना करते हैं | हम भारतीयों को उस परम परमेश्वर की शक्ति में इतनी निष्ठा रहती है कि कभी कभी तो हम अपने ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 6
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (6) शाश्वत गाथा (मेजर सुधीर वालिया – अशोक चक्र, सेना मेडल *) रिश्ते ! ये और स्नेह के रिश्ते कभी-कभी खून के रिश्ते से भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाते हैं और हमारे हृदय के सुरक्षित कोने में अनायास ही घर कर लेते हैं | मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है | अपनी पलटन के अधिकारियों और उनके परिवार से सहज ही ऐसा अटूट सम्बन्ध जुड़ जाता है कि उनका सुख-दुःख हमारा सुख -दुःख हो जाता है और बरसों के बाद मिलने पर भी ऐसा कभी नहीं लगता कि हम कभी बिछुड़े भी थे | ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 7
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (7) प्रथा–कुप्रथा किसी भी समाज में सामिजिक प्रथाओं का अपना विशेष महत्व तथा तात्पर्य होता | किसी न किसी विशेष कारणों से समाज के बुज़ुर्ग वर्ग ने इन प्रथाओं को बनाया होगा ताकि घर, गाँव और फिर देश में एकता, शान्ति एवं सौहार्द की भावना बनी रहे | यह प्रथाएँ देश, काल परिस्थिति के अनुसार बनती और बदलती रहती हैं | किन्तु ऐसा देखा गया है कि समय के साथ–साथ इन सामाजिक प्रथाओं का कहीं–कहीं दुरुपयोग भी होने लगा है | अधिकतर ऐसी प्रथाओं का केंद्र बिंदु नारी ही होता है| राजस्थान में सती प्रथा ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 8
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (8) अपना – अपना युद्ध मेरे पति अपने सैनिकों के साथ किसी कठिन अभियान के गए हैं, यह बात मैं जानती थी । कहाँ गए हैं; कितने दिन के लिए गए हैं, कब लौटेंगे, यह नहीं जानती थी ।ऐसा तो कई बार हो चुका है कि हमारी पलटन ( भारतीय सेना की स्पैशल फोर्सेस की एक इकाई ) की कुछ टुकड़ियों को किसी ना किसी मिशन के लिए अचानक जाना पड़ता था और मिशन की गोपनीयता या महत्व को देखते हुए बहुत बार परिवारों को उस के विषय में कोई जानकारी नहीं होती थी | पड़ोसी देश के साथ युद्ध ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 9
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (9) विजय स्मारिका ( मेजर मोहित शर्मा, अशोक चक्र ) जनवरी १५ को भारत में वर्ष सेना दिवस मनाया जाता है | इस दिन दिल्ली की सैनिक छावनी की परेड ग्राऊन्ड में भारतीय सेना की विभिन्न टुकडियां अपने विशेष अस्त्र-शस्त्रों से लैस होकर सेनाध्यक्ष को सलामी देती हैं और सलामी के बाद देश के आंतरिक एवं बाह्य रक्षा अभियानों में वीरता तथा साहस के साथ अपना कर्त्तव्य निभाने वाले सैनिकों को अलंकृत किया जाता है | इस समारोह में वीरगति प्राप्त सैनिकों के परिवार का कोई सदस्य जब भी मरणोपरांत पदक ग्रहण करने के लिए ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 10
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (10) प्रेरक पत्र मेरे जन्म दिवस पर मेरी एक सहेली ने मेरी रुचि का ध्यान हुए तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा रचित कविता संग्रह ‘मेरी इक्यावन कविताएँ’ मुझे भेंट किया श्री बाजपेयी जी के ओजस्वी भाषणों के प्रभाव से कोई भी भारतवासी अछूता नहीं रहा होगा । किन्तु मुझे तब तक यह नहीं पता था कि वे प्रभावशाली वक्त्ता के साथ-साथ उच्चकोटि के संवेदनशील कवि भी हैं । कभी- कभी उनके भाषण में हम पद्य की कुछ रोचक पँक्त्तियाँ सुनते तो थे लेकिन वे सभी विषय के संदर्भ में ही होतीं थीं ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 11
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (11) विदाई शादी के बाद प्रभा जब पहली बार सैनिक छावनी में अपने पति कैप्टेन पाल के साथ आई थी तो सैनिक परिवारों की रीत के अनुसार सब से पहले अन्य अधिकारियों की पत्नियाँ उस नई नवेली दुल्हन को मेरे घर ही लाई थीं उस छावनी के सर्वोच्च अधिकारी की पत्नी होने के नाते मेरा यह दायित्व भी था कि हर नई दुल्हन का स्वागत मैं अपने घर में ऐसे ही करूँ जैसे एक ससुराल में आने पर सासू माँ करती है अत: शगुन, गीत, चुहल, मिठाई भेंट, शरारत आदि का ऐसा वातावरण बना ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 12
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (12) तोलालोंग के रणघोष ( मेजर अजय जसरोटिया ) भारत के उत्तर मे जम्मू-कश्मीर एक राज्य है जो अपने प्राकृतिक सौन्दर्य एवं प्रसिद्ध मंदिरों के कारण केवल देश से ही नहीं अपितु विदेश से भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है जम्मू का दूसरा नाम ही “मंदिरों का शहर” है और यहाँ के निवासियों का अटल विश्वास है कि त्रिकुटा की पहाड़ियों में निवास करने वाली माँ वैष्णो देवी का इस नगर पर वरद हस्त है कश्मीर की बात करें तो किसी कवि के यह शब्द याद आते हैं. “अगर धरती पर कहीं ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 13
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (13) बलिदान जम्मू कश्मीर राज्य में स्थित पीर पंचाल की पहाडियों में गुज्जर- बकरवाल जाति लोग रहते हैं | ये लोग गर्मियों में ऊँचे पहाड़ों पर रह कर अपने माल मवेशी पालते हैं और सर्दियों में अपना पूरा परिवार लेकर मैदानों में आ जाते है | भेड बकरियाँ ही इनकी सोने -चाँदी की निधि होती है | दूध, घी तथा ऊनी वस्त्र बेच कर यह लोग अपना जीवन यापन करते हैं | चूंकि यह लोग जंगलों में, खुले में रहते हैं अत: अपने पशुओं और बच्चों की रक्षा हेतु कुत्ते अवश्य पालते हैं | अपने ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 14
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (14) संकल्प और साहस की प्रतिमूर्ति ( मेजर विवेक बंडराल, सेना मेडल ) सर्दी का सा आभास दिला रही थी वो सुबह| हम कुछ सप्ताह के लिए अपने छोटे बेटे आदित्य के पास रहने वाशिंगटन डी सी आए हुए थे| इतने वर्ष अमेरिका में रहने के बाद भी मेरा बेटा बिलकुल नहीं बदला था| रात देर तक जागना; घंटों ऊँची आवाज़ में संगीत सुनना, सुबह कई बार अलार्म को बंद करके रजाई में मुँह छिपाना और ऑफिस जाने की जल्दी में सुबह के नाश्ते के लिए ना-नुकर करना| मैंने उस दिन उसके उठने से पहले ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 15
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (15) शायद कभी वर्ष १९७१ के सितम्बर अक्टूबर के महीनों के आस पास भारत की पर पाकिस्तान की सेना का जमाव बढ़ रहा था | गोलाबारी की छुटपुट घटनाएँ भी होती रहती थीं | मेरे पति की पलटन ‘स्पेशल फोर्सस’ को भी सीमाओं पर कूच करने के लिए अग्रिम चेतावनी दे दी गई थी | अक्टूबर का महीना भारतीय परिवारों के लिए विशेष महत्व रखता है | इसी महीने भारतीय पत्नियों के लिए ‘करवा चौथ’ का व्रत आता है जिसे सुहागिन स्त्रियाँ बड़े शौक से मनाती हैं | साथ ही अक्टूबर – नवम्बर में दीवाली ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 16
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (16) शांतिदूत यह प्रसंग वर्ष १९९८ के आस -पास का है | कारगिल के भयंकर में कितने ही शूरवीरों ने अपने जान की आहुति दी थी | पूरे देशवासियों का हृदय दुःख, क्षोभ एवं ग्लानि के मिलेजुले भावों से छलनी था| युद्ध पहले भी होते रहे हैं, सीमाएँ पहले भी रक्तरंजित होती रही हैं, किन्तु यह युद्ध सीमाओं के साथ- साथ जनता के घरों में, टीवी स्क्रीन पर भी लड़ा जा रहा था| हरेक क्षण का वृतांत सामने देख कर शत्रु के प्रति आक्रोश और युद्ध में विजयी होने की भावना हर भारतीय के खून ...और पढ़े
शौर्य गाथाएँ - 17 - अंतिम भाग
शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (17) एक नदी-एक पुल सैनिक अधिकारी की पत्नी होने के नाते मैंने अपने जीवन के ३५ वर्ष वीरता, साहस एवं सौहार्द से परिपूर्ण वातावरण में बिताए। इतने वर्षों में मैंने सुख-दु:ख, मिलन-वियोग, प्रतीक्षा-उत्कंठा तथा गर्व आदि कितने भावों- अनुभावों को भोगा और अनुभव किया है । इस लम्बी जीवन यात्रा में कभी कभी ऐसे क्षण आए जो मन और मस्तिष्क में अपनी अमिट छाप छोड़ गए| आपके समक्ष प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ अविस्मरणीय क्षण । सैनिकों के कार्यकाल में कई ऐसे अवसर आते हैं जब भारतीय सेना की कुछ इकाइयों को सीमाओं की रक्षा ...और पढ़े