देश के बहादुर..वीर सावरकर

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लिख रहा हूं मै अंजाम,जिसका कल आगाज आएगा...मेरे लहू का हर एक कतरा,इन्कलाब लाएगा...में रहूं या न रहूं पर,ये वादा हे मेरा तुझसे...मेरे बाद वतन पर....मरने वालो का सैलाब आएगा.मातृभूमि को गुलामी की ज़ंजीरों से आजाद करने के लिए कई वीरो ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।अपना तन,मन,धन परिवार आदि को त्याग कर दिया।इतने से भी मन ना भरा तो आत्म चेतना की आवाज़ सुनी ओर खुद राष्ट्र मुक्ति हेतु वेदी में स्वाहा हो गए। हम कल्पना भी नहीं कर सकते..की क्या उनको हमारी तरह लाइफ जीने का अधिकार नहीं होगा।वो नहीं चाहते होंगे.

Full Novel

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देश के बहादुर..वीर सावरकर - 1

लिख रहा हूं मै अंजाम,जिसका कल आगाज आएगा...मेरे लहू का हर एक कतरा,इन्कलाब लाएगा...में रहूं या न रहूं पर,ये हे मेरा तुझसे...मेरे बाद वतन पर....मरने वालो का सैलाब आएगा.मातृभूमि को गुलामी की ज़ंजीरों से आजाद करने के लिए कई वीरो ने अपने प्राण न्योछावर कर ...और पढ़े

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देश के बहादुर.. वीर सावरकर…पार्ट - २

१८५७ क्रांति का आर्टिकल यूरोप के १६ ओर ब्रिटेन के ४ प्रमुख न्यूजपेपर में छपा...तब वहां के बुदधिजीवियों ने अगर १८५७ का यही सच है तो ब्रिटेन को अपना मुंह काला कर लेना चाहिए...इसके बाद अंग्रेज़ समझ गए अगर इस युवक ने भारत के नवयुवको की चेतना जगा दी...ओर इसकी असर बाकी देशों पर समाचार पत्र द्वारा हुई तो हमारा भारत ही नहीं ओर भी देशों में प्रतिकार होगा...सन १९०७.. जर्मनी में हुई अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में मैडम भीकाजी कामा द्वारा भारत का प्रथम राष्ट्र ध्वज लहराया गया..जो वीर विनायक दामोदर ...और पढ़े

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देश के बहादुर.. वीर सावरकर - ३

सावरकर माने तेज...सावरकर माने त्याग...सावरकर माने तप...सावरकर माने तत्व...सावरकर माने तर्क...सावरकर माने तारुण्य...सावरकर माने तीर...सावरकर माने तलवार...सावरकर माने तिलमिलाहट....वीर part-३आप सभी का स्वागत ओर धन्यवाद है।वर्ष 1924 में उनको रिहाई मिली मगर रिहाई की शर्तों के अनुसार उनको न तो रत्नागिरी से बाहर जाने की अनुमति थी और न ही वह कुछ साल तक कोई राजनीति कार्य कर सकते थे।इसीलिए रिहा होने के बाद उन्होंने 23 जनवरी 1924 को ̔रत्नागिरी हिंदू सभा’ का गठन किया और भारतीय संस्कृति और समाज कल्याण के लिए काम करना शुरू किया। थोड़े समय बाद सावरकर तिलक की स्वराज पार्टी में शामिल हो गए ...और पढ़े

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