प्रदीप कृत लघुकथाओं का संसार

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लघुकथाएँ "तुमसे सलाह लेना ही मुर्खता है. पगला कहीं के...."कहते हुए रवि पुन: रोने लगा. मिलने का समय समाप्त हो गया था. प्रहरी उसे अंदर ले गया. भोला लौट गया,उसे अपने मित्र की सहायता न कर पाने का थोड़ा गम था और थोड़ी खुशी इस बात की थी कि उसके मित्र को सुधरने और पश्चाताप करने का अवसर मिला.

Full Novel

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प्रदीप कृत लघुकथाओं का संसार, भाग-1

लघुकथाएँ "तुमसे सलाह लेना ही मुर्खता है. पगला कहीं के...."कहते हुए रवि पुन: रोने लगा. मिलने का समय समाप्त हो था. प्रहरी उसे अंदर ले गया. भोला लौट गया,उसे अपने मित्र की सहायता न कर पाने का थोड़ा गम था और थोड़ी खुशी इस बात की थी कि उसके मित्र को सुधरने और पश्चाताप करने का अवसर मिला. ...और पढ़े

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प्रदीप कृत लघुकथाओं का संसार, भाग-2

"संसार में बहूत एक-दूसरे से छल-कपट रचते रहते है. जो थोड़े सीधे-सादे लोग है उनके जीवन काफी संघर्षमय हैं." ही तो है, नामुमकिन नही. यदि वैसा होता तो वैसे जीवन का विकल्प चुनने से अच्छा उसका त्यागना है. मैं अपना जमीर खोना नही चाहता." "ज्यादा हठ ठीक नही. सोचो किसी के पास पैसे हों तो अपने बीमार माँ का अच्छे से इलाज करवा सकता है. घर-गृहस्ती बसाने के आनंद भी प्राप्त कर सकता है." ...और पढ़े

4

प्रदीप कृत लघुकथाओं का संसार

दो लघुकथाएँ। ...और पढ़े

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