आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची

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ओफ्फ़! कल शाम ही तो वह यहाँ आया है. पर ऐसा लग रहा है मानो हफ़्तों से नज़रबंद है यहाँ. कैसे रह पाते हैं लोग, भला इन छोटे कस्बों में? ठीक है पहले यहाँ एक आदिम बस्ती थी. पर अब तो काफी विकास हो चुका है. कहने को कॉलेज हैं, अस्पताल है, बैंक हैं, सरकारी कार्यालय हैं, पर सब जैसे चींटी की रफ़्तार से चल रहें हों. महानगरों की दौड़ती भागती ज़िन्दगी का आदी अभिषेक, तालमेल नहीं बिठा पा रहा था इस ऊंघते कस्बे के जनजीवन से बुरी तरह झुंझला उठा था. वह भी एक ही पागल है, क्या जरूरत थी उसे, यहाँ आकर यह सब भोगने की. अभी तो पूरे दो दिन बाकी हैं, लौटने में. अल्लाह ही मालिक है अब.

Full Novel

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 1

ओफ्फ़! कल शाम ही तो वह यहाँ आया है. पर ऐसा लग रहा है मानो हफ़्तों से नज़रबंद है कैसे रह पाते हैं लोग, भला इन छोटे कस्बों में? ठीक है पहले यहाँ एक आदिम बस्ती थी. पर अब तो काफी विकास हो चुका है. कहने को कॉलेज हैं, अस्पताल है, बैंक हैं, सरकारी कार्यालय हैं, पर सब जैसे चींटी की रफ़्तार से चल रहें हों. महानगरों की दौड़ती भागती ज़िन्दगी का आदी अभिषेक, तालमेल नहीं बिठा पा रहा था इस ऊंघते कस्बे के जनजीवन से बुरी तरह झुंझला उठा था. वह भी एक ही पागल है, क्या जरूरत थी उसे, यहाँ आकर यह सब भोगने की. अभी तो पूरे दो दिन बाकी हैं, लौटने में. अल्लाह ही मालिक है अब. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 2

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. पर वहाँ की धीमी से गुजरते जन जीवन से एक दिन में ही बहुत ऊब जाता है. तभी एक दुकान पर उसे एक नारी कंठ सुनायी देता है. वह चेहरा नहीं देख पाता. उसे शची की आवाज़ लगती है और वह परेशान हो उठता है. अपने गेस्ट हाउस में लौट वह पुरानी यादों में खो जाता है कि कैसे कॉलेज में भी शची कि आवाज सुन चौंक गया था, वह. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 3

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. पर वहाँ की धीमी से गुजरते जन जीवन से एक दिन में ही बहुत ऊब जाता है. तभी एक दुकान पर उसे एक नारी कंठ सुनायी देता है. वह चेहरा नहीं देख पाता. उसे शची की आवाज़ लगती है और वह परेशान हो उठता है. अपने गेस्ट हाउस में लौट वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी. आते ही लोकप्रिय हो गए थी. मनीष उसे शची का नाम ले छेड़ने लगा था. जब उसने उसे उल्टा ही चिढाया तो मनीष ने बताया कि वह उसे राखी बाँध चुकी है और माँ को बचपन में ही खोकर बिलकुल अकेली है ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 4

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. वहाँ एक दुकान पर एक नारी कंठ सुनायी देता है. वह चेहरा नहीं देख पाता. उसे शची की आवाज़ लगती है और वह परेशान हो उठता है. अपने गेस्ट हाउस में लौट वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी.. मनीष उसे शची का नाम ले छेड़ने लगा था. पर वह अपने मन को नहीं समझ पा रहा था. पर जब शची ने स्टेज पर आँखें उठाकर कुछ ऐसी नज़रों से देखा कि उसने बहुत कुछ पढ़ लिया उसकी आँखों में. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 5

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. वहाँ एक दुकान पर एक नारी कंठ सुनायी देता है. वह चेहरा नहीं देख पाता. उसे शची की आवाज़ लगती है और वह परेशान हो उठता है. अपने गेस्ट हाउस में लौट वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी.. मनीष उसे शची का नाम ले छेड़ने लगा था. पर वह अपने मन को नहीं समझ पा रहा था. पर जब शची ने स्टेज पर आँखें उठाकर कुछ ऐसी नज़रों से देखा कि उसने बहुत कुछ पढ़ लिया उसकी आँखों में. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 6

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. वहाँ उसे शची जैसी आवाज़ सुनायी देती है और वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी. शुरू में तो शची उसे अपनी विरोधी जान पड़ी थी पर धीरे धीरे वह उसकी तरफ आकर्षित हुआ. पर शची की उपेक्षा ही मिली उसे और उसने कुछ अपने जैसे अमीर घराने वालों से दोस्ती कर ली. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 7

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. वहाँ उसे शची जैसी आवाज़ सुनायी देती है और वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी. शुरू में तो शची उसे अपनी विरोधी जान पड़ी थी पर धीरे धीरे वह उसकी तरफ आकर्षित हुआ. पर शची की उपेक्षा ही मिली उसे और उसने कुछ अपने जैसे अमीर घराने वालों से दोस्ती कर ली. पर कुछ ही दिन बाद ऊब गया उनकी संगति से और शची से अपने मन की बात कह डाली ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 8

अभिषेक, एक पत्रिका में कोई रिपोर्ट लिखने के उद्देश्य से एक कस्बे में आता है. वहाँ उसे शची जैसी आवाज़ सुनायी देती है और वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी नयी कॉलेज में आई थी. शुरू में तो शची उसे अपनी विरोधी जान पड़ी थी पर धीरे धीरे वह उसकी तरफ आकर्षित हुआ. पर शची की उपेक्षा ही मिली उसे और उसने कुछ अपने जैसे अमीर घराने वालों से दोस्ती कर ली. पर कुछ ही दिन बाद ऊब गया उनकी संगति से और शची से अपने मन की बात कह डाली. पर उनका प्यार अभी परवान चढ़ा भी नहीं था कि एक दिन शची ने कुछ बताना चाह पर रोती ही रह गयी ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 9

अभिषेक, को शची जैसी ही. आवाज़ सुनायी देती है और वह पुरानी यादों में खो जाता है कि शची नयी कॉलेज में आई थी. शुरू में तो शची उसे अपनी विरोधी जान पड़ी थी पर धीरे धीरे वह उसकी तरफ आकर्षित हुआ. पर शची की उपेक्षा ही मिली पर फिर वे करीब आ गए. पर उनका प्यार अभी परवान चढ़ा भी नहीं था कि एक दिन शची ने कुछ बताना चाह पर रोती ही रह गयी और दूसरे दिन उसने बताया की उसे रुमैटिक हार्ट डिज़ीज़ है, इसलिए वह उस से दूर चली जाना चाहती है ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 10

अभिषेक, एक कस्बे में शची जैसी आवाज़ सुन पुरानी यादों में खो जाता है. शची नयी नयी कॉलेज में थी. शुरू में तो शची उसे अपनी विरोधी जान पड़ी थी पर धीरे धीरे वह उसकी तरफ आकर्षित हुआ. पर शची की उपेक्षा ही मिली पर फिर वे करीब आ गए. पर उनका प्यार अभी परवान चढ़ा भी नहीं था कि एक दिन बताया कि उसे रुमैटिक हार्ट डिज़ीज़ है, इसलिए वह उस से दूर चली जाना चाहती है, और शची ने उसे सब बताया कि उसने कितनी कोशिश कि उससे खुद को दूर रखने की, पर मजबूर हो गयी ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 11

अभिषेक, एक कस्बे में शची जैसी आवाज़ सुन पुरानी यादों में खो जाता है. शची नयी नयी कॉलेज में थी. शुर में शचे ने उपेक्षा की पर फिर वे करीब आ गए. पर उनका प्यार अभी परवान चढ़ा भी नहीं था कि एक दिन बताया कि उसे रुमैटिक हार्ट डिज़ीज़ है, इसलिए वह उस से दूर चली जाना चाहती है. वह उसे अपना फैसला बदलने के लिए कहता है. कोई असर ना होता देख एक दिन सबके सामने शची को भला-बुरा कहता है और उसके हृदयरोग से ग्रसित होने का राज़ भी खोल देता है. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 12

अभिषेक, किताबों में डूबने की पुरजोर कोशिश करता पर कहाँ मिल पाती कामयाबी? मन भटकता रहता और वह किताबें कोई रेकॉर्ड लगाने लगता. दो मिनट भी नहीं सुनता कि खीझ होने लगती. सोचता छत पर टहलना ठीक रहेगा. पर वहाँ मन इतना बेचैन और परेशान हो जाता कि वापस कमरे में आ किताबें उठा लेता और जोर जोर से बोल बोल कर पढना शुरू कर देता. यह भी ज्यादा देर नहीं चल पाता और पढ़ते पढ़ते किताब एक तरफ फेंक देता मानो खुद से लड़ते लड़ते हार गया हो जैसे और फिर जाने कब तक उसके चेहरे को धोती बूँदें, फर्श भिगोती रहतीं. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 13

सुबह थोड़ी देर से ही आँख खुली, चाय लेकर आने वाले लड़के ने बताया कि कोई उसका नीचे हॉल इंतज़ार कर रहा है. बहुत आश्चर्य हुआ उसे. गेस्ट हाउस के मैनेजर को छोड़कर, उसके यहाँ आने की खबर तो किसी को नहीं थी. और उसे भी सख्त ताकीद कर दी गयी थी कि कहीं चर्चा ना करें. पर ये तीव्र संचार माध्यम जो ना कराएं, पता नहीं कहाँ से खबर लग गयी. उसे चाय नीचे हॉल में ही लाने को कह तैयार होने चला गया. एक गोल-मटोल हंसमुख से सज्जन को इंतज़ार करते पाया. थोड़ी ही देर में अपने आचरण से मन मोह लिया उन्होंने. पता चला, जिस संस्था के बारे में जानकारी इकट्ठी करने वह आया है. उसी संस्था से जुड़े हैं और उसके वार्षिक कार्यक्रम में उसे आमंत्रित करने आए हैं. ...और पढ़े

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आयम स्टिल वेटिंग फ़ॉर यू, शची - 14

शची के यहाँ से निकला.... निरुद्देश्य सा इधर उधर भटकता रहा थोड़ी, देर... कुछ लोगों से बातें की... मन भले ही झंझावात चल रहें हों.. पर प्रोफेशनल ड्यूटी तो निभानी ही है... जिस काम के लिए आया है, उसे तो अंजाम देना ही है..... भले ही दिल के अंदर अरमानों की मौत हुई हो... पर नए विचार, आलेख के जन्म लेने के लिए तो जमीन तैयार करनी ही होगी. ...और पढ़े

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