धनी और प्रभावशाली परिवार के मुखिया, रघुनाथ देशमुख, की अचानक मृत्यु हो जाती है। परिवार के सभी सदस्य उनके अंतिम संस्कार और वसीयत पढ़ाई के लिए पुराने हवेली में एकत्र होते हैं। लेकिन हवेली में आते ही अजीब घटनाएँ शुरू हो जाती हैं। बारिश और भूस्खलन की वजह से हवेली से बाहर जाना असंभव हो जाता है। धीरे-धीरे, परिवार के सदस्य एक-एक कर मरने लगते हैं। पुरानी दुश्मनी, छुपे रहस्य और अधूरी इच्छाएँ सामने आती हैं। यह स्पष्ट होता है कि कहतार में कोई हत्यारा है, लेकिन वह कौन है, यह कोई नहीं जानता।
Family of Shadows - Part 1
धनी और प्रभावशाली परिवार के मुखिया, रघुनाथ देशमुख, की अचानक मृत्यु हो जाती है। परिवार के सभी सदस्य उनके संस्कार और वसीयत पढ़ाई के लिए पुराने हवेली में एकत्र होते हैं।लेकिन हवेली में आते ही अजीब घटनाएँ शुरू हो जाती हैं। बारिश और भूस्खलन की वजह से हवेली से बाहर जाना असंभव हो जाता है। धीरे-धीरे, परिवार के सदस्य एक-एक कर मरने लगते हैं।पुरानी दुश्मनी, छुपे रहस्य और अधूरी इच्छाएँ सामने आती हैं। यह स्पष्ट होता है कि कहतार में कोई हत्यारा है, लेकिन वह कौन है, यह कोई नहीं जानता।️️ मुख्य पात्र1. रघुनाथ देशमुख (स्वर्गीय) – परिवार के ...और पढ़े
Family of shadows - Part 2
अध्याय 2 – रात का सन्नाटा और पहली मौतरात आधी बीत चुकी थी। हवेली के ऊपर काले बादल इस मंडरा रहे थे, जैसे आकाश भी इस घर से दूर भागना चाहता हो।हवा में नमी और अजीब सी घुटन थी — हर साँस भारी लग रही थी।हवेली के भीतर सब अपने-अपने कमरों में चले गए थे, मगर नींद किसी को नहीं आ रही थी।दीवारों के पीछे से आती धीमी आवाज़ें, छत पर चलते कदमों की आहटें, और कभी-कभी खुद-ब-खुद खुलती खिड़कियाँ — ये सब किसी की रूह तक काँपाने के लिए काफी थीं।सविता अपने कमरे में अकेली थीं।टेबल पर लगी ...और पढ़े
Family of Shadows - Part 3
सुबह की धूप कपूर हवेली की दीवारों तक नहीं पहुँच पाई थी। आसमान अब भी बादलों से ढका था, कोई अदृश्य साया पूरे घर को ढक कर बैठा हो।हवेली के बाहर पुलिस की गाड़ियाँ, अन्दर फुसफुसाहटों का माहौल।दीवारों पर पुराने चित्र, जिनकी आँखें मानो सब कुछ देख रही थीं।राजेश का शव अब जा चुका था, लेकिन उसकी मौजूदगी हवा में तैर रही थी।हर कोना उसके गुस्से और डर की कहानी कह रहा था।सविता धीरे-धीरे कमरे में आईं, उनके हाथ काँप रहे थे। उन्होंने राजेश की कुर्सी पर हाथ रखा —“तू भी चला गया, बेटा… और अब ये घर सच ...और पढ़े
Family of Shadows - Part 4
थाने के रिकॉर्ड रूम में सिर्फ़ दीमक की खटखटाहट थी और अर्जुन मेहरा की साँसों की आवाज़।उसने पुरानी अलमारी — अंदर धूल से ढकी फ़ाइलें, जिन पर तारीखें इतनी पुरानी थीं कि उंगलियाँ कांप गईं।> अर्जुन (धीरे से खुद से): “देवयानी कपूर... असली नाम क्या है तुम्हारा?”फ़ाइल निकली — “केस नं. 47/2001 — Missing Woman : Devika Sharma.”उसने फ़ोटो देखी — वही चेहरा, वही आँखें, वही रहस्यमय मुस्कान।नाम बदला था, पर चेहरा नहीं।देविका शर्मा ही देवयानी कपूर थी।या शायद... वो कोई तीसरी औरत थी, जिसने दोनों की ज़िंदगी ले ली थी।अर्जुन सीधे सत्यनगर मोहल्ले पहुँचा।शहर के कोने में पड़ी ...और पढ़े
Family of Shadows - Part 5
Chapter 5 — “तहख़ाने का दरवाज़ा”सविता की आवाज़ जैसे दीवारों में अटक गई थी।अर्जुन मेहरा कुछ सेकंड तक कुछ ही नहीं पाया।कमरे की हवा भारी थी, जैसे किसी ने अचानक ऑक्सीजन खींच ली हो।> अर्जुन (धीरे से): “तहख़ाने में… ज़िंदा?”सविता की आँखें दूर कहीं अतीत में खो गईं।“रघुनाथ ने कहा था कि वो भागने की कोशिश कर रही थी…कि वो किसी से मिलने वाली थी…और कि वो इस घर, इस परिवार को बर्बाद कर देगी।”अर्जुन ने एक कदम पीछे लिया।“और आपने उस पर यक़ीन कर लिया?”सविता कुछ बोल न सकीं।बस काँपते हुए एक पुरानी चाभी की ओर इशारा किया ...और पढ़े
Family of Shadows - Part 6
सविता के शब्द अब भी हवेली की दीवारों में अटके हुए थे —“देवयानी वहीं अब भी साँस ले रही मेहरा तहख़ाने से ऊपर आया, लेकिन उसके कदम भारी थे।जैसे सच उसके जूतों से चिपक कर ऊपर आया हो।बाहर का आसमान काला था।और हवेली के बरामदे में सिर्फ़ दो चीज़ें बची थीं —सन्नाटा और किसी अदृश्य औरत की परछाई।अर्जुन और सावंत ने कार की तरफ बढ़ना शुरू ही किया था कि अचानक—ट्रिंग… ट्रिंग…अर्जुन का फ़ोन बजा।रात के 3:12 AM थे।इस वक़्त किसी का कॉल आना अच्छा इशारा नहीं था।> अर्जुन: “हेलो?”कॉलर (घबराई हुई आवाज़): “सर… सविता मैडम की बेटी आशा… ...और पढ़े
Family of Shadows - Part 7
आशा की मौत ने पूरे शहर की हवा बदल दी थी।सुबह का सूरज भी जैसे काला दिख रहा था देशमुख बंगले के बाहर पुलिस की गाड़ियों की लाइटें उस अंधेरे को और बड़ा बना रही थीं।अर्जुन मेहरा गहरी सांस लेकर बंगले के बरामदे से अंदर गया।उसके चेहरे पर वही पुराना सन्नाटा था —जब दिमाग तेज़ी से चल रहा हो, लेकिन भीतर ठंड उतर चुकी हो।सावंत बोला,“सर, आशा के कमरे की तलाशी फिर से लेनी चाहिए।”अर्जुन ने सिर हिलाया,“वो कमरे में नहीं मरी है। उसका डर कमरे तक लाया गया है।”आशा का कमरा — नई तहकीकातअंदर अब भी वही हल्की ...और पढ़े