चिड़िया की चहचहाहट सुनाई देती है। सुबह के 5:00 बज रहे हैं। दिल्ली का एक शांत मोहल्ला, जहां सुबह की ताजगी हवा में बसी है। "यॉन, यॉन," सहदेव ने एक लंबी सांस ली और बिस्तर से उठते हुए अपने पैरों को फर्श पर रखा। बाथरूम का दरवाजा खुलता है, फिर धीरे से बंद हो जाता है। थोड़ी देर बाद, सहदेव अपने कमरे से बाहर निकलता है। "गुड मॉर्निंग, सहदेव!" एक लड़के ने हंसते हुए कहा। उसका नाम मितेश था, जो सहदेव के पीजी में रह रहा था। "गुड मॉर्निंग, ब्रो," सहदेव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

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Nafrat e Ishq - Part 1

चिड़िया की चहचहाहट सुनाई देती है। सुबह के 5:00 बज रहे हैं। दिल्ली का एक शांत मोहल्ला, जहां सुबह ताजगी हवा में बसी है।"यॉन, यॉन," सहदेव ने एक लंबी सांस ली और बिस्तर से उठते हुए अपने पैरों को फर्श पर रखा।बाथरूम का दरवाजा खुलता है, फिर धीरे से बंद हो जाता है। थोड़ी देर बाद, सहदेव अपने कमरे से बाहर निकलता है।"गुड मॉर्निंग, सहदेव!" एक लड़के ने हंसते हुए कहा। उसका नाम मितेश था, जो सहदेव के पीजी में रह रहा था।"गुड मॉर्निंग, ब्रो," सहदेव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।"आज तो बहुत जल्दी उठ गया। वरना तुम तो ...और पढ़े

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Nafrat e Ishq - Part 2

नए मैनेजर के आने से पहले, सहदेव ने खुद को सकारात्मकता से भर लिया। वह जानता था कि उसकी और लगन उसे आगे ले जाएगी, और वह इस मौके को पूरी तरह से भुनाना चाहता था।“यह नई शुरुआत है,” उसने मन में कहा, और एक नई उम्मीद के साथ अपने काम में जुट गया। तभी, एक प्यारी-सी आवाज़ ने उसकी तंद्रा भंग की।"सहदेव, प्लीज, तुम इस बॉक्स को उठा सकते हो?" आवाज़ में हल्की झिझक और मिठास थी।सहदेव ने पीछे मुड़कर देखा, तो फाइनेंशियल डिपार्टमेंट की आरोही गुप्ता खड़ी थी। हल्का मुस्कुराते हुए, सहदेव ने गौर किया कि यह ...और पढ़े

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Nafrat e Ishq - Part 3

जैसे ही मनीषा ने अपने अंदर की उथल-पुथल को काबू में करने की कोशिश की, उसके दिल में एक उम्मीद जाग उठी। उसे महसूस हुआ कि यह नई शुरुआत ही उसके अतीत से उबरने का मौका हो सकता है। उसने तय किया कि वह खुद को मजबूत बनाएगी और अपने अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ेगी, पर उस अनजान शख्स का चेहरा अब भी उसके मन में तैरता रहा। जैसे ही वह अपने खयालों में खोई हुई थी, एक हल्का सा झटका उसे वर्तमान में खींच लाया।"हाँ, हाँ क्या?" मनीषा ने अचानक हड़बड़ी में कहा।"मैडम, क्या अब आपका केबिन ...और पढ़े

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Nafrat e Ishq - Part 4

फोन कॉल खत्म करके मनीषा ने अपने विचारों को संयत किया और अपने केबिन में गहरी सांस लेते हुए गई। “क्या मुझे इस नई शुरुआत में अतीत से सामना करना पड़ेगा?” उसने खुद से सवाल किया, उसकी आंखों में अनकही बातें और अनजानी चिंताएं झलकने लगीं।तभी दरवाजा हल्के से खटखटाया और अंजू अंदर दाखिल हुई। वह मनीषा की तरफ हल्के मुस्कान के साथ देख रही थी।“मैडम, आप बिजी तो नहीं हैं, है न?” अंजू ने विनम्रता से पूछा, मगर मनीषा की संजीदगी देखकर हल्की सी असहज हो गई।“खाली बैठना भी एक काम है, तो हां, मैं बिजी हूँ,” मनीषा ...और पढ़े

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Nafrat e Ishq - Part 5

अंधेरे में डूबी हुई सड़क पर एक काली BMW तेजी से हॉस्पिटल की ओर बढ़ रही थी। अचानक ब्रेक की आवाज से माहौल में एक अस्थिरता सी छा गई।"मैडम, हम हॉस्पिटल पहुंच गए हैं," ड्राइवर ने धीरे से कहा।"ठीक है," मनीषा ने जवाब दिया और गाड़ी का दरवाजा खोलते ही बाहर उतर आई। ड्राइवर ने गाड़ी को बैक गियर में डालते हुए पार्किंग की ओर मोड़ दिया। मनीषा के कदमों की आवाज, ऊँची एड़ी के सैंडल की खटखट, शांत रात में गूंज रही थी। उसके कपड़ों से और चेहरे पर पसीने की हल्की चमक से साफ पता चल रहा ...और पढ़े

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Nafrat e Ishq - Part 6

पिछले अध्याय में:शाम के सात बज चुके थे और ऑफिस में पार्टी का माहौल था, क्योंकि सभी कर्मचारियों को की तरफ से होटल में आयोजित एक जश्न में आमंत्रित किया गया था। अंजू ने सभी को होटल पहुंचने का संदेश दिया, और खुद मनीषा के साथ वहाँ जाने की तैयारी में थी। दोनों होटल में पहुंचीं, जहाँ एक भव्य स्वागत किया गया। इस होटल का नाम था 'शाइनिंग स्टार,' और यह कनॉट प्लेस में स्थित था।वहीं, सहदेव और उसके दोस्त मनोज और आदित्य भी होटल में पहुंच चुके थे। पार्टी में आने से पहले उन्होंने मॉल से नए कपड़े ...और पढ़े

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Nafrat e Ishq - Part 7

तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब भी सहदेव के ज़हन में कंपनी में नई मैनेजर मनीषा के स्वागत के लिए होटल में पार्टी का आयोजन हुआ था। उस रात, सब कुछ अच्छा लग रहा था, जब तक देर रात का सफ़र एक अप्रत्याशित मोड़ नहीं ले आया।पार्टी खत्म होते-होते रात के 10 बज चुके थे। सहदेव, मनोज, और आदित्य ने अपनी बाइक अपनी सहकर्मी महिलाओं को दे दी थी ताकि वे सुरक्षित घर पहुंच सकें। तीनों पैदल ही होटल से निकल पड़े। ठंडी हवा और सड़क की खामोशी ने उन्हें दिनभर ...और पढ़े

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