शैतान का कुचक्र

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कथन बहुत पुराना है। स्वामी विवेकानंद ने एक बार अपने भाषण में कहा था की संचार के साधन संसार में तबाही का कारण बन सकते हैं। पिछले 130 वर्षों में मानव ंने विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्र मे बहुत अधिक उन्नति कर ली है। दूसरे शब्दों में तकनीकी क्षेत्र में और सामाजिक क्षेत्र में प्रगति में बहुत बड़ा अंतर हो गया है। पैदल चलने का का समय चला गया। घोड़े तथा दूसरे पशुओं के ऊपर बैठकर यात्रा करने का समय भी चला गया। बैलगाड़ी या घोड़ा गाड़ी पर बैठने या यात्रा करने का भी समय चला गया। यहां तक की अब तो साइकिल पर यात्रा करने का समय भी चला गया। इन सब यात्रा के साधनों को विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी ने बदल कर रख दिया। दिन प्रतिदिन मानव ऐसे क्षेत्रों में उन्नति करता जा रहा है, जिनका आज से 50-60 वर्ष पूर्व अनुमान भी नहीं भी नहीं लगा सकते थें।

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शैतान का कुचक्र - 1

कथन बहुत पुराना है। स्वामी विवेकानंद ने एक बार अपने भाषण में कहा था की संचार के साधन संसार तबाही का कारण बन सकते हैं। पिछले 130 वर्षों में मानव ंने विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्र मे बहुत अधिक उन्नति कर ली है। दूसरे शब्दों में तकनीकी क्षेत्र में और सामाजिक क्षेत्र में प्रगति में बहुत बड़ा अंतर हो गया है। पैदल चलने का का समय चला गया। घोड़े तथा दूसरे पशुओं के ऊपर बैठकर यात्रा करने का समय भी चला गया। बैलगाड़ी या घोड़ा गाड़ी पर बैठने या यात्रा करने का भी समय चला गया। यहां तक की अब ...और पढ़े

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शैतान का कुचक्र - 2

अभिमन्यु फस तो गया शैतानों के चक्रव्यूह में परंतु निकालना उसे आया नहीं । धीरे-धीरे मानव भी अभिमन्यु के विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी के चक्रव्यूह में फस तो गया । अब वह निकल ने का प्रयास कर रहा है।उन्नति की इस यात्रा में वह यह भूल गया कि वह मकड जाल में फंस रहा है। वह यह भी भूल गया कि इस उन्नति की चका चोंध में प्रवेश करना आसान है परन्तु निकल ने की कीमतखून के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से चुकानी पड़ती है। कैसा डरावना संसार है?विषय वचारणीय है कि अभिमन्चु चक्रव्यूह में प्रवेश तो कर गया परंतु ...और पढ़े

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