राज घराने की दावत.....

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अजगर करे ना चाकरी,पंछी करे न काम,दास मलूका कह गए,सबके दाता राम..... सेठ मतकू राम अंदर आते हुए अपने पेट पर हाथ फेरते हुए यह कहता है.. तभी अंदर से आवाज आती है कोई नई ताजी खबर है क्या मार लिया आज मैं मार लिया मैंने एक बार में ही सारे चारों खाने चित कर दिए..... सारे घर का न्योता है सारे घर का..... अब ऐसे हाथ बैठ कर मैं सब कुछ कर लूंगा तुम देखना......... " अरे कहीं पहले की तरह धोखा ही तो नहीं खाया है यह बात सच तो है ना" अंदर से फिर आवाज आती है

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राज घराने की दावत..... - 1

अजगर करे ना चाकरी,पंछी करे न काम,दास मलूका कह गए,सबके दाता राम.....सेठ मतकू राम अंदर आते हुए अपने पेट हाथ फेरते हुए यह कहता है..तभी अंदर से आवाज आती है कोई नई ताजी खबर है क्यामार लिया आज मैं मार लिया मैंने एक बार में ही सारे चारों खाने चित कर दिए.....सारे घर का न्योता है सारे घर का.....अब ऐसे हाथ बैठ कर मैं सब कुछ कर लूंगा तुम देखना........." अरे कहीं पहले की तरह धोखा ही तो नहीं खाया है यह बात सच तो है ना"अंदर से फिर आवाज आती हैमतकू राम अपने मूंछों पर तू देते हुए ...और पढ़े

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राज घराने की दावत..... - 2

फिर पंडित अपने पुत्रों से कहता है कि मान लो तुम लोगों से महारानी ने पूछा कि तुम कहां-कहां हो और तुम्हारे पिता के नाम क्या है.......तो बताओ तुम क्या जवाब दोगे?सोचो यह तो महान मूर्खता होगी ना कि तुम सब वहां पर मेरा नाम ले दोगे..... कितनी लज्जा की बात होगी ना कि एक महान विद्वान पंडित दान दक्षिणा के लिए इतना बड़ा कुछ चक्कर रच रहा है........इसलिए तुम सभी थोड़ी देर के लिए यह भूल जाओगे तुम लोग मेरे पुत्र हो..... तुम्हें अपने पिता के नाम अलग-अलग बताने हैं जब कोई तुमसे पूछे तो......मतकू राम का एक ...और पढ़े

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राज घराने की दावत..... - 3

राज घराने की दावत, 3" जाओ!!!मुझे तुम्हारी बात पर जरा भी भरोसा नहीं है सुधीराम "" अच्छा चलो एक करते हैं "!!!!!!तुम अपने पुत्र से स्वयं ही पूछ लो यदि मैंने उससे कुछ पूछा होगा तो मैं अपनी मुझे उखाड़ लूंगा और....यदि नहीं पूछा होगा तो तुम अपनी उखाड़ना "यह सुनकर मतकू राम अपने पुत्र से पूछता है तो उसका पुत्र बताता है की सुधि राम ने उसे कुछ नहीं पूछा इसलिए सुधीराम मतकू राम को देखते हुए कहता है कि" अब बोलो मतकू राम??? "" क्या सोचा फिर???? "उसके ऐसे व्यंग्य ...और पढ़े

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राज घराने की दावत..... - 4

राज घराने की दावत, 4मतकु राम :- "तुम्हें कितनी बार समझाया है कि मेरे काम के बीच में मत करो,,, मत बोला करो,, लेकिन तुम्हारे समझ नहीं आता क्या????? तुम इतना भी नहीं समझ सकती कि मैं इतनी देर क्यों की है,,, ईश्वर ने तुम्हें इतनी बुद्धि नहीं दी है क्या????"वह अपनी पत्नी देवा को डांटे हुए उसको बोलना है" पता है जल्दी जाने से अपमान होता है जजमान समझता है कि हम भुक्कड़ हैं, हम खाने के लिए आए हैं,, हम लोभी लोग हैं,,,,इसलिए चतुर और बुद्धिमान लोग जाने में देरी करते हैं..... ताकि जजमान समझे कि उनके ...और पढ़े

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राज घराने की दावत..... - 5

राज घराने की दावत भाग -5"चलो सीताराम !!तुम तुम्हारे पिताजी का नाम बताओसीताराम :-"रानी साहिबा,, दौलत राम शास्त्री है पिता श्री का नाम "रानी जी बोलते हैं कि यह तो बहुत ही हो हर बच्चे हैंअब बच्चों से प्रतीक्षा नहीं हो रही थी क्योंकि वह अपनी परीक्षा देने के लिए बहुत ही ज्यादा उत्सुक थे अब महारानी जी ने सीताराम की तारीफ कर दी तो तभीराधेश्याम बोल पड़ता है..... "मेरे पिताजी का नाम बुद्धू राम है ""जी मेरा नाम देवराम शास्त्री""देवराम आप बताइए आपके पिता का क्या नाम है???अब महारानी जी पूछने लगती हैंदेवराम :-"बिरजू राम शास्त्री "फिर महारानी ...और पढ़े

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राज घराने की दावत..... - 6

"हमारी देखा देखी मे तो यह हमारे लड़के भी डंट जाएंगे और थोड़ा और ज्यादा खाना खा लेंगे""क्या करूं क्या करूं???""हां एक विचार आया एक बार में रानी साहिबा से कह कर देखता हूं ""कहीं बुरा तो नहीं मान जाएंगी???""नहीं नहीं एक बार कह कर देखता हूं"यह सोचकर मतकु राम खड़ा हो जाता है और कहता है कि "रानी साहिबा मुझे आपसे एक बात कहनी है क्या इजाजत है!!"रानी साहिबा:-"हां हां पंडित जी कहिए क्या बात हैक्या किसी वस्तु की कमी रह गई या खाने में कुछ कमी है???मतकू राम :-"नहीं नहीं महारानी साहिबा कोई कमी नहीं है ना ...और पढ़े

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