वह उस बार में रोज़ ही देर शाम को बैठ कर घंटे भर तक व्हिस्की पीती है, जो शहर का एक ठीक-ठाक बार कहा जाता है। जगह ज़्यादा बड़ी होने के कारण शान्ति से देर तक बैठ कर पीने वालों का वह पसंदीदा बार है। वह बाहर से लेकर भीतर तक सिंपलीसिटी इज़ द बेस्ट ब्यूटी के सिद्धांत पर बना लगता है। उसकी सभी दीवारें सुपर व्हाइट कलर की हैं। सभी फ़र्नीचर स्टील के हैं। बार-टेंडर से लेकर सारा स्टाफ़ सफ़ेद रंग की ही ड्रेस में रहता है। शराब से लेकर खाने-पीने की हर चीज़ बड़ी सादगी से परोसी जाती है। उसके सेकेण्ड फ़्लोर पर केवल जोड़ों में आए लोग ही बैठ कर पी सकते हैं। वहाँ का सारा स्टाफ़ लेडीज़ है। क्योंकि मैं और वह दोनों ही वहाँ अकेले ही बैठ कर पीते हैं, इसलिए हमारी जगह नीचे ही होती है। पूरे समय वहाँ पर बहुत धीमा संगीत बजता रहता है। दीवारों पर हॉलीवुड या बॉलीवुड की नायिकाओं की नहीं, बल्कि अमेरिका की एक विख्यात पत्रिका में छपने वाली मॉडलों की क्लासिक न्यूड ए थ्री साइज़ की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें हर तरफ़ लगी हुई हैं।

Full Novel

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सत्या के लिए - भाग 1

भाग -1 प्रदीप श्रीवास्तव वह उस बार में रोज़ ही देर शाम को बैठ कर घंटे भर तक व्हिस्की है, जो शहर का एक ठीक-ठाक बार कहा जाता है। जगह ज़्यादा बड़ी होने के कारण शान्ति से देर तक बैठ कर पीने वालों का वह पसंदीदा बार है। वह बाहर से लेकर भीतर तक सिंपलीसिटी इज़ द बेस्ट ब्यूटी के सिद्धांत पर बना लगता है। उसकी सभी दीवारें सुपर व्हाइट कलर की हैं। सभी फ़र्नीचर स्टील के हैं। बार-टेंडर से लेकर सारा स्टाफ़ सफ़ेद रंग की ही ड्रेस में रहता है। शराब से लेकर खाने-पीने की हर चीज़ बड़ी ...और पढ़े

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सत्या के लिए - भाग 2

भाग -2 उसे देखते ही मेरी नींद हिरन हो गई। मुझे लगा कि अब यह बड़ा बवाल करेगी। कोई नहीं कि मुझे पुलिस के हवाले कर दे, कि मैंने उसके नशे में होने का फ़ायदा उठाते हुए, उसके साथ ग़लत काम किया है। इसने ऐसा किया तब तो मैं तुरंत गिरफ़्तार कर लिया जाऊँगा। कई साल के लिए जेल भेज दिया जाऊँगा। मैं एकदम हकबकाया हुआ-सा उसे देखता रहा। उसका चेहरा, आँखें सूजी हुई थीं, लाल हो रही थीं, और बहुत भरी-भरी सी भी लग रही थीं। वह एकटक मेरी आँखों में देख रही थी। मैं उठ कर बैठ ...और पढ़े

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सत्या के लिए - भाग 3

भाग -3 उसके बड़े संदेहास्पद हाव-भाव को देख कर मैं बड़े असमंजस पड़ गई कि यह क्या हो रहा कई बार दरवाज़ा खटखटाने पर जब मैला-कुचैला सलवार, कुर्ता पहने, नंगे पैर एक फूहड़, काली, भद्दी मोटी-सी मुस्लिम औरत ने खोला तो उसे देखकर मैं डर गई। वह अजीब चोर नज़रों से मुझे देखती हुई हर्षित से बोली, ‘अंदर आ बाहर क्यों खड़ा है।’ “वह मोटर-साइकिल पर पीछे बैग को खोल रहा था। जब वह मेरा हाथ पकड़ कर अंदर चलने लगा तो मैं ठिठक गई। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। लेकिन मेरे ठिठकते ही वह मुझे क़रीब-क़रीब ...और पढ़े

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सत्या के लिए - भाग 4 (अंतिम भाग)

भाग -4 “जब होश आया तो मैं एक हॉस्पिटल में थी। मेरे हाथ में वीगो लगा हुआ था, दवाएँ रही थीं। होश आते ही पुलिस वाले आ गए और मेरा पूरा बयान दर्ज किया। मैंने उन्हें विस्तार से बता दिया कि कैसे मुझे धोखे से फँसाया गया, धर्माँतरित किया गया, बंधक बनाकर परिवार के हर पुरुष ने महीनों से मेरे साथ बलात्कार किया। हॉस्पिटल में जाँच के दौरान मेरी प्रेगनेंसी भी कंफ़र्म हो गई, क़रीब तीन महीने की होने वाली थी। मैंने डॉक्टर से तुरंत एबॉर्शन के लिए कहा। डॉक्टर ने कहा, ‘कुछ क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ...और पढ़े

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