द्रोपदीबाई के घर आज विजय कुमार खुद आए। बाहर से ही आवाज लगाई-‘ सरपंच जी हैं?’ वे तब अपनी भैंस की सेवा में थीं,।उसे दूध निकालने के बाद उसके पाड़े को दूध पिला रहीं थीं। वहीं से आवाज दी –‘सेकेटरी साब! बैठो, मैं अभी आई ।‘वे पाड़े को बांध कर पौर में आईं,बोली –‘सेक्रेटरी साब! आज सबेरे-सबेरे एकदम कैसे?’तो विजय कुमार जो पंचायत सेक्रेटरी थे बोले ‘-भाई साब कहां हैं ?उनके साथ आज शहर जाना था, बात तो हुई थी ।‘द्रोपदी बाई-‘वे तो रिश्तेदारी में गए,कल रात को ही उनके साढ़ू मतलब मेरे जीजाजी आ गए सो भोर ईं निकर
गाँव के तिलिस्म भाग -1
द्रोपदीबाई के घर आज विजय कुमार खुद आए। बाहर से ही आवाज लगाई-‘ सरपंच जी हैं?’ वे तब अपनी की सेवा में थीं,।उसे दूध निकालने के बाद उसके पाड़े को दूध पिला रहीं थीं। वहीं से आवाज दी –‘सेकेटरी साब! बैठो, मैं अभी आई ।‘वे पाड़े को बांध कर पौर में आईं,बोली –‘सेक्रेटरी साब! आज सबेरे-सबेरे एकदम कैसे?’तो विजय कुमार जो पंचायत सेक्रेटरी थे बोले ‘-भाई साब कहां हैं ?उनके साथ आज शहर जाना था, बात तो हुई थी ।‘द्रोपदी बाई-‘वे तो रिश्तेदारी में गए,कल रात को ही उनके साढ़ू मतलब मेरे जीजाजी आ गए सो भोर ईं निकर ...और पढ़े
गाँव के तिलिस्म भाग -2
कृष्ण कुमार ने जा कर कम्पनी ज्वाइन कर ली, अभी उसके संभाग के शहर ही में उसका नया जॅाब गया था। दो महीने बाद उसने अपने सर कम्पनी के इंजीनियर साहब से गांव चलने को कहा व एक बरसाती नदी के सर्वे की बात की तो वे सहज ही तैयार हो गए। किराए की कार की कहा तो बोले –’मेरे पास व्हीकल है, हम सब लोग चलेंगे, तुम पेट्रोल डलवा देना।’ कृष्ण प्रसन्न हो गया उसने अपने गांव सूचना करवा दी। इंजीनियर साहब ने शर्त रखी कि गांव का ही ट्रेडीशनल भेाजन हो। फिर भी कृष्ण शहर से भी ...और पढ़े
गाँव के तिलिस्म भाग -3
एक बार महिला एस.डी. एम साहिबा आईं तो उसने उनकी भी विजिट अपने गांव में रखी, महिलाओं की एक भी रखी। सुक्खो स्वयं संचालन कर रही थी, उसकी बेटी व स्वयं सुक्खो ने जिनके प्रार्थना पत्र नहीं थे तैयार किए। मेडम बहुत प्रभावित हुर्इ्रं सामाजिक कार्यों का ही निवेदन किया गया, कोई व्यक्तिगत निवेदन सुक्खो का नहीं था। मीटिंग का सारा कार्य पूर्ण निर्धारित समय पर सुचारू रूप से संचालित था। जबकि अधिकतर जगह सरपंच को ही समझ में नहीं आता था। वे पंचायत सेक्रेटरी पर निर्भर रहते। मेडम उत्सुकता न दबा सकीं पूंछ ही लिया’- कब से सरपंच ...और पढ़े