यूँ तो अभी कृष्ण-पक्ष की समाप्ति में दो दिन बचे हुए थे और चंद्रमा अपनी बहुत ही हल्की छाया में तारों के साथ धीमी-धीमी रोशनी फैलाते हुए आसमान में चहलकदमी कर रहा था लेकिन फिर भी अपने बिस्तर पर लेटे हुए खिड़की से इस दृश्य को निहार रही पायल अपने हृदय में अमावस्या के घोर अँधकार को महसूस करते हुए बहुत बेचैनी से करवट बदल रही थी। पायल की इकलौती बेटी अमारा जो अभी-अभी दस वर्ष की हुई थी, कल अपने पापा के साथ अपने नए विद्यालय जाने वाली थी। अमारा, जो पढ़ने में बहुत होशियार थी उसका चयन सैनिक विद्यालय में हो गया था। चूँकि सैनिक विद्यालय दूसरे शहर में था इसलिए अब अमारा को छात्रावास में ही रहना था। जहाँ एक तरफ पायल अपनी बेटी के इस नए सफ़र के लिए उत्साहित थी, वहीं दूसरी तरफ एक अंजाना सा भय उसे परेशान कर रहा था।
Full Novel
लौट आओ अमारा - भाग 1
यूँ तो अभी कृष्ण-पक्ष की समाप्ति में दो दिन बचे हुए थे और चंद्रमा अपनी बहुत ही हल्की छाया तारों के साथ धीमी-धीमी रोशनी फैलाते हुए आसमान में चहलकदमी कर रहा था लेकिन फिर भी अपने बिस्तर पर लेटे हुए खिड़की से इस दृश्य को निहार रही पायल अपने हृदय में अमावस्या के घोर अँधकार को महसूस करते हुए बहुत बेचैनी से करवट बदल रही थी। पायल की इकलौती बेटी अमारा जो अभी-अभी दस वर्ष की हुई थी, कल अपने पापा के साथ अपने नए विद्यालय जाने वाली थी। अमारा, जो पढ़ने में बहुत होशियार थी उसका चयन सैनिक ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 2
थाना प्रभारी इंस्पेक्टर रंजीत को जब टीटी महोदय ने इस अनोखी गुमशुदगी के विषय में बताया तो एकबारगी उन्हें भरोसा नहीं हुआ कि ऐसा कैसे हो सकता है कि चलती ट्रेन से कोई बच्ची अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही लापता हो जाए, लेकिन टीटी महोदय के लाए हुए बयानों के आधार पर उन्होंने अमारा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली और संजीव को आश्वासन दिया कि जिस जगह अमारा गायब हुई थी वहाँ जाकर वो उसे जरूर तलाश करेंगे। संजीव ने हाथ जोड़ते हुए इंस्पेक्टर रंजीत से कहा "सर, मैं भी आपके साथ अपनी बेटी को ढूँढने चलूँगा।" ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 3
पायल तेज़ी से दौड़ती हुई संजीव के पास पहुँची। उसका हताश-निराश चेहरा देखकर पायल की घबराहट बढ़ती जा रही उसने टीटी महोदय की तरफ आशंका भरी नजरों से देखते हुए उनसे पूछा "सर, आपने मेरे पति को इस तरह क्यों पकड़ रखा है? सर ये बहुत सीधे हैं, आपको कोई गलतफहमी हुई होगी। ये कोई अपराध कर ही नहीं सकते हैं मेरा भरोसा कीजिये।" "मैडम मैंने ये कब कहा कि आपके पति ने कोई अपराध किया है? मैंने तो इन्हें इसलिए पकड़ रखा है ताकि दोबारा आवेश में आकर ये कोई गलत कदम ना उठा लें।" टीटी महोदय की ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 4
इस रुदन में इतना दर्द, इतनी तड़प थी कि संजीव और पायल का दिल भी दर्द से भर उठा। को भूलकर वो दोनों बच्ची की तलाश करने लगे। इस घने जंगल में किसी बच्ची का इस तरह रोना उन्हें किसी अनहोनी का संकेत दे रहा था, लेकिन फिर भी वो बिना घबराए आवाज़ की दिशा में जंगल के अंदर बढ़ते जा रहे थे मानों कोई अदृश्य चुम्बक उन्हें खींच रहा हो। आख़िरकार थोड़ी दूर चलने के बाद ही उन्हें एक घने पेड़ के नीचे लगभग एक साल की रोती हुई बच्ची मिल गई। पायल ने जल्दी से उसे गोद ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 5
छह महीने बीत चले थे लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद भी बच्ची के परिवार का कोई पता नहीं लग ये देखकर आपस में सलाह-मशवरा करके पायल और संजीव ने बच्ची को कानूनन गोद लेने का फैसला किया। जिस दिन वो सारी औपचारिकताएं पूरी करके घर लौटे उन्हें ख्याल आया कि उनकी बेटी को उनके कुलगुरु का आशीर्वाद दिलवाना चाहिए। अभी वो इस विषय में विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। पायल ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने अपने कुलगुरु को देखकर हैरान रह गई। उनके चरणस्पर्श करते हुए पायल ने कहा "गुरुजी, हम ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 6
जब वो दोनों पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर रंजीत से मिले तो इंस्पेक्टर रंजीत ने अफसोस भरे स्वर में कहा पूरी टीम ने बहुत कोशिश की लेकिन हम आपकी बेटी का पता नहीं लगा सके।" संजीव ने इंस्पेक्टर रंजीत को अमारा के अतीत से जुड़ी हुई और कुलगुरु की कही हुई सारी बातें जब बताईं तब इंस्पेक्टर रंजीत भी सकते में आ गए। उनकी बातों पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं थी क्योंकि चलती गाड़ी से अमारा को गायब होते देखने वाले बहुत से चश्मदीद थे। इसलिए उन्होंने आगे कोई सवाल किए बिना पायल और संजीव को लिखित आदेश ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 7
उन परछाइयों ने एक-दूसरे को देखा और उनमें से एक ने कहा "मैं तो वो कहानी नहीं दोहरा पाऊँगी तुम्हारे बाबूजी ही सुनाएंगे।" दूसरी परछाई ने एक नज़र अमारा पर डाली और कहना शुरू किया "ये तब की बात है जब तुम एक साल की थी। हम खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ यहीं पास के गांव में रहते थे। फिर एक दिन अचानक गांव से छोटे बच्चे गायब होने लगे। हम सब दहशत में आ गए थे। हमने पुलिस से भी मदद मांगी लेकिन कोई पता नहीं लगा सका कि बच्चे कैसे गायब हो रहे थे। दो-तीन पुलिसवालों की ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 8
इंस्पेक्टर रंजीत कुलगुरु की चेतावनी अनुसार जंगल की सीमा पर ही रुक गए थे।रात का घुप्प अँधेरा, रह-रहकर आती जंगली जानवरों की भयानक आवाज़ें भी आज पायल और संजीव को डराकर उनके कदम रोकने में नाकाम साबित हो रही थीं।पायल ने कुलगुरु की दी हुई माचिस की तीली बैग से निकाली।बाहर आते ही वो तीली अपने आप जल उठी। पायल और संजीव ने देखा उसकी लौ एक जगह स्थिर थी और उससे पानी की बूँदें रिसकर मानों ज़मीन पर कोई रास्ता बना रही थी।संजीव और पायल समझ गए कि तीली उन्हें रास्ता दिखा रही थी।तीली से रिसती हुई पानी ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - भाग 9
ना वो शैतान की यज्ञवेदी और अमारा को स्पर्श कर सकते थे और ना शैतान उन्हें। सारी स्थिति स्पष्ट के बाद वो दोनों समझ गए कि अब इन्हीं परिस्थितियों में उन्हें अपनी अमारा को बचाना है। कुलगुरु की सलाह भूलकर पायल ने सहसा फिर एक भूल कर दी। उसे लगा कि अगर वो अपनी कलाई से रक्षा-सूत्र खोलकर अमारा पर फेंक देगी तब वो जरूर शैतान के चंगुल से मुक्त हो जाएगी। ये ख्याल आते ही उसने तेज़ी से रक्षा-सूत्र खोला और अमारा की तरफ फेंका लेकिन रक्षा-सूत्र अमारा को स्पर्श नहीं कर पाया। पायल का इशारा समझकर अमारा ...और पढ़े
लौट आओ अमारा - (अंतिम भाग)
शैतान की शक्तियाँ जो दीवार में समाई थी वो अब उन प्रेतों को मिल गई थीं।ये अहसास होते ही होंठो पर मुस्कान आ गई।इस बात से अंजान शैतान ने उन्हें देखते हुए कहा "अच्छा है तुम दोनों भी आ गए। अब अपनी आँखों के सामने अपनी बेटी का सर्वनाश होते हुए देखना।कहा था ना मैंने की मैं इसकी बलि देकर रहूँगा।है हिम्मत तो आओ बचा लो अपनी बेटी को।"शैतान के ये शब्द सुनकर भी उन प्रेतों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अमारा की तरफ देखते हुए शांत भाव से अपनी जगह पर खड़े रहे।संजीव ने गुफा में एक ...और पढ़े