शहर की नामी पॉश कॉलोनी में यूँ तो सुबह के आगमन की सूचना ब्रांडेड ट्रैक-सूट और महँगे जूते पहनकर कानों में इयरपॉड लगाए जॉगिंग पर जाते हुए स्वयं को भद्र दिखाने की कोशिश करते स्त्री-पुरुषों की मिली-जुली आवाज़ें दिया करती थी, लेकिन आज उनका चहल-पहल रात के सन्नाटे को तोड़ता उससे पहले उस सन्नाटे को चीरती हुई पुलिस जीप के सायरन की आवाज़ कॉलोनी के इस छोर से उस छोर तक गूँज उठी। सायरन की आवाज़ कानों में पड़ते ही लगभग हर घर के दरवाजे ये देखने के लिए खुल गए की रातोंरात उनके इस सभ्य समाज में ऐसी क्या घटना हो गई कि पुलिस को इतनी सुबह-सुबह आना पड़ा। दरवाजे की ओट से सहमी हुई आँखों से झाँकते हुए लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने देखा कि पुलिस की गाड़ी उनकी कॉलोनी के सबसे रईस परिवार मिस्टर साहिल गुप्ता के बंगले के आगे जाकर रुक गई।

Full Novel

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शतरंज की बिसात - भाग 1

शहर की नामी पॉश कॉलोनी में यूँ तो सुबह के आगमन की सूचना ब्रांडेड ट्रैक-सूट और महँगे जूते पहनकर में इयरपॉड लगाए जॉगिंग पर जाते हुए स्वयं को भद्र दिखाने की कोशिश करते स्त्री-पुरुषों की मिली-जुली आवाज़ें दिया करती थी, लेकिन आज उनका चहल-पहल रात के सन्नाटे को तोड़ता उससे पहले उस सन्नाटे को चीरती हुई पुलिस जीप के सायरन की आवाज़ कॉलोनी के इस छोर से उस छोर तक गूँज उठी। सायरन की आवाज़ कानों में पड़ते ही लगभग हर घर के दरवाजे ये देखने के लिए खुल गए की रातोंरात उनके इस सभ्य समाज में ऐसी क्या ...और पढ़े

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शतरंज की बिसात - भाग 2

"हम्म फिर क्या हुआ?" "मैंने कई बार कमरे का दरवाजा खटखटाया लेकिन ना दरवाजा खुला और ना किसी तरह आहट सुनाई दी। फिर मैंने उन दोनों के मोबाइल पर फोन किया लेकिन घँटी बजती रही और कोई जवाब नहीं मिला। तब मैंने घबराकर कमरे का दरवाजा तोड़ा और फिर बिस्तर पर उनकी स्थिति देखकर ही समझ गया कि कुछ अनहोनी हो चुकी है। फिर मैंने पुलिस को ख़बर करना ही ठीक समझा।" "ये बिल्कुल ठीक किया तुमने। अच्छा एक बात बताओ इतने बड़े बँगले में कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं है?" "नहीं साहब। दरअसल हमारे साहब को फिजूलखर्ची से बहुत ...और पढ़े

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शतरंज की बिसात - भाग 3

विवेक से बात करने के बाद इंस्पेक्टर अजय ने अब कांस्टेबल राखी को फोन लगाया। "मिसेज अनिका की स्थिति कैसी है?" "वो खतरे से बाहर है सर लेकिन होश अभी तक नहीं आया है।" "डॉक्टर ने क्या बताया?" "डॉक्टर का कहना है कि उनके गले को जोर से दबाने की कोशिश की गई थी जिसकी वजह से उन्हें घुटन हुई और वो बेहोश हो गई। उनके गले पर ऊँगलियों के स्पष्ट निशान हैं सर।" "ओहह। अच्छा हुआ कि संजय ने उनके शरीर से भी ऊँगलियों वगैरह के निशान ले लिए वर्ना तुम्हारी भी नज़र इस निशान पर नहीं गई ...और पढ़े

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शतरंज की बिसात - भाग 4

काफी देर तक आँखें बंद किये रहने के बाद इंस्पेक्टर अजय अपने केबिन से बाहर आए तो उन्होंने देखा ढ़लने लगी थी। कुछ सोचकर उन्होंने एक बार फिर कांस्टेबल विवेक का नंबर डायल किया। "जय हिंद सर।" "जय हिंद। कहाँ हो तुम?" "बस थाने ही आ रहा हूँ सर।" "एक काम करो मिस्टर साहिल के कमरे की जो तस्वीरें तुमने खींची थी उन्हें प्रिंट करवा कर कल सुबह मेरे पास लेकर आओ।" थाने में मौजूद अन्य कांस्टेबल्स को रात की ड्यूटी सौंपकर इंस्पेक्टर अजय अपने घर के लिए निकल गए। अगले दिन सुबह ही सुबह जब वो थाने पहुँचे ...और पढ़े

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शतरंज की बिसात - भाग 5

फिर उन्होंने अपनी कुर्सी से उठते हुए इंस्पेक्टर रघु से कहा "मैं संजय के साथ मिस्टर साहिल के बंगले जा रहा हूँ। तुम मिस्टर साहिल के दफ्तर जाकर निशा के बारे में पूछताछ करो और दफ़्तर के फोन के रिकार्ड्स भी निकलवा लो और हाँ किसी साइबर एक्सपर्ट की मदद से मिस्टर साहिल के ईमेल्स और सोशल मीडिया एकाउंट भी खंगालो। कहीं ना कहीं तो निशा ने उनसे संपर्क किया ही होगा।" "ठीक है सर। मैं अभी जाता हूँ। जय हिंद।" "जय हिंद।" जब तक इंस्पेक्टर अजय साहिल के बंगले पर पहुँचे तब तक संजय भी जानवरों के डॉक्टर ...और पढ़े

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शतरंज की बिसात - भाग 6

"क्या मैं उसका नाम जान सकता हूँ?""अभी नहीं। अच्छा रॉबी की जाँच में कुछ मिला?""नहीं सर। सारे निशान घर लोगों के ही हैं।" संजय की आवाज़ में कुछ निराशा थी।"अच्छा और उस डॉक्टर से पूछो जरा खून की रिपोर्ट लेकर वो कब आ रहा है?""जी सर, अभी पूछता हूँ।"अपने फोन पर डॉक्टर से बात करने के बाद संजय ने कहा "सर बस आधे घण्टे में रिपोर्ट थाने पहुँच जाएगी।""ठीक है तो मैं चलता हूँ। कुछ और महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स भी अभी आने बाकी हैं।""जी सर।"जब इंस्पेक्टर अजय थाने पहुँचे तब साहिल के दफ्तर के फोन रिकार्ड्स के साथ-साथ उसके ईमेल ...और पढ़े

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शतरंज की बिसात - (अंतिम भाग)

"अपने आप को संभालिये मिसेज अनिका। जल्दी ही आपका दोषी सलाखों के पीछे होगा। अब बस मुझे उस रात बात बता दीजिए जब आपके और मिस्टर साहिल के साथ ये हादसा हुआ।" "वो रात मेरी और साहिल की एक साथ उस घर में आखिरी रात थी। हम दोनों को ही शतरंज का बहुत शौक था। डिनर के बाद हम हमेशा शतरंज खेलकर ही सोते थे। उस रात मैंने साहिल के साथ शतरंज खेलने की इच्छा जताई तो उसने लाल बाबू को ड्राइंग रूम में ही शतरंज लाने के लिए कहा। जब हम खेलने बैठे तब पता नहीं क्यों हमारा ...और पढ़े

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