मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अंदर जाने लगा अंदर बहुत अंधेरा था कमरे का सारा सामान बिखरा हुआ था कमरे की चीज अव्यवस्थित ढंग से इधर-उधर बिखरी पड़ी थी सीलन भरी दीवारें चारों तरफ फैले मकड़ी के जाले सब कुछ बहुत डरावना लग रहा था कमरे में एक तरह का सन्नाटा छाया हुआ था अंधेरे कमरे में सन्नाटा कमरे को और अधिक डरावना बना रहा था इस खौफनाक सन्नाटे में मुझे अपने पैरों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी मैं उस अंधेरे कमरे में आगे बढ़ता जा रहा था एकाएक एक चमगादड़ों का झुंड मेरे पास से गुजर मैं घबरा गया मेरी सांसे लोहार की धोकनी की भांति चलने लगी और मेरे शरीर में कपकपि दौड गई मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा फिर कुछ साहस करके आगे बढ़ा मैंने वहां जो देखा उसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह सब मुझे देखना पड़ेगा |

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पिशाच - 1

मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अंदर जाने लगा अंदर बहुत अंधेरा था कमरे का सारा सामान बिखरा हुआ कमरे की चीज अव्यवस्थित ढंग से इधर-उधर बिखरी पड़ी थी सीलन भरी दीवारें चारों तरफ फैले मकड़ी के जाले सब कुछ बहुत डरावना लग रहा था कमरे में एक तरह का सन्नाटा छाया हुआ था अंधेरे कमरे में सन्नाटा कमरे को और अधिक डरावना बना रहा था इस खौफनाक सन्नाटे में मुझे अपने पैरों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी मैं उस अंधेरे कमरे में आगे बढ़ता जा रहा था एकाएक एक चमगादड़ों का झुंड मेरे पास से गुजर ...और पढ़े

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पिशाच - 2

Part 2आगे....उसकी लाल आंखें थी चेहरा भयानक लग रहा था वह भयानक भयानक आवाज में चिल्ला रही थी मुझे वह भयानक आवाज में बोली चले जाओ यहां से क्यों इन लोगों के चक्कर में अपनी मौत को बुलाते हो मैं एक को भी नहीं छोडूंगा सबको मार डालूंगा मैंने डरते हुए कहा:- क्यों... क्यों मार डालोगे सबको क्या दुश्मनी है तुम्हारी सब से और इस लड़की के पीछे क्यों पड़े हो क्या बिगाड़ा है इसने तुम्हारा। पिशाच:- मैं इस लड़की के पीछे पड़ा नहीं मुझे लगाया गया है मुझे इस लड़की के पिता ने लगाया है मैंने चौककर कहा:- ...और पढ़े

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