कमरा छोटा है l एक पलंग, एक कुर्सी, एक तरफ की दीवाल पर बीचो-बीच, दीवाल की अंदर ही शेल्फ बना हुआ है, उस के अंदर कुछ किताबे, घड़ी, कुछ फ्रेम किए हुए फोटोग्राफ, भगवन के कुछ फोटो, सब सही तरीके से जमा कर रखा हुआ है l दुरसी दिवाल पर एक खिड़की है l उस खिड़की से सूरज की रौशनी सीधे कमरे में आती, और दिन चढ़ते चढ़ते कई तरह की आवाज़े खिड़की से कमरे में गूंजती l आज खिड़की बंद है l कमरे के अंदर, बाहर की किसी भी आवाज की भनक तक नही थी l तेजी से घूमता हुआ पंखा-सीलिंग फेन की आवाज अपना अस्तित्व स्थापित किए, खिड़की के पास टंगे कैलंडर के पन्नो को फडफडा रहा है l हल्के गुलाबी रंग वाली कॉटन की साड़ी पहने लड़की, अपने दोनों हाथ के पंजो को एक दुसरे में समेटे पलंग पर बैठी हुई है l सामने कुर्सी पर लड़का बैठा हुआ है l उस अवसर के लिए उचित अवतार धारण कीए हुए है l एक हाथ में Icecream का कप और दुसरे हाथ से चम्मच और मुह का संपर्क बरकरार है l लड़की सिर को झुकाए दाए देख रही है, लड़का ice cream का लुत्फ़ उठाता हुआ, मुस्कुराता हुआ, उसे देखे जा रहा है l Ice cream से लड़के को शायद Ice breaking याद आया, वो खामोश,ठंडे पड़े हुए उस मोहोल में पहल करते हुए बोला, “तो आप की क्या expectations है?” लड़की जैसे इसी मौके की तलाश में थी l
इंस्टालमेंट - 1
इंस्टालमेंट कमरा छोटा है l एक पलंग, एक कुर्सी, एक तरफ की दीवाल पर बीचो-बीच, दीवाल की अंदर ही बना हुआ है, उस के अंदर कुछ किताबे, घड़ी, कुछ फ्रेम किए हुए फोटोग्राफ, भगवन के कुछ फोटो, सब सही तरीके से जमा कर रखा हुआ है l दुरसी दिवाल पर एक खिड़की है l उस खिड़की से सूरज की रौशनी सीधे कमरे में आती, और दिन चढ़ते चढ़ते कई तरह की आवाज़े खिड़की से कमरे में गूंजती l आज खिड़की बंद है l कमरे के अंदर, बाहर की किसी भी आवाज की भनक तक नही थी l तेजी से ...और पढ़े
इंस्टालमेंट - 2
इन्सान की ख्वाइशे कभी कम नहीं होती l ग़ालिब फरमा गए है ना, "बहुत निकले मेरे अरमां फिर भी निकले", वगेरा वगेरा...l तभी तो इन्सान हर किसम का जोर लगाकर सपने या जरुरत पूरी करने का तरीका ढूंडता रहता है l खुद से बन पड़े वह सारी कोशिश करता है l चाहे जेब में फूटी कोडी हो या ना हो, दिमागके परदे पर अगर कार खरीदने की फिल्म चल रही होती है l इन्सान की हर ख्वाइश-जरुरत जिसे पूरा करने में रुपया पैसा लगता है, उसके लिए लोन नामक एक सहूलियत मौजूद है अभी के वक्त में l सोना ...और पढ़े