फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी

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दिल्ली परिवहन निगम की बस में बैठा सत्यम ना जाने अपनी किस चिंता में मग्न था, पहली बार दिल्ली आया था न तो बहुत सारी चीजों के बारे में जानकारी थी नहीं । और साथ में कई अलग प्रकार की चिंता उसे अंदर से खाए जा रहीं थीं । दिल्ली की राहों में वो भयंकर ट्रैफिक, अशांत sa माहौल और खूबसूरती... इन्हीं चीजों में खुद को खोया महसूस कर रहा था । कॉलेज पहुँचने में अभी एक घंटे लगने वाले थे तो दिल्ली की इन खूबसूरत सडकें और सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों को निहारते हुए समय व्यतित कर रहा था ।। हमारे यहाँ तो इतनी महँगी गाड़ियां दिखती कहाँ हैं ? जिसे देखो वही पुरानी सी स्विफ्ट लेकर दिख जाता है, पर यहाँ हर व्यक्ति ऑडी, मर्सिडीज, जैसी गाड़ियों पर सवारी करता है । यहाँ की सडकें मक्खन जैसी हैं, यहाँ की बड़ी बड़ी इमारतें मानो आसमान को छू रहीं हो । इन्हीं ख्यालों में खोया हुआ था सत्यम शायद ये सारी चीजें एकदम नई थी उसके लिए । वास्तव में बिहार के एक छोटे से गांव रामपुर से दिल्ली तक का सफर आसान तो हरगिज़ नहीं था उसके लिए । नई वातावरण सड़कों पर सरपट बहुत तेजी से दौड़ रहे थे लोग और गाडियाँ। खैर अपने गाँव का एकमात्र लड़का था जो घर से दिल्ली विश्वविद्यालय तक का सफर तय कर पाया था । आज पहली बार कॉलेज जा रहा था... डॉक्युमेंट्स वेरिफिकेशन करवाना था और कॉलेज में क्लास वगैरह देखनी थी । सुन रखा था दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज विश्वस्तरीय होते हैं तभी से सपना था उन कॉलेजों में पढ़ने का जो आज पूरा हो चुका था ।

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday, Thursday & Saturday

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फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी - पार्ट 1

दिल्ली परिवहन निगम की बस में बैठा सत्यम ना जाने अपनी किस चिंता में मग्न था, पहली बार दिल्ली था न तो बहुत सारी चीजों के बारे में जानकारी थी नहीं ।और साथ में कई अलग प्रकार की चिंता उसे अंदर से खाए जा रहीं थीं । दिल्ली की राहों में वो भयंकर ट्रैफिक, अशांत sa माहौल और खूबसूरती... इन्हीं चीजों में खुद को खोया महसूस कर रहा था । कॉलेज पहुँचने में अभी एक घंटे लगने वाले थे तो दिल्ली की इन खूबसूरत सडकें और सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों को निहारते हुए समय व्यतित कर रहा था ...और पढ़े

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फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी - पार्ट 2

आई वांट टू कम्प्लीट माई डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन.... सो व्हेयर इज़ वेरिफिकेशन काउन्टर..... डू यू नो ?? जी सामने चली वहाँ से राइट ले लीजियेगा, सामने से लेफ्ट मुड़ जाइएगा वहीं सामने डॉक्युमेंट्स वेरिफिकेशन काउन्टर है । सत्यम ने जवाब दिया । इफ पॉसिबल; कैन यू कम विद मी ? बिकॉज आई डोंट अंडरस्टैंड व्हाट यू आर टॉकिंग ? उस लड़की ने कहा....... ओके फाइन..... आई एम कमिंग विद यू.. सत्यम ने बोला और दोनों सामने की ओर चलने लगे । थोड़े दूर आगे जाने पर सत्यम ने उस लड़की ने पूछा; बाई दी वे, मैं आपका नाम जान सकता ...और पढ़े

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फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी - पार्ट 3

हाँ तो बताओ; व्हाट वुड यू लाइक टू ट्राई? रिया ने मंद स्वरों में सत्यम से पूछा । अरे भी मंगा लो, क्या फर्क़ पड़ता है । वैसे भी ये पहली बार है मेरा की कॉलेज की कैंटीन में हूँ। तो विशेष कुछ पता नहीं, तुमको जो अच्छा लगे वो ऑर्डर कर दो । सत्यम ने जवाब देते हुए कहा । ओये सत्यम तू दिल्ली से नहीं है ना? रिया ने पूछा । नहीं! मैं दिल्ली से नहीं हूँ। और मैं दिल्ली पहली बार आया हूँ; सत्यम ने कहा । हाँ तो ठीक है अभी ना तू दिल्ली का ...और पढ़े

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फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी - पार्ट 4

रिया अपने कार के पास कार में बैठने लगी। सत्यम भी ऑटो लेने के लिए सड़क की ओर चलने । तभी पीछे से आवाज़ आई । "ओये सुन" ये रिया की आवाज़ थी । सत्यम ने पीछे मुड़कर देखा और बोला: हाँ बोलो। यार पहली बार मिले इतने अच्छे दे बात किया अब अगले चार सालों तक साथ पढ़ना है तो एटलिस्ट बाय तो बोल दे । रिया ने कहा । अरे हाँ यार मैं ये तो भूल ही गया, अच्छा चलो बाय। फिर मिलते हैं कॉलेज में सत्यम ने कहा ।। और चलने के लिए पिछे की ओर ...और पढ़े

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फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी - पार्ट 5

और बता क्या हो रहा है? अगले ही क्षण रिया का ये मैसेज स्क्रीन पर पॉपअप हुआ । उसके में सत्यम ने मैसेज किया- अरे कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ सोच रहा था कॉलेज और आगे की पढ़ाई के बारे में । अब चार साल काटने हैं ना कॉलेज में । हाँ ये तो है अब डेस्टिनी में हंसराज था तो आ गए, तू टेंशन मत ले, बहुत मज़ा आएगा। और रही बात चार साल की, तो वो भी देखते ही देखते गुजर जाएगा । खैर अभी तो शुरुआत हुई है । कॉलेज लाइफ की । रिया का ...और पढ़े

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फ्रैंड जोन - प्यार की खट्टी-मीठी कहानी - पार्ट 6

हफ्ते बीतने में देर नहीं लगी, सुबह-सुबह सत्यम उठा, नहा-धोकर तैयार हुआ, नए कपड़े पहने, नई-नई पर्फ्यूम लगाई, आज से जो मिलना था पूरे एक सप्ताह के बाद । घर में मम्मी सोच रही थी कि आज कोई त्यौहार तो नहीं कि सुबह-सुबह इतना तैयार होकर के जा रहा है । तो मम्मी ने चुटीली अंदाज में पूछ लिया क्या साहबजादे मेरे लिए बहू लाने जा रहा है क्या इतना तैयार होकर ? उस समय देखने लायक था सत्यम का चेहरा; बेचारा शर्माता हुआ बोला- अरे मम्मी बस कॉलेज जा रहा हूँ। पहला दिन है ना इसीलिए इतना तैयार ...और पढ़े

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