भुमिका :- उपन्यास में वर्णिन चरित, घटना, स्थान पूरी तरह काल्पनिक हैं। चरित्र का जीवित या मृत व्यक्ति से जुड़ाव, घटनाओ का सत्य प्रतीत, होना स्थानों का यर्थाथवादी स्थान लगना केवल संयोग मात्र है। लेखक का उददेश्य उपन्यास के जरिए किसी की व्यक्तितगत जिंदगी अथवा privacy को हानि पहुंचाना नहीं है। लेखक का एकमात्र उद्देशय आपने स्थान की पाठकों को पहचान कराना व मिस. सुदेश के माध्यम से जिंदगी के विभिन्न पक्षों को दर्शाना मात्र है। लेकख अपने इसे उपन्यास के जरिए पाठकों चेतना मे नैतिक उत्कृष पैदा करना चाहता है। पाठक से संयम से बिना ज्यादा यर्थाथ की तहकीकात किए पढ़े जाने की उम्मीद है।

Full Novel

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SUDESH - 1

भुमिका :- उपन्यास में वर्णिन चरित, घटना, स्थान पूरी तरह काल्पनिक हैं। चरित्र का जीवित या मृत व्यक्ति से घटनाओ का सत्य प्रतीत, होना स्थानों का यर्थाथवादी स्थान लगना केवल संयोग मात्र है। लेखक का उददेश्य उपन्यास के जरिए किसी की व्यक्तितगत जिंदगी अथवा privacy को हानि पहुंचाना नहीं है। लेखक का एकमात्र उद्देशय आपने स्थान की पाठकों को पहचान कराना व मिस. सुदेश के माध्यम से जिंदगी के विभिन्न पक्षों को दर्शाना मात्र है। लेकख अपने इसे उपन्यास के जरिए पाठकों चेतना मे नैतिक उत्कृष पैदा करना चाहता है। पाठक से संयम से बिना ज्यादा यर्थाथ की तहकीकात ...और पढ़े

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SUDESH - 2

सुदेश - 2 सुदेश के घर से वही 50 मीटर चलकर दोनो फाटक पार करके करीब 200 मीटर चलने left side मे एक मोड आता है जहां से आदर्श कॉलोनी शुरू होती हैं। इसी कॉलोनी मे एक युवक रहता है मनीष। मनीष 12 वी कक्षा मे है व अदिति, समीर, टप्पू के ही स्कूल में पढ़ता है। सुदेश भी इसी DPS school में अध्यापिका है। सुदेश ने अभी हाल ही मे स्कूल Join किया है। होली का त्योहार बस घंटों दूर है। समीर पूरी ताक मे है कि बस इस होली अपनी बात सुदेश को कहदे। टप्पू के रसायन ...और पढ़े

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SUDESH - 3

समीर को थोड़ी बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी , इसलिए नहीं कि उसने गलत किया बल्कि इसलिए कि फॅस गया और अब सुदेश उसके इरादे भाँप चुकी थी | स्कूल की छुट्टियाँ ख़त्म होने वाली थी | सब बच्चे स्कूल लौटने की तैयारियो मे थे | सुदेश भी बच्चों का आगे का शे᠎ड्‌यू्‌ल तय कर रही थी | इधर स्कूल मे वेश्यावृति पर वाद - विवाद होने वाला था | अदिति ऐसे प्रसंगो मे अवसर भाग लिया करती थी | आखीरकार प्रतियोगिता का दिन आया | मिस अदिति के विपक्ष मे खुद समीर थे जो स्त्रियों को केवल ...और पढ़े

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SUDESH - 4

सुदेश --4' हाँ पापा, आज मैथ का टेस्ट है, ' ट्यूशन से आने में थोड़ा लेट हो जाएगा, वो देर, शाम तक चलेगा न। मैं आते वक्त कुछ खाने को भी लेते आऊंगी, अदिति ने राजेश को शांत करते हुए कहा जो आज कुछ चिंतित दिखाई पड़ रहा था। राजेश को स्कूल स्पीच की कोई जानकारी न थीं। अदिति जैसे ही ट्यूशन के लिए निकली, उसे एक ब्लू शर्ट पहने एक लड़का उसका पीछा करते दिखाई दिया। वो पहचान गई थी। कहने को अदिति सिर्फ टप्पू की प्रेमिका थी, लेकिन उसकी बड़े-बड़े गुंडों से बड़ी पहचान थी। इसकी वजह ...और पढ़े

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SUDESH - 5

'अदिति, आज गोलगप्पे खाते हैं, चलो न'। 'अरे नहीं,नहीं, पुष्पा, कल मेरे पड़ोस में शाम को शादी है। अब वही junk food को हाथ लगाऊंगी, आज रहने देते हैं, वैसे भी मुझे अपना 0 figure maintain रखना है।'शादी का समारोह एकदम सजा-धजा हुआ है। सामने ही गली में दूल्हा-दुल्हन के लिए स्टेज/मंच लगा है। उसके सामने ही ये बड़े-बड़े खाने की दुकान मौजूद है। पारंपरिक मिष्ठान्नों से लेकर special Chinese menu तक मौजूद है। शादी में समुंदर व रोहित भी मौजूद है, व आज कुछ खास होने वाला है।'अरे रोहित, तुम्हें कोई जमीन मिली कि नहीं, मैंने जो एक ...और पढ़े

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SUDESH - 6

सुदेश - मनीष के Birthday वाले प्रसंग को देख अब अदिति बहुत ही असहज महसूस कर रही थी। उसका भी आजकल यौन इच्छाओं मे बंधा रहता था। उसका मन टप्पू के साथ यौन संबंध बनाने में बिल्कुल न करता था।, क्योंकि टप्पू से उसे पता नहीं किस बजे से लेकिन नफरत सी हो गई थी। उसे मनीष बड़ा अच्छा लगने लगा था। मनीष के व्यक्तित्व में वो बंधती जा रही थी। हालांकि उसके मन में कभी-कभी समीर से भी अपनी यौन इच्छा जाहिर करने की इच्छा हुई, लेकिन समीर को तो वो पहले पिटवा चुकी थी, तो अब अपनी ...और पढ़े

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SUDESH - 7

सुदेश की उम्र शादी वाली होती जा रही थी|पवन को बेटी की शादी की चिंता ही तो सता रही क्योंकि वो बीमार रहने लगा था | ना कुछ खाता न पीता था | सारे दिन एकाएक आसमान को निहारते रहता था | इधर समीर के पापा अपने बेटे के वियोग मे निशब्द पड़े रहते थे | दोनों की अपनी मायुसी का अपना -अपना कारण था | सुदेश आजकल बड़ी दुखी सी रहने लगी थी | समीर इतनी निर्दयी हो सकता है, वह ये अबतक सहन न कर पा रही थी | इधर अदिति व टप्पू का breakup हो गया ...और पढ़े

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