सर्दियों का पूरा मौसम नसरुद्दीन ने अपने बगीचे की देखरेख में बिताया. वसंत आते ही हर तरफ मनमोहक फूलों ने अपनी छटा बिखेरी. बेहतरीन गुलाबों और दूसरे शानदार फूलों के बीच नसरुद्दीन को कुछ जंगली फूल भी झांकते दिख गए. नसरुद्दीन ने उन फूलों को उखाड़कर फेंक दिया. कुछ दिनों के भीतर वे जंगली फूल और खरपतवार फिर से उग आये. नसरुद्दीन ने सोचा क्यों न उन्हें खरपतवार दूर करनेवाली दवा का छिडकाव करके नष्ट कर दिया जाए. लेकिन किसी जानकार ने नसरुद्दीन को बताया कि ऐसी दवाएं अच्छे फूलों को भी कुछ हद तक नुकसान पहुंचाएंगी.
Full Novel
मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से - 1
मुल्ला नसरुद्दीन भाग - 1 जंगली फूल सर्दियों का पूरा मौसम नसरुद्दीन ने अपने बगीचे की देखरेख में बिताया. आते ही हर तरफ मनमोहक फूलों ने अपनी छटा बिखेरी. बेहतरीन गुलाबों और दूसरे शानदार फूलों के बीच नसरुद्दीन को कुछ जंगली फूल भी झांकते दिख गए. नसरुद्दीन ने उन फूलों को उखाड़कर फेंक दिया. कुछ दिनों के भीतर वे जंगली फूल और खरपतवार फिर से उग आये. नसरुद्दीन ने सोचा क्यों न उन्हें खरपतवार दूर करनेवाली दवा का छिडकाव करके नष्ट कर दिया जाए. लेकिन किसी जानकार ने नसरुद्दीन को बताया कि ऐसी दवाएं अच्छे फूलों को भी कुछ ...और पढ़े
मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से - 2
भाग - 2 मुल्ला नसरुद्दीन की दो बीवियाँ मुल्ला नसरुद्दीन की दो बीवियाँ थीं जो अक्सर उससे पूछा करती कि वह उन दोनों में से किसे ज्यादा चाहता है. मुल्ला हमेशा कहता — ”मैं तुम दोनों को एक समान चाहता हूँ“ — लेकिन वे इसपर यकीन नहीं करतीं और बराबर उससे पूछती रहतीं — ”हम दोनों में से तुम किसे ज्यादा चाहते हो?“ इस सबसे मुल्ला हलाकान हो गया. एक दिन उसने अपनी प्रत्येक बीवी को एकांत में एक—एक नीला मोती दे दिया और उनसे कहा कि वे इस मोती के बारे में दूसरी बीवी को हरगिज न बताएं. ...और पढ़े
मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से - 3
भाग - 3 मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से मुल्ला अपने शागिदोर्ं के साथ एक रात अपने घर आ था कि उसने देखा एक घर के सामने कुछ चोर खड़े हैं और ताला तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. मुल्ला को लगा कि ऐसे मौके पर कुछ कहना खतरे से खाली न होगा इसलिए वह चुपचाप चलता रहा. मुल्ल्ला के शागिदोर्ं ने भी यह नजारा देखा और उनमें से एक मुल्ला से पूछ बैठा — ”वे लोग वहां दरवाजे के सामने क्या कर रहे हैं? ”श्श्श३“ — मुल्ला ने कहा — ”वे सितार बजा रहे हैं.“ ”लेकिन मुझे तो ...और पढ़े
मुल्ला नसरुद्दीन के चंद छोटे किस्से - 4 - अंतिम भाग
भाग - 4 मुल्ला नसरुद्दीन और गरीब का झोला एक दिन मुल्ला कहीं जा रहा था कि उसने सड़क एक दुखी आदमी को देखा जो ऊपरवाले को अपने खोटे नसीब के लिए कोस रहा था. मुल्ला ने उसके करीब जाकर उससे पूछा — ”क्यों भाई, इतने दुखी क्यों हो?“ वह आदमी मुल्ला को अपना फटा—पुराना झोला दिखाते हुए बोला — ”इस द्नुनिया में मेरे पास इतना कुछ भी नहीं है जो मेरे इस फटे—पुराने झोले में समा जाये.“ ”बहुत बुरी बात है“ — मुल्ला बोला और उस आदमी के हाथ से झोला झपटकर सरपट भाग लिया. अपना एकमात्र माल—असबाब ...और पढ़े