इस कहानी के पहले सीजन में आपने पढ़ा कि सुशीला एक सोलह वर्ष की गरीब मजदूर की बेटी थी। उसकी माँ एक बिल्डिंग पर काम करते समय, गिर कर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे। माँ के निधन के बाद एक दिन सुशीला ने जिस बिल्डर के लिए उसकी माँ काम कर रही थी उसे अपनी माँ की जगह काम पर रख लेने के लिए मनाया। बिल्डर ने उसकी दर्द भरी बातें सुनकर उसे काम पर रख लिया। शांता ताई सुशीला की पड़ोसन थी। एक बार शांता ताई कुछ दिनों के लिए अपनी बेटी विमला की ससुराल गई थी। जब वह लगभग दस बारह दिन में वापस आईं तो उन्होंने महसूस किया कि सुशीला अब उदास रहने लगी है। उन्होंने सुशीला से उदासी का कारण पूछा तो सुशीला ने कहा ताई माँ की याद आती है। लेकिन कुछ महीनों में ही सुशीला के शरीर में आ रहे बदलाव से शांता ताई को समझ में आ गया कि उसकी उदासी का कारण क्या है। उन्होंने सुशीला से पूछा बिटिया कौन है वह, बता दे तो तेरा ब्याह उसके साथ करा दूंगी।

Full Novel

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 1

इस कहानी के पहले सीजन में आपने पढ़ा कि सुशीला एक सोलह वर्ष की गरीब मजदूर की बेटी थी। माँ एक बिल्डिंग पर काम करते समय, गिर कर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे। माँ के निधन के बाद एक दिन सुशीला ने जिस बिल्डर के लिए उसकी माँ काम कर रही थी उसे अपनी माँ की जगह काम पर रख लेने के लिए मनाया। बिल्डर ने उसकी दर्द भरी बातें सुनकर उसे काम पर रख लिया। शांता ताई सुशीला की पड़ोसन थी। एक बार शांता ताई कुछ दिनों के लिए अपनी बेटी विमला ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 2

पूजा के समाप्त होते ही प्रसाद बाँटने की बारी आई तब प्रसाद लेने के लिए वही बच्चा फिर दौड़कर आया। इस बार करुणा का मन नहीं माना और उन्होंने उस बच्चे को पास बुलाकर उससे पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” “राजा…,” इतना ही कह कर वह बच्चा प्रसाद हाथों में लिए वहाँ से भाग गया और करुणा की नज़रों से ओझल हो गया। भूमि पूजन समाप्त हो गया। सभी लोग अपने-अपने घर चले गए। कुछ ही दिनों में वह आलीशान ऑफिस जिसकी रूप रेखा पहले ही तैयार हो चुकी थी, अपने अस्तित्व में आ गया। आदर्श के ऑफिस के ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 3

राजा के मुँह से यह बात सुनते ही श्यामा के मन में रोपित हुआ बीज अंकुरित हो गया। उसके के अंदर की शक़ की सुई अपने पति आदर्श की तरफ़ घूम गई। श्यामा ने इधर-उधर देखा कि किसी का ध्यान तो नहीं है उसकी तरफ़। लेकिन सब अपने-अपने दोस्तों के साथ बात कर रहे थे। श्यामा ने पूछा, “कहाँ रहते हो?” “वह सामने वाली खोली में।” “क्या करते हो?” राजा ने थोड़ा हैरान होते हुए जवाब दिया, “जी कॉलेज जाता हूँ।” वह सोच रहा था आख़िर मैडम उसके बारे में इतना सब क्यों पूछ रही हैं? क्या जानना चाहती ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 4

करुणा की बातें सुनकर श्यामा ने कहा, “माँ परंतु मैं तो पढ़ी लिखी हूँ। अपने पैरों पर खड़ी हूँ। क्या करूं? आदर्श ने केवल मुझे ही नहीं तीन लोगों को धोखा दिया है। उस गरीब मज़दूर की इज़्जत छीनी, मेरा स्वाभिमान छीना और उस बच्चे से पिता का नाम छीना। इसके अलावा मेरे परिवार की खुशियाँ भी छीनी। मुझे समझ नहीं आ रहा है माँ, मैं किस रास्ते पर जाऊँ। एक तरफ़ कुआं है तो दूसरी तरफ़ खाई।” “माँ मैं उसे इतना प्यार करती हूँ कि उसे छोड़कर मैं भी कभी ख़ुश नहीं रह पाऊंगी। मैं ऐसे दोराहे पर ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 5

श्यामा के मुँह से यह सुनकर सुशीला थोड़ा हिचकिचाई लेकिन फिर संभल कर बोली, “मैडम आप क्या पूछना चाहती मैं जानती हूँ? जाने दो ना मैडम, मेरा जीवन तो बिगड़ गया पर आपका सुधरा हुआ है उसे वैसे ही रहने दो। क्यों बिगाड़ना चाहती हो?” “यह बताओ सुशीला कि तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ वह जबरदस्ती था या तुम्हारी मर्जी के साथ?” “मैडम मैं तो सोलह साल की अल्हड़ थी, माँ बाप मर चुके थे। माँ ने तो काम के दौरान ही दम तोड़ा था। मैं माँ के मरने के बाद मेरी माँ के बदले का काम मांगने ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 6

१०-१२ वर्ष पहले उसकी माँ भी मुझसे यही पूछने आई थीं, यह सुनते ही श्यामा चौंक गई। उसके मुँह निकल ही गया, “यह तुम क्या कह रही हो?” “जी हाँ मैडम, मैं बिल्कुल सच कह रही हूँ। मैंने जैसे आज आपको सब कुछ बताया है वैसे ही माँजी को भी सब बताया था।” “फिर…?” “फिर उन्होंने मेरे सर पर हाथ फिराया और कहा, बेटा तुम चाहो तो मैं तुम्हें पैसे देकर तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। इसके अलावा मैं और कुछ नहीं कर पाऊंगी, मुझे माफ़ कर देना। मेरा बसा बसाया परिवार है, डर लगता है कहीं टूट ना ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - भाग 7

सुशीला ने दूर से ही श्यामा की कार देख ली और वह ख़ुद ही चल कर उसके पास आ “क्या हुआ मैडम आप वापस…?” “सुशीला अंदर कार में आकर बैठो तब मेरी बात अधूरी रह गई थी उसे ही पूरा करने आई हूँ। मैं जो भी बोलूं बहुत ध्यान से सुनना और सोच समझ कर जवाब देना।” “बोलिये ना मैडम क्या बात है?” “सुशीला यदि तुम चाहो तो मैं तुम्हें वह सब कुछ दिला सकती हूँ जिसकी तुम हक़दार हो। बोलो ब्याह करना चाहोगी उसके साथ।” “यह क्या कह रही हैं मैडम जी आप? जिस इंसान से मैं नफ़रत ...और पढ़े

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आख़िर वह कौन था - सीजन 2 - अंतिम भाग

आदर्श ने हकलाते हुए कहा, “गुनहगार… यह तुम क्या कह रही हो श्यामा?” “ठीक ही तो कह रही हूँ अब तक तो मैं अंजान थी लेकिन अब सब जान गई हूँ। मैंने कभी अपने पेशे में बेईमानी नहीं की। ना कभी पैसे के पीछे भागी। तुम पैसा कमा रहे थे मैंने इज़्ज़त कमाई। बच्चों को बहुत ही अच्छे संस्कार दिए। तुम्हारा भी इस शहर के बड़े बिल्डर्स में नाम था, इज़्ज़त थी, दौलत थी, शौहरत थी और मैं थी आदर्श। फिर क्यों तुमने…,” कहते हुए श्यामा रो पड़ी। “तुमने मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुँचाई है आदर्श। तुम मुझसे मेरी ...और पढ़े

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