पता नहीं किसे प्यार कब कहाँ किस से और कैसे हो जाता है . यह पता तब चलता है जब प्यार जो जाता है , जिस से होता है उसकी हर चीज , हर अदा अच्छी लगने लगती है . शायद ऐसा ही हुआ होगा मधु जगूनाथ के साथ उस दिन . उन दिनों मधु मॉरीशस के एक होटल में वेट्रेस थी . वह भारतीय मूल की मॉरीशस नागरिक थी . उसे ठीक से याद भी नहीं कि उसका मॉरीशस आना कब हुआ पर पापा से सुना था कि दादाजी के समय ही वे लोग बचपन में यहाँ आ गए थे . मधु भारत के बारे में अक्सर सोचा करती थी . वहां के महल , किले और शादियां आदि टीवी या सिनेमा में देख कर वह अपनी आँखों से देखना चाहती थी . मधु पोर्ट लुइस में एक होटल में काम करती थी .
Full Novel
तुम न जाने किस जहाँ में खो गए - 1
भाग - 1 कहानी - तुम न जाने किस जहाँ में खो गए पता नहीं किसे प्यार कब किस से और कैसे हो जाता है . यह पता तब चलता है जब प्यार जो जाता है , जिस से होता है उसकी हर चीज , हर अदा अच्छी लगने लगती है . शायद ऐसा ही हुआ होगा मधु जगूनाथ के साथ उस दिन . उन दिनों मधु मॉरीशस के एक होटल में वेट्रेस थी . वह भारतीय मूल की मॉरीशस नागरिक थी . उसे ठीक से याद भी नहीं कि उसका मॉरीशस ...और पढ़े
तुम न जाने किस जहाँ में खो गए - 2
भाग - 2 कहानी - तुम न जाने किस जहाँ में खो गए - 2 अगले दिन बाद जब वह ड्यूटी पर गयी तब तक मधुसूदन सपरिवार चेक आउट कर जा चुका था . वे मधु के नाम एक लिफाफा छोड़ गए थे जिसमें 200 मॉरीशस रूपये और एक चिठ्ठी थी . चिठ्ठी में कल रात की घटना के लिए सॉरी लिखा था और अगले वर्ष फिर मिलने की आशा जताई थी . मधु ने लेटर पैड पर नाम , मधुसूदन , और फोन नम्बर देखा . उसने तुरंत उस फोन नंबर पर ...और पढ़े
तुम न जाने किस जहाँ में खो गए - 3 - अंतिम भाग
अंतिम भाग - 3 कहानी - तुम न जाने किस जहाँ में खो गए - 3 मधुसूदन के साथ मधु के घर गया . उसे देख कर मधु बहुत आश्चर्यचकित हुई और उस से ज्यादा खुश भी . मोंटू को उसने प्यार से अपनी गोद में बिठाया फिर पूछा “ सर , इतने दिनों के बाद आप अचानक यहाँ ? “ “ हाँ , इस बीच मोंटू ने अपनी माँ को खो दिया . काफी दिनों तक हमलोग अपसेट रहे . “ “ वैरी सॉरी . वैसे शिमला से आये आपके एक फ्रेंड ...और पढ़े