1 भरोसा यानि विश्वास! विश्वास रिश्तों को जोडती हुई वो कडी है जो रिश्तों में मजबूती बनाए रखती है। अगर रिश्तों में भरोसा न रहे तो विश्वास नाम की ये कडी तूटने लगती है और रिश्तों में दरारे पड़ने लगती है, रिश्तों की नींव हिलने लगती है और रिश्ते भावनाहीन बनकर रह जाते हैं और फिर तूट जाते हैं। चित्रा और तुषार को अपने नए घर में आए हुए अभी एक ही महिना हुआ था, पर ये एक महिनेमें उन्होंने अपने पड़ोस में अकेले रहनेवाली गौरी मौसी से बड़े ही गहरे संबंध बना लिए थे। गौरी मौसी की उम्र लगभग

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भरोसा - 1

1 भरोसा यानि विश्वास! विश्वास रिश्तों को जोडती हुई वो कडी है जो रिश्तों में मजबूती बनाए रखती है। रिश्तों में भरोसा न रहे तो विश्वास नाम की ये कडी तूटने लगती है और रिश्तों में दरारे पड़ने लगती है, रिश्तों की नींव हिलने लगती है और रिश्ते भावनाहीन बनकर रह जाते हैं और फिर तूट जाते हैं। चित्रा और तुषार को अपने नए घर में आए हुए अभी एक ही महिना हुआ था, पर ये एक महिनेमें उन्होंने अपने पड़ोस में अकेले रहनेवाली गौरी मौसी से बड़े ही गहरे संबंध बना लिए थे। गौरी मौसी की उम्र लगभग ...और पढ़े

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भरोसा - 2

2 दूसरे दिन सुबह तुषार और चित्रा दोनों ही गौरी मौसी के पास आए और उन्हें अपना हार लौटाते कहा, "मौसी आपने हमें इतना अपना माना इसके लिए हम तहे दिल से आप का आभार मानते हैं।" "इसमें आभार माननेवाली कौन - सी बात है, आप लोग मेरे अपने ही तो है, मैंने एक दिन के लिए उसे पहने के लिए दे दिया तो कौन - सी बड़ी बात हो गई, अगर मेरी अपनी बहू होती तो," इतना बोलकर गौरी मौसी अटक गई। आगे कुछ बोल नहीं पाई। तुषार और चित्रा उनके मन के भाव भांप गए और इसलिए ...और पढ़े

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भरोसा - 3

3 दूसरे दिन गौरी मौसी ने चित्रा की बहुत ही राह देखी पर वो आई नहीं, मौसी उसके घर गई तो देखा कि दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। तीसरा दिन, चौथा दिन, पांचवा दिन, ऐसे पूरे पंद्रह दिन बीत गए पर चित्रा आई नहीं थी और उसका कोई अता - पता भी नहीं था। गौरी मौसी को अब चिंता हो रही थी। उनको भैरवी की कही हुई बात याद आई कि किसी पर भी भरोसा नहीं कर लेना चाहिए! भैरवी की बात न मानने का उन्हें अब बहुत ही पछतावा हो रहा था। पूरा एक महीना बीत गया ...और पढ़े

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भरोसा - 4

4 पुलिस बार - बार तुषार को यही सवाल पूछ रही थी कि, "तुमने मौसी को क्यों मारा?" और बार - बार उनको यही जवाब देता रहता था कि, "मैंने मौसी को नहीं मारा है।" "क्या ये बात सच है कि तुम और तुम्हारी बीवी मौसी के सारे ज़ेवर ले कर यहाँ से पलायन हो गए थे?" "हाँ, ये बात सच है कि मौसी ने अपने सारे ज़ेवर चित्रा को पहनने के लिए दिए थे पर उस गहनों की चोरी कर के भागने का हमारा कोई इरादा नहीं था।" "तो तुम दोनों अचानक ऐसे गायब कैसे हो गए?" "हम ...और पढ़े

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भरोसा - 5 - अंतिम भाग

5 (अंतिम भाग) करन प्रश्नार्थभरी नज़रों से इन्सपेक्टर के सामने देखते हुए उन्हें जवाब दे रहा था। वो इस से जवाब दे रहा था कि पुलिस को ऐसा लगे कि जैसे वो उन्हें पूरी तरह से सहकार दे रहा हो! करन से सारी पूछताछ करने के बाद इन्सपेक्टर ने करन को कहा, "हम आपको अपनी माँ पर घातकी हुमला करने व उनके किंमती ज़ेवर चुराने के जुर्म में गिरफ्तार करते है।" यह सुनकर करन एकदम से चौंक गया। "क्या? वोट रबिश!" करन ने चिल्लाकर कहा। "अब , आप हमें सीधी तरह से सब सच-सच बता रहे हैं कि हम ...और पढ़े

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