" फ़सानो में सुना है सिर्फ मोहब्बत के खुशनुमा किस्सें....असलियत में मोहब्बत कभी खुशी नही दिया करती बल्की ताउम्र का दर्द दे जाती है सिर्फ और सिर्फ दर्द" आहान अपने हि खयालों में खोया हुआ था । आँखो में नमी थी । अपने बिखरे हुए रिश्ते को समेटते समटते आज ओ खुद बिखर गया था । सवाल हजारो थे लेकिन जवाब नही । फोन के आवाज से वो अपने खयालों से बाहर आ जाता है । नव्या:- भाई.... कहाँ हो आप ???.... आहान:- रास्तें में हि हुँ। कुछ देर में पहुच जाऊँगा । क्यों क्या हुआ?... नव्या :- वो भाभी

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हमदर्द - 1

" फ़सानो में सुना है सिर्फ मोहब्बत के खुशनुमा किस्सें....असलियत में मोहब्बत कभी खुशी नही दिया करती बल्की ताउम्र दर्द दे जाती है सिर्फ और सिर्फ दर्द" आहान अपने हि खयालों में खोया हुआ था । आँखो में नमी थी । अपने बिखरे हुए रिश्ते को समेटते समटते आज ओ खुद बिखर गया था । सवाल हजारो थे लेकिन जवाब नही । फोन के आवाज से वो अपने खयालों से बाहर आ जाता है । नव्या:- भाई.... कहाँ हो आप ???.... आहान:- रास्तें में हि हुँ। कुछ देर में पहुच जाऊँगा । क्यों क्या हुआ?... नव्या :- वो भाभी ...और पढ़े

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हमदर्द - 2

उनके शादी को चार - पाच दिन हुए थे । मेहेर और आहान की ठिक से बात नही हुई अबतक, मेहेर कुछ बोलने की कोशीश करती मगर आहान उसे अनदेखा करके चला जाता था । ...और पढ़े

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हमदर्द - 3

आहान डोअर बेल बजानेसे पेहले ही मेहेर आकर दरवाजा खोल देती है। मेहेर को ऐसे सामने देख कर वो चौक जाता है। जैसे ही आहान अंदर आता है वो दरवाजा बंद कर के आहान को टॉवल दे ही रही थी के वो उसके उपर गिरने लगता है। उसे ठिक से खडे होने भी नही आ रहा था । " आहान आपने शराब पी है " .... मेहेर " हा... तो फिर तुमसे मतलब... अपना काम करोसमजी "... आहान आहान लडखडाकर गिर जाता है वैसे मेहेर उसे साहारा देते हुए रुम में ले जाती है । वो नशे के हाल ...और पढ़े

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