राजेश खन्ना। या कहे सुपरस्टार राजेश खन्ना। इस शक्सियत के कई नाम है। लेकिन इस शक्सीयत के पीछे की जीती जागती सच्चाई बड़ी ही दिलचस्प, फिल्मी और उतार चढ़ाव वाली है। कहते की दुनिया में वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा कभी किसीको न कुछ मिला है, और ना ही कभी किसी को कुछ मिलेगा। लेकिन हिंदी फिल्म इतिहास में एक ऐसा भी दौर आया था जब कमियाबी और वक्त इस शक्सियत की गुलाम बन चुकी थी। जिसे इस शक्सियत से जुड़े हर व्यक्ति ने करीब से देखा है। "राजेश खन्ना" ये नाम, केवल कमियाबी का दूसरा नाम ही नही बल्कि कामियाबी का एक प्रचंड सैलाब था, जिसके केवल छूने से भी कामियाबी कदम चूम लेती थी।
KAKA - THE CHARISMA OF A SUPERSTAR RAJESH KHANNA - 1
CHAPTER Iमिट चुका है वजूद, फिर भी कुछ अरमान अभी है बाकी।आप सबके दिलो में, मेरे लिए चाहत अभी बाकी।शोहरोतो के परवतो के शिखर पे भी नही संभाल पाया खुदको।मर के भी जिंदा हूं, क्योंकि आप सबके दिलो में, मेरा fan अभी है बाकी। इज्जते, शोहोरते, उल्फते, चाहते, सब कुछ इस दुनिया में रहता नही।आज मैं हूं जहां, कल कोई और था।ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था। _राजेश खन्ना. प्रस्तावना।"My story is a result of intensive study and research about the character and the phenomenon of Rajesh Khanna so that i can portray it through ...और पढ़े