एक छोटा सा परिवार था। उस छोटे से परिवार में 4 लोग रहते थे। माता पिता और भाई बहन । माता पिता का नाम सविता और रमनलाल था। भाई बहन का नाम राजू और मीना था। वो सब एक गांव में रहते थे । वो परिवार गरीब था। वो अच्छे से अपना गुजारा नहीं करते थे। वो परिवार में जो भाई था वो छोटा था 12 वी कक्षा में पढ़ाई करता था। ओर उसकी बहन बड़ी थी शादी लायक थी। सविता ओर रमनलाल अपने आस पास के गांव में काम करने जाते थे । रोज लाके रोज खाना खाते थे ऐसा हाल था। ओर एक भले आदमी की वजह से रमनलाल अब कंपनी में काम करने लगे। ओर सविता दूसरो के घर में घरकाम किया करती थी । अब बेटी बड़ी थी शादी लायक की तो सविता ओर रमनलाल उसको लेके थोड़ा परेशान रहते थे ।अब क्या होगा हमारी बेटी का कोन उसके साथ शादी करने हा बोलेगा कोन तैयार होगा ऐसे गरीब परिवार में रिश्ता जोड़ने के लिए। यही सब चल रहा था ऐसे ही दिन बीतते रहे। यही सब थोड़े दिनों में चला । फिर थोड़े समय बाद एक दिन दूसरे गांव की एक महिला थी वो ऐसे ही किसी भी लड़की का ब्याह करवाती थी । शहर में करवाती थी इसलिए लड़का अच्छा मिलता था ।नोकरी करता हो ऐसा और घर परिवार को संभाल सके। गांव में आधे से ज्यादा लड़के अलग अलग नशे करते थे। ओर वो गांव में 1/2 लड़के ऐसे ही नशे में अपने प्राण गवा चुके थे।

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गरीबी मजबूरी - 1

एक छोटा सा परिवार था। उस छोटे से परिवार में 4 लोग रहते थे। माता पिता और भाई बहन माता पिता का नाम सविता और रमनलाल था। भाई बहन का नाम राजू और मीना था। वो सब एक गांव में रहते थे । वो परिवार गरीब था। वो अच्छे से अपना गुजारा नहीं करते थे। वो परिवार में जो भाई था वो छोटा था 12 वी कक्षा में पढ़ाई करता था। ओर उसकी बहन बड़ी थी शादी लायक थी। सविता ओर रमनलाल अपने आस पास के गांव में काम करने जाते थे । रोज लाके रोज खाना खाते थे ...और पढ़े

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गरीबी मजबूरी - 2

रमनलाल और सविता मीना के ससुराल मैं उसके हाल चाल पूछने गए थे। मगर दोनों को ये बात पता की उसकी बेटी मीना अब ये दुनियां मैं नहीं रही कोई कारण वश उसकी मृत्यु हो गई। ये बात सुनके रमनलाल और सविता के पैरो तले जमीन खिसक गई। और वो रोते हुवे दोनों जमीन पे बैठ गए। वो रोते ही रहे । दोनों समझ नहीं पाए की ये सब क्या और केसे हो गया। वो दोनों अब क्या करे वो सोच रहे थे ।फिर दोनों उठे और अपने घर जाने के निकल गए। घर पे मीना का भाई था ...और पढ़े

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गरीबी मजबूरी - 3

राजु यूपीएससी परीक्षा की तैयारियां कर रहा था और उसने परीक्षा भी दी थी। मगर उसमें वो पास ना सका ।उसका फर्स्ट अटेंप था । इसलिए उसके माता पिता ने भी कुछ नहीं बोला और उसे समझाने की कोशिश की ऐसा होता रहता हैं मगर हमे हिमत नहीं हारनी चाहिए। तुम दूसरी बार कठोर परिश्रम करो। तूने दूसरी भी परिक्षा के लिए फ्रॉम भरा था ना तो वो भी परिक्षा आएगी ना तो तुम अपनी परिक्षा पे ध्यान दो।रमनलाल और सविता ये सब समझा रहे थे। तब राजु ध्यान से सुन रहा था। मगर वो समझ नहीं पा रहा ...और पढ़े

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