ढलता सूरज। प्रयागराज की धरती और संगम का किनारा। पुरानी सी नांव को धक्का देता गिट्टू। बड़ी मुश्किल से कुछ रुपए इकट्ठा किए थे आज। दो दिन बाद दीवाली है। मिठाई लाएगा शहर से। नए कपड़े, चमकते बर्तन और न जाने कैसे कैसे ऊंचे ऊंचे खयालात आ रहे थे दिमाग में। पुश्तैनी नांव थी, और यहीं बगल में अपनी एक पान की गुमटी। अरे कम थोड़ी थी उसकी धाक ? गिट्टू की दुकान पे मीठा पान लगवाने बड़े बड़े लोग आते थे। कभी छोटी बहन दुकान देखता तो कभी छोटा भाई। गिट्टू का ज्यादातर समय नदी और नांव पे बीतता था। नांव किनारे लगाकर, कांधे का गमछा उतारा और माथे पर पसीना पोछा। अब घर लौटते वक्त दुकान होते हुए जाएगा। देखें छुटकी और पिंटू ने कितनी कमाई की आज।
नए एपिसोड्स : : Every Thursday
पान या खून ? - Part 1
एक पानवाले का कत्ल और उसमें बड़े स्तर पर तहकीकात। आखिर बिना लूटपाट किए और बगैर दुश्मनी कोई किसी का कत्ल क्यों करेगा ? और फिर एक पान वाले के कत्ल में बड़े बड़े लोगों का नाम ? एक बेखौफ, सनकी, ईमानदार पुलिसवाला और एक अंजान कातिल। आइए आरंभ करते हैं एक रहस्यमई यात्रा मेरे साथ। ...और पढ़े
पान या खून ? - Part 2
अध्याय 3: बैठकन्यू यॉर्क।एक ऊंची इमारत की 23वी मंज़ल। 10 लोगों के लिए लगी एक चमचमाती शीशे की मेज। कमरा और सूट बूट पहने बड़े लोग। एक लंबी पीठ वाली महंगी कुर्सी पर बैठी महिला। लाल ड्रेस में। लंबे लाल नाखून। काले रेशमी बाल। महंगे कपड़े थे। उसके अगल बगल 2 हट्टे कट्टे बंदूकधारी। उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था। चेहरे और शारीरिक बनावट से युवती लगती थी पर उसको युवती कहना मानो झूठा सा लगता था। चेहरे की नक्काशी तो ऐसी थी कि अगर उसकी तारीफ करने निकले तो अल्फाज़ कम हो जायेंगे और ऊपरवाला बुरा मान बैठेगा ...और पढ़े