कुछ अल्फाज खामोश क्यों?.

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वह केवल एक राज़ था जिसे मैं जानना चाहती थी मेरे अंदर जो छिपा था । मैं खुद अपने अंदर के बदलाव से दंग थी ना जाने कैसी असमंजस थी वो जिससे निकालना मेरे लिए मुश्किल सा होता जा रहा था ।शारीरिक ढांचा तो मेरा कुछ लड़कियों सा था चाल ढाल तो पूछिए मत पर अंदर मेरा दिलो दिमाग वो किस स्थिती में था ये समझना तनिक कठिन हो गया था लोग मुझे लड़कियों के साथ रहने को कहते मैं लडको में रहना पसंद करती घर में लोग मुझे वस्त्र तो लडकी के पहनने के लिए मजबूर किया करते और

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों?? - 1 - क्या मैं लड़की हूं ?

वह केवल एक राज़ था जिसे मैं जानना चाहती थी मेरे अंदर जो छिपा था । मैं खुद अपने के बदलाव से दंग थी ना जाने कैसी असमंजस थी वो जिससे निकालना मेरे लिए मुश्किल सा होता जा रहा था ।शारीरिक ढांचा तो मेरा कुछ लड़कियों सा था चाल ढाल तो पूछिए मत पर अंदर मेरा दिलो दिमाग वो किस स्थिती में था ये समझना तनिक कठिन हो गया था लोग मुझे लड़कियों के साथ रहने को कहते मैं लडको में रहना पसंद करती घर में लोग मुझे वस्त्र तो लडकी के पहनने के लिए मजबूर किया करते और ...और पढ़े

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों? - 2 - क्या अंत भला तो सब भला ??

मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लिए उतना ही जरूरी था जैसे दसवीं में सबको गणित में उत्तीर्ण होना ज़रूरी होता है ।इसी सोच में मैं निकल पड़ा बस्ता लेकर स्कूल की ओर। तब मैं पढ़ने में थोड़ा निकम्मा था स्कूल जाना तो मेरे लिए कुछ ऐसा होता था जैसे की कोई पहाड़ सर पर आ गया हो धीरे धीरे कदमों से यह ...और पढ़े

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